सर्दियों में बर्फबारी को तरसी मसूरी, मार्च में जोरदार बारिश, याद आई कविता APRIL, कहां गई दून में बारिश की झड़ियां, मौसम का हाल
मौसम की खबर में जब कविता का जिक्र होता है तो महाकवि सुमित्रा नंदन पंत जी की कविता-‘झम झम झम झम मेघ बरसते हैं सावन के’ का जिक्र करना जरूरी हो जाता है। इसी तरह कई कवियों ने सावन माह में बरसात को लेकर कविताएं गढ़ी और उसे स्कूली शिक्षा में भी पढ़ाया गया। हालांकि बारिश में राशन की दुकान में मिट्टी के तेल और चीनी के लिए लाइन में खड़े होने की व्यथा को मैं भी युवावस्था में कविता में उकेर चुका हूं। क्योंकि छह भाई बहनों में घर का सबसे छोटा होने के कारण राशन पानी की जिम्मेदारी मेरे सिर आन पड़ी थी। ऐसे में कई बार इस तरह के मौके आए कि लाइन में लगे हुए अपने नंबर का इंतजार किया। इसके साथ ही मैं देहरादून के मौसम का मिजाज बताने जा रहा हूं कि कैसे यहां बारिश की झड़ियां लगती थी। अब लोग सोशल मीडिया में कह रहे हैं कि मार्च माह में पहली बार ऐसी बारिश देखी। एक मित्र को तो दो दिन पहले अपने मोबाइल भीगने की इतनी चिंता नहीं हुई, जितनी बीड़ी भीगने की हुई। उन्हें चिंता हो गई कि रात कैसे कटेगी। खैर जब इच्छा हो तो जुगाड़ कहीं भी लग सकते हैं। कोरोनाकाल में पान, तंबाकू, गोल्डन खैनी सब बंद थे, लेकिन महंगी दर में सब उपलब्ध हो रहे थे। इसी तरह उम्मीद है कि मित्र ने उसी तरह बीड़ी की जुगाड़ कर लिया होगा, जैसे 15 अगस्त, 16 जनवरी के दिन मदीरा की दुकाने बंद होने पर लोग अपना जुगाड़ तलाश लेते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्वामी दयानंद के जिक्र में भी दून का मौसम
देहरादून का मौसम ऐसा है कि स्वामी दयानंद जी के बारे में एक बार मैं एक पुस्तक पढ़ रहा था, तो उसमें भी इसका जिक्र हुआ। इसमें कहा गया था कि देहरादून में सर्वाधिक गर्मी पड़ती है। सर्दियों में भी हाड कंपकपाने लगते हैं। हो सकता है कि मेरी बात को गलत साबित करने वाले कई खड़े हो जाएं, लेकिन ये पुस्तक मुझे आर्यसमाज के एक कार्यक्रम के दौरान भेंट की गई थी। इसमें स्वामी दयानंद जी के जीवन के बारे में बताया गया। साथ ही ये बताया गया कि जब वह देहरादून आए तो उस समय प्रचंड गर्मी पड़ रही थी। गर्मी के चलते वह बीमार हो गए। इसी में ही देहरादून के मौसम का जिक्र था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शादी का वो दिन
अप्रैल माह के मौसम को लेकर आम बात है कि इस माह बैशाखी पर्व होता है और इस दौरान बारिश की संभावना ज्यादा होती है। वर्ष 1983 की बात है। मेरी दूसरे नंबर की बहन की शादी 14 अप्रैल को थी। जैसे ही बारात घर पहुंचने का समय था, ठीक उसी समय बारिश की झड़ियां लग गई। खुले में पंडाल लगाया हुआ था, जो तेज आंधी से या तो फट गया, या फिर उड़ गया। खैर पिताजी देहरादून में राष्ट्रीय अंध विद्यालय जिसका नाम तब एनआईवीएच था, उसमें थे तो कोई दिक्कत नहीं आई। सरकारी एक लंबी बैरिक में कुर्सियां लगाकार बारातियों और घरातियों के बैठने का इंतजाम किया। अगले दिन बारात विदा हुई, लेकिन ससुराल पक्ष में भी वही हाल था। बगल के सरदारजी के घर में ही कुछ कमरों में भोजन पानी का इंतजाम किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये कहानी खत्म नहीं हुई
ये कहानी अभी खत्म नहीं हुई और बारिश लगातार होती रही। अप्रैल माह में सर्दी बढ़ने लगी। ऐसे में दिल्ली व बाहर से आए मेहमानों को विदा होते समय स्वैटर दी गई। इनमें कुछ तो कुछ समय बाद वापस लौटी, बाकि को हम भी भूल गए। बताने का मकसद ये है कि लोग सोशल मीडिया में ये प्रचारित करते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ, लेकिन ऐसा नहीं है। पहले भी ऐसा ही होता रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मनोहर लाल सर ने सुनाई कविता
कविता लिखने का मुझे शौक था, लेकिन हर कवि की तरह दूसरों को पढ़ने का कम ही शौक था। बात क्लासरूम की आए तो वो उस अवस्था में जबरदस्ती की चीज थोपने जैसा महसूस होता था। मैं 11वीं कक्षा में गया तो हमारे अंग्रेजी के शिक्षक मनोहर लाल जी ने APRIL शीर्षक की अंग्रेजी की कविता सुनाई। मेरी अंग्रेजी कमजोर थी, फिर भी मैने इस कविता को इसलिए सुना कि ये रोचक थी। लेखक ने बताया कि अप्रैल माह एक श्रृंगार से सजी सुंदर महिला के समान है। इस माह में चारों तरफ फूल खिले होते हैं। साथ ही ये माह सनकी महिला की तरह भी है। एक बार बारिश हो जाए तो लगातार झड़ियां लग जाती हैं। अब ना तो सर्दियों में, ना अप्रैल माह में और ना ही बरसात में पांच से सात दिन की झड़ियां देखने को नहीं मिल रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बारिश से बचने को खटकरम
अमूमन बारिश की झड़ियां, यानि कि लगातार बारिश साल में दो बार ही आती हैं। एक बार बरसात के मौसस में जुलाई से अगस्त के बीच और दूसरी बार सर्दियों के मौसम में दिसंबर से मार्च माह के बीच। ऐसी झड़ी भी इन सीजन के दौरान एक या दो बार ही देखी जाती हैं। मैं जब दैनिक जागरण में था तो सबसे बड़ी दिक्कत आफिस में सुरक्षित पहुंचने की होती थी। क्योंकि बारिश में अच्छी बरसाती का होना जरूरी था। मैं डकबैक की बरसाती का इक्तेमाल करता था, जिसमें पानी तो शरीर तक नहीं आता था, लेकिन एक दिक्कत थी कि सारा पानी जूते में घुस जाता था। एक दिन सहयोगी किरन शर्मा को देखा कि वह जूतों में पॉलीथीन को पहने हुए हैं। ऐसे में वह उनके जूतों के भीतर पानी नहीं घुसा। ये फार्मूला मुझे कुछ शर्म करने वाला लगा और मैं इसकी हिम्मत नहीं जुटा पाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सैंडिल को अपनाया, लेकिन
सर्दियों की बारिश थी। मैने सोचा कि जूते बाइक पर लटकाए गए बैग में रख लूंगा। ऑफिस तक सैंडिल पर ही चला जाऊंगा। घर से निकला और जैसे ही बारिश की बूंदे पैरों पर पड़ी तो ब्रैक लगाना भी मुश्किल हो गया। क्योंकि पैर सुन्न हो चले थे। लगातार बारिश से सर्दी में हालत पतली हो गई। ऐसे में अगले दिन से मैने किरन शर्मा जी का फार्मूला अपनाया। फिर जूते के भीतर भी पानी नहीं घुसा और ना ही आफिस में दस से 12 घंटे तक बैठने में दिक्कत आई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्कूल का वो दिन
शायद मैं पहली जमात में था और मुझसे बड़ी बहन कुसुम तीसरी में। स्कूल से घर की दूरी करीब तीन किलोमीटर थी। पैदल ही हम आते जाते थे। एक दिन घर लौटते हुए बारिश इतनी तेज हुई कि सिर पर तख्ती रखकर हम दोनों रोते हुए घर जा रहे थे। एक किलोमीटर चलने के बाद मां आती नजर आई। उसके हाथ में छाते थे। वो हमें अपने साथ लेकर घर को चली। एक सड़क पर बाढ़ जैसी स्थिति थी। तब कुछ लोगों ने हम बच्चों को गोद में उठाया। इसी तरह एक दिन बच्चों को भीगते देखकर सिटी बस के चालक ने बस रोकी और हमारे घर के निकटवर्ती स्थान पर उतार दिया। मानवता की ये मिशाल शायद आज शहरों में ना दिखे। तब हमारे पास आजकल के बच्चों की तरह पैसे तक नहीं होते थे। सिर्फ पांच या दस पैसे हर दिन मिलते थे, जो इंटरवल में चूरन या आइसक्रीम खाने में उड़ जाते थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चैरापूंजी या देहरादून
बचपन में पढ़ा था कि भारत में सर्वाधिक बारिश चैरापूंजी में होती है। इसे ही मैं भी धारणा के रूप में मान चुका था। जब पत्रकारिता में आया तो सीमेंट कंपनी की एक व्यावसायिक मीट में पता चला कि देहरादून में चैरापूंजी से ज्यादा बारिश होती है। ये बात कितनी सच है, ये मुझे पता नहीं। ये सच जरूर है कि मार्च माह या उसके बाद भी मसूरी में जबरदस्त बर्फबारी हो चुकी है, जो कि देहरादून के राजपुर के निकट तक पहुंची। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पैदल चले मसूरी
पूरी तरह से याद नहीं, लेकिन वर्ष 1977 से लेकर 80 के बीच मसूरी में अच्छी बर्फबारी कई बार हुई। एक बार तो राजपुर से कुछ ऊपर तक बर्फबारी का असर रहा। एक बार मैं पड़ोस के कुछ साथियों के साथ बर्फ देने की इच्छा को लेकर सिटी बस से शहनशाही आश्रम तक गया। इसके बाद पैदल रास्ता अपनाया। दो से तीन किलोमीटर आगे चलने के बाद हम बर्फ पर फिसलते गिरते हुए मसूरी पहुंचे। इस दौरान अमूमन मार्च माह में भी मसूरी में बर्फ गिरी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस बार मसूरी रह गई सूखी
बर्फबारी के लिहाज से देखें तो इस बार यानि कि अक्टूबर माह से लेकर मार्च माह तक मसूरी सूखी ही रह गई। हालांकि ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ गिरी, लेकिन देहरादून से मसूरी के पहाड़ों की तरफ देखने पर बर्फ की चादर नजर नहीं आई। इसे लेकर भले ही हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कुछ भी तर्क दें, लेकिन सच ये भी है कि मौसम घूमफिर कर पुराने अंदाज में लौटने लगता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड में कल बारिश ने मचाई आफत
इन दिनों उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक बरस रहे हैं। मार्च माह में तो इस बार ज्यादातर दिन पहाड़ों में बारिश होती रही। ऊंची चोटियों में बर्फबारी भी हुई। साथ ही मैदानी इलाकों में भी बारिश ने लोगों को बेहाल कर दिया। ओलावृष्टि ने फसलों को रौंद किया। हालांकि, देहरादून में इस बार उतने ओले नहीं गिरे, जैसा कि मैं पहले देखता था। जब ओलों की सफेद चादर बिछ जाती थी। नालियों और घास में गिरे ओले पिघलने में तीन से चार दिन लग जाते थे। हर साल आम व लीची को ओलों से नुकसान पहुंचता है। ऐसे में ये कहना गलत है कि ऐसा पहली बार ही हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मसूरी में होटल की दीवार गिरी
उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश के दौरान शुक्रवार को मसूरी में कैम्पटी रोड के पास भारी भरकम पुश्ता गिरने से कई गाड़ियां मलबे के नीचे दब गई है। जानकारी के अनुसार, पुश्ता गिरने से तीन वाहन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं, जबकि दो अन्य वाहनों को भी नुकसान हुआ है। ये पुश्ता सेवॉय होटल का गिरा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रामनगर में पलटी बस
31 मार्च को ही बारिश के दौरान नैनीताल जिले के रामनगर के टेढ़ा गांव के तिलमठ मंदिर के पास एक बस बरसाती नाले में बह गई और पलट गई। बस के बहते ही वहां चीख पुकार मच गई। यात्री बस के बहते ही किसी तरह उसके ऊपर चढ़ गए। लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। तब पुलिस और फायर बिग्रेड की टीम ने सभी यात्रियों को सकुशल बस से बाहर निकाला। गनीमत रही कि किसी भी यात्री को गंभीर चोटें नहीं आई। सभी को तिलमठ मंदिर में ले जाया गया। बस दोपहर करीब ढाई बजे रामनगर से डोन परेवा के लिए निकली थी। लगातार हो रही बारिश से बरसाती नाला अचानक उफान पर आ गया और बस अनियंत्रित होकर पहले बही फिर पलट गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड का मौसम
इन दिनों उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक बरस रहे हैं। आज एक अप्रैल को भी सुबह से देहरादून में बादल छाए हुए हैं। हालांकि, इस बीच कभी कभी धूप के दर्शन भी हो रहे हैं। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, आज राज्य के पर्वतीय इलाकों में अनेक स्थानों पर और मैदानी इलाकों में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश गर्जन के साथ हो सकती है। तीन हजार मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी की संभावना भी है। आज राज्य में गर्जन के साथ बारिश, ओलावृष्टि और बिजली चमकने की संभावना के मद्देनजर यलो अलर्ट भी जारी किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मौसम का पूर्वानुमान
दो अप्रैल को उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ जिलों में ऊंचाई वाले स्थानों पर कहीं कहीं बहुत हल्की से हल्की बारिश का अनुमान है। ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हो सकती है। शेष जिलों में मौसम शुष्क रह सकता है। तीन और चार अप्रैल को राज्यभर के जिलों में कहीं कहीं बारिश और बर्फबारी का सिलसिला रह सकता है। इन दो दिन राज्य में यलो अलर्ट जारी किया गया है। पांच अप्रैल को उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर व पिथौरागढ़ जिले में कहीं कहीं बहुत हल्की से हल्की बारिश हो सकती है। शेष इलाकों में मौसम शुष्क रह सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब करें तापमान की बात
एक दिन पहले देहरादून का तापमान करीब 18 डिग्री सेल्सियस के करीब था। अब इसके बढ़ने की संभावना है। शनिवार एक अप्रैल की सुबह करीब साढ़े नौ बजे देहरादून का तापमान 16 डिग्री सेल्सियस के करीब था। इसके अधिकतम 21 डिग्री और न्यूनतम 13 डिग्री रहने की संभावना है। कल दो अप्रैल को अधिकतम तापमान 24 डिग्री और न्यूनतम 14 डिग्री रह सकता है। इसके बाद तीन अप्रैल से लेकर आठ अप्रैल तक अलग अलग दिन देहरादून का अधिकतम तापमान 26, 26, 27, 27, 28, 28 डिग्री रह सकता है। इसी तरह न्यूनतम तापमान 16, 14, 14, 15, 16, 16 डिग्री रह सकता है। इस बीच चार अप्रैल तक दून में बादल रहेंगे। आज ही ठीकठाक बारिश की संभावना है।
भानु बंगवाल

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।