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December 22, 2024

पिथौरागढ़ में सेना भर्ती की बदइंतजामी ने खोल दी राज्य सरकार की पोल: गरिमा

उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने सेना भर्ती के दौरान हुई बदइंतजामी को लेकर प्रदेश सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि इस बदइंतजामी ने प्रदेश सरकार की व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी। उन्होंने बताया कि बीते रोज पिथौरागढ़ में प्रादेशिक सेना भर्ती में 117 पदों के लिए करीब 35 हजार युवा पहुंचे। वहां अफरा तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया। इस दौरान सरकारी इंतजाम नदारद दिखे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गरिमा ने कहा कि एक पद के लिए पहुंचे तीन सौ दावेदारों को वापसी पर वाहन तक नहीं मिला। ऐसे में उन्हें सर्द मौसम में खुले आसमान के नीचे रात काटनी पड़ी।दसौनी ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में सरकारी इंतजाम ना के बराबर रहे। हालात यहां तक हो गए कि नौकरी के लिए पहुंचे युवाओं पर प्रशासन को लाठीचार्ज तक करना पड़ा। इसमें बेरोजगार युवाओं का क्या दोष था। इस पर सरकार को जवाब देना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गरिमा ने कहा कि 117 पदों पर भर्ती के लिए 35 हजार युवाओं की भीड़ जमा हो गई। यानी एक पद के लिए औसतन 300 अभ्यर्थी। जिला मुख्यालय में प्रादेशिक सेना के विभिन्न यूनिटों में सामान्य ड्यूटी, क्लर्क, नाई सहित अन्य पदों पर बीते 12 नवंबर से भर्ती चल रही है। कई किलोमीटर का सफर तय कर रोजगार की चाह में पिथौरागढ़ पहुंचे युवाओं के सेना भर्ती के सपने टूट गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गरिमा ने कहा अब तक ओडिशा, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश के युवाओं की भर्ती संपन्न हो गई है। बुधवार को उत्तर प्रदेश के युवाओं की शारीरिक परीक्षा हुई। यूपी से 15 से 20 हजार युवा यहां पहुंचे। अभी झारखंड के युवाओं की भर्ती होनी बाकी है। ऐसे में सरकार की बदइंतजामी की चर्चा पूरे देश में उत्तराखंड की किरकिरी कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा कमोबेश यही हालत राष्ट्रीय खेलों के दौरान लग रहे कैंपों की भी हो रही है। जहां राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को जमीन में सोना पड़ रहा है। सूत्रों से पता चला है कि उनको डाइट भी पूरी नहीं मिल पा रही है और उनके कपड़े धोने के लिए भी कोई इंतजाम दिखाई नहीं दे रहे। यह सब सरकार की उदासीनता की वजह से हो रहा है। सरकार और प्रशासन न तो सेना की भर्ती को और ना ही राष्ट्रीय खेलों को गंभीरता से ले रही है। इससे युवाओं में घनघोर हताशा, निराशा और सरकार के प्रति आक्रोश नजर आ रहा है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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