मेडिकल सेक्टर का चमत्कार, जिस जानवर का नाम लेना भी कोई पसंद नहीं करता, उसकी किडनी इंसान पर लगाई
मेडिकल सेक्टर में बड़ा चमत्कार हुआ है। अमेरिका में डॉक्टरों ने एक ऐसा कारनामा कर दिया, जिसे सुनकर हर कोई हैरान हो जाएगा। साथ ही आने वाले समय में गंभीर बीमारियों से जूझते मरीजों को नई उम्मीद मिली है। जी हां, चिकित्सकों ने एक ऐसे जानवर की किडनी इंसान पर लगा दी, जिस जानवर को कोई देखना भी पसंद नहीं करता है। हालांकि, एक साल पहले भी चिकित्सकों ने ऐसे व्यक्ति को भी सुअर की किडनी लगाई थी, जो ब्रेन डेड हो चुका था। उस पर एक माह तक किडनी काम करती रही। अब एक बार फिर से किसी जिंदे इंसान पर सुअर की किडनी लगाई गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
62 साल के व्यक्ति को ट्रांसप्लांट की गई किडनी
दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ है, जब जीन एडिटिंग वाले किसी सूअर की किडनी इंसान में ट्रांसप्लांट की गई है। यह कारनामा अमेरिका में मैसाच्यूसेट्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने किया है। इसी महीने की 16 मार्च को बोस्टन शहर में डॉक्टरों ने रिचर्ड स्लायमेन नाम के शख्स की किडनी ट्रांसप्लांट की है, जिसकी उम्र 62 साल है। इस खबर के सामने आने से लाखों लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। दरअसल,आज दुनिया में तेजी से किडनी खराब हो रही है। ऐसे में बिना मैच के किडनी ट्रांसप्लांट नहीं की जा सकती है। ऐसे में इस रिसर्च को किसी मिरैकल से कम नहीं माना जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रिपोर्ट्स के अनुसार, रिचर्ड काफी समय से डायबिटीज की चपेट में हैं. उनकी किडनी खराब हो गई। करीब 7 साल तक डायलीसिस पर रहने के बाद साल 2018 में इसी हॉस्पिटल में उन्हें एक इंसान की किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी, लेकिन 5 साल के भीतर ही वह फेल हो गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे किया गया प्रयोग
रिचर्ड को जिस सुअर की किडनी लगाई गई है, उसे मेसाच्यूसेट्स के ईजेनेसिस ऑफ कैंब्रिज सेंटर में विकसित किया गया है। डॉक्टरों ने इस सुअर से उस जीन को निकाल दिया था, जिससे इंसान को खतरा हो सकता था। साथ ही कुछ इंसान के जीन को भी जोड़ा गया। इससे इसकी क्षमता में इजाफा हुआ। ईजेनेसिस कंपनी ने सुअर से उन वायरस को भी डिएक्टिव कर दिया, जिससे इंसान को इंफेक्शन हो सकता था। इस तरह इंजीनियरिंग के जरिये सुअर की जो किडनी बची, उसमें सूअर के कम गुण ही बचे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
किडनी के मरीजों के लिए उम्मीद की किरन
नेचर जर्नल में पब्लिश रिपोर्ट में बताया गया कि पहले भी इस तरह का प्रयोग हो चुका है। सबसे पहले इस तरह के जेनेटिकली संशोधित किडनी को एक बंदर में फिट किया गया था, जो 176 दिनों तक जिंदा रहा। एक दूसरे केस में दो साल से ज्यादा दिनों तक जिंदा रखा गया था। इसे किडनी फेलियर वाले मरीजों के लिए वरदान माना जा रहा है। बता दें कि अगर इस तरह की किडनी ट्रांसप्लांट पूरी तरह सफल होती है तो मेडिकल में किसी मिरैकल से कम नहीं होगा। क्योंकि अमेरिका में ही 1 लाख लोग अंग प्रत्यारोपण के लिए लाइन में हैं। इसमें सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले मरीज हैं।
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