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April 15, 2025

प्रो. लाल बहादुर वर्मा की स्मृति व्याख्यान, आज देश के हालात महाभारत के पहले जैसेः प्रो. जगमोहन सिंह

शहीदे आजम भगत सिंह के भांजे प्रो. जगमोहन सिंह ने कहा कि आज देश के हालात महाभारत के पहले जैसे ही हैं। महाभारत के सभी लक्षण इस वक्त दिख रहे हैं। महिलाओं के अपमान पर धृतराष्ट्र और कौरवों के दरबार की तरह सब चुप हैं। युवा पीढ़ी अभिमन्यु की तरह अधूरे ज्ञान के कारण चक्रव्यूह में फंसने को हैं। सत्ता दुर्योधन की तरह सुई की नोक के बराबर जमीन जैसी जिद पर अड़ी है कि वंचितों को सत्ता में हिस्सेदारी न मिले। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

देहरादून में इतिहास बोध मंच की ओर से दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर के सभागार में आयोजित प्रो. लाल बहादुर वर्मा की स्मृति में वार्षिक व्याख्यान माला के तहत शहीदे आजम भगत सिंह के भांजे प्रोफेसर जगमोहन सिंह ने ‘क्रान्तिकारी विरासत और हमारा समय’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने शहीद भगत सिंह और प्रो. वर्मा को याद करते हुए कहा कि इतिहास हमें अतीत जीवी भी बनाता है, लेकिन इतिहास बोध हमें इतिहास को बदलने की प्रेरणा देता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने देश के इतिहास की क्रांतिकारी विरासत को याद करते हुए बताया कि किस तरह ब्रिटिशकाल की नीतियों की वजह से देश में अकाल पड़े और कौन से आर्थिक व नीतिगत कारण थे जिनकी वजह से 1857 का पहले स्वतंत्रता संग्राम ने जन्म लिया। उन्होंने कहा कि आज हमें शहीद भगत सिंह और महात्मा गांधी दोनों से सीखने की जरूरत है। तभी समाज में समानता आ सकती है और मनुष्य को असली मुक्ति मिल सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ हिंदी कवि राजेश सकलानी ने कहा कि जब समाज में संस्कृति संस्कृति का अतिशय शोर होने लगे तो हमें सतर्क होने की जरूरत है। क्योंकि संभव है कि इसके जरिये जनता के असल मुद्दों से समाज का ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही हो। इससे पहले नरभिंदर सिंह ने प्रोफेसर लालबहादुर वर्मा और प्रोफेसर जगमोहन सिंह के विचारों व कार्यों का परिचय दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम से पहले सुनील, प्रीतम, सतीश धौलाखंडी और अन्य साथियों ने शंकर शैलेंद्र की कविता- कवि उनका है, कविता उनकी, मितरां दी याद प्यारी, मेरे हाथों जानने का हक रे मार्मिक अंदाज में सुनाई। कार्यक्रम का संचालन दिगंबर ने किया। इस मौके पर वरिष्ठ लेखक आनंद स्वरूप वर्मा, डॉ. रवि चोपड़ा, आशु वर्मा, कैलाश नौडियाल, गीता गैरोला, डॉ. जितेंद्र भारती आदि मौजूद रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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