Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 16, 2024

पुस्तक समीक्षाः विभिन्न साहित्यकारों के संस्मरण का समावेश है ‘जीवन पथ पर’

डॉ. श्याम सिंह शशि की संस्मरण पुस्तक ‘जीवन पथ पर’ एक गहन अनुभूति के साथ आई है। इसमे डॉ. शशि के साथ विभिन्न साहित्यकारो के संस्मरण हैं । यह एक धरोहर है। पुस्तक के बहाने उन्होंने महान व्यक्तित्वो को स्मरण किया है। इससे उनके निजी जीवन की भी पड़ताल होती है ।
पुस्तक मे सुकवि सुमित्रा नन्दन पंत, पं कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर, सोहन लाल द्विवेदी, अमृता प्रीतम, अटल बिहारी वाजपेयी, क्षेमचन्द्र सुमन, श्रीराम शर्मा प्रेम, प्रभाकर माचवेशंर, दयाल सिह, धर्मवीर शास्त्री, यशपाल जैन, राजेन्द्र अवस्थी, डोरी लाल आदि 26 लोगो के संस्मरण उजागर हुए हैं।
यह आज की पीढी को उन लोगो से परिचित करा रही है जो साहित्य की नीव हैं ।
डॉ. श्याम सिंह शशि वरिष्ठ साहित्यकारो मे से एक हैं। यह पुस्तक शिलालेख प्रकाशन दिल्ली से छपी है और इसका मूल्य 100रु है ।
पुस्तक की भूमिका ‘यात्रांत से वापसी’ में डा शशि लिखते हैं कि ‘मै जिन विभूतियो और मित्रों के संपर्क मे आया, उन्ही के बारे मे स्मृतियों के आधार पर कुछ लिख पाया। वैसे आज के दोस्त कल के दुश्मन हो जाते हैं और दुश्मन दोस्त।


सुकवि सुमित्रा नन्दन पंत के साथ अपने संस्मरण मे उन्होंने जो लिखा है वह महत्वपूर्ण है। उन्होने अपना कविता संग्रह पंत जी को भेट किया, तो वे बोले-आधुनिक भाव बोध की इन कविताओं के प्रकाशन पर आपको बधाई । प्रतिक्रिया के लिए आपको प्रतीक्षा करनी होगी।
फिर उनसे बातचीत का सिलसिला आगे बढ गया। बातें कई स्तर पर महत्वपूर्ण हैं। इसी क्रम मे कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने उनसे जो कहा था वह पुस्तक मे लिखा है। लिखा है-पुरस्कार किसी रचना की श्रेष्ठता का प्रमाण नही होते। मैं सर्जक हूं। पुरस्कारों के लिए नही लिखता। ‘रसीदी टिकट’ लेखिका अमृता प्रीतम के विषय मे उन्होंने लिखा-अमृता: एक अगर बत्ती। श्रीराम शर्मा प्रेम के लिए लिखा-श्रीराम शर्मा; प्रेम और अंगारे “।

ऐसे ही तमाम वरिष्ठ लोगो के साथ बिताया समय इस पुस्तक में है । यह पठनीय है और साथ ही साहित्यकारो के भीतरी संसार को भी सामने लाता है। कवर पेज पर इन साहित्यकारो के फोटो दिओ गये हैं । पुस्तक मे समय बोल रहा है।


समीक्षक का परिचय
डॉ. अतुल शर्मा
डॉ. अतुल शर्मा देहरादून निवासी हैं। उनकी कविताएं, कहानियां व लेख देश भर की पत्र पत्रिकाओ मे प्रकाशित हो चुके हैं। उनके लिखे जनगीत उत्तराखंड आंदोलन में हर किसी की जुबां पर रहे। वह जन सरोकारों से जुड़े साहित्य लिख रहे हैं। उनकी अब तक तीस से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page