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February 7, 2025

उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्रः अनुपूरक बजट पेश, दिखी सरकार की प्राथमिकताओं की झलक, कोरोना पर विपक्ष का हंगामा

उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सरकार की ओर से 5370 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा। साथ ही छह विधेयक भी प्रस्तुत किए जाएंगे।

उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सरकार की ओर से 5370 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया गया। पहला दिन तो शांतिपूर्वक बीता, लेकिन आज दूसरे दिन विधानसभा में विपक्ष की ओर से हंगामा भी किया गया। विपक्ष ने विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने का प्रयास किया।
मानसून सत्र के पहले दिन दिवंगत नेता प्रतिपक्ष डा.इंदिरा हृदयेश, उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत समेत सात पूर्व विधायकों श्रद्धांजलि दी गई। ऐसे में पहला दिन शांतिपूर्ण गुजरा, लेकिन मंगलवार से सत्र के हंगामेदार रहा। प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने सरकार को घेरने का पूरा प्रयास रहा। शाम को सीएम धानी ने अनुपूरक बजट पेश किया। इसमें धामी ने अपने आगे के एजेंडे की झलक दिखा दी है। राज्य बनने के 20 वर्ष से ज्यादा की अवधि में यह पहली बार हुआ है कि मुख्यमंत्री का एजेंडा मुख्य बजट के बजाय अनुपूरक बजट में दिखाई दिया।
धामी सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में करीब 5370 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया। विधानसभा चुनाव से पहले अनुपूरक बजट के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी प्राथमिकताएं सामने रख दी हैं। यह भी तकरीबन तय हो गया कि मुख्यमंत्री अपने इसी विजन के अनुरूप आगे बढ़ेंगे। दरअसल बीती छह मार्च को गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 का जब बजट पेश किया गया था, तब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री थे। बजट में मुख्यमंत्री के रूप में त्रिवेंद्र की प्राथमिकताएं सामने आईं। हालांकि इसमें भी कोई शक की बात नहीं कि त्रिवेंद्र ने भी भाजपा के चुनावी वायदों और एजेंडे को ही बजट में मूर्त रूप दिया।
कोरोना को लेकर विपक्ष का हंगामा
विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन में हरिद्वार में कुंभ के दौरान कोरोना जांच घोटाले और कोरोना की दूसरी लहर से हुई जन हानि के मुद्दे को लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया तो सत्तापक्ष कांग्रेस व राहुल पर हमलावर रहा। तीसरी लहर को लेकर विपक्ष की चिंता के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत ने राज्य सरकार की तैयारी की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर से निपटने को पुख्ता तैयारी की जा रही है। चिकित्सकों की कमी का संकट दूर करने को ज्यादा मानदेय पर उन्हें नियुक्ति देने से पीछे नहीं हटा जाएगा। विधायकों को उनकी विधायक निधि से चिकित्सा उपकरणों को खुद खरीदने की अनुमति दी जाएगी।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने नियम-310 के तहत सदन का काम रोक कर कोरोना के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की। पीठ ने इस मुद्दे को कार्य स्थगन के तहत चर्चा के लिए स्वीकार किया। भोजनावकाश के बाद शून्यकाल में इस प्रस्ताव पर तकरीबन दो घंटा 17 मिनट तक चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायकों ने कोरोना से निपटने की तैयारी पर सवाल खड़े किए।
नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने देश में लाकडाउन लगाने, श्रमिकों के पलायन, कोरोना के उपचार के बंदोबस्त और टीकाकरण को लेकर केंद्र और प्रधानमंत्री पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने केंद्र को चेताया था। राहुल का जिक्र आने पर भाजपा विधायकों ने चुटकी लेना शुरू कर दिया। उत्तेजित कांग्रेस विधायकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। दोनों पक्ष के विधायक अपनी सीटों पर उठ खड़े हुए। काफी देर तक तनातनी के बाद माहौल शांत हुआ। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा, काजी निजामुद्दीन, हरीश धामी, ममता राकेश, फुरकान अहमद, राजकुमार, मनोज रावत और आदेश चौहान ने कहा कि राज्य सरकार कोरोना से निपटने में पूरी तरह फेल रही है। हरिद्वार में कुंभ के दौरान कोरोना प्रोटोकाल का उल्लंघन किया।
विपक्षी विधायकों ने कहा कि कुंभ में सरकार ने आइसीएमआर की गाइडलाइन को नजरअंदाज कर बड़े नेताओं की चहेती कंपनी को कोरोना जांच का जिम्मा सौंपा। इसका नतीजा बड़े पैमाने पर जांच में गड़बड़ी के रूप में सामने आया। उन्होंने कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारी पर भी असंतोष जाहिर किया।
जवाब में स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत ने बताया कि देश में प्रति लाख आबादी पर कोरोना जांच, कोरोना टीकाकरण और कोरोना रिकवरी रेट में राष्ट्रीय औसत से राज्य का प्रदर्शन कहीं ज्यादा अच्छा है। विपक्ष के सुझावों को शामिल कर कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की पुख्ता तैयारी की जाएगी। उन्होंने विधानसभा सत्र के आखिरी दिन तीसरी लहर से निपटने की तैयारी को लेकर विधायकों के समक्ष सरकार के प्रस्तुतीकरण का सुझाव रखा।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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