मेघालय के राज्यपाल मलिक ने मोदी सरकार को फिर सुनाई खरी खोटी, बोले- इस्तीफे में नहीं लगाऊंगा एक मिनट, किसानों के साथ दूंगा धरना
एक बार फिर भाजपा की केंद्र सरकार के खिलाफ मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन को लेकर जोरदार हमला बोला। उन्होंने केंद्र सरकार को खरी खोटी सुनाई।
पिछले काफी समय से सत्यपाल मलिक किसानों के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। गाहे बगाहे वह किसानों के समर्थन में बयान देने में भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। जयपुर में एक कार्यक्रम में सत्यपाल मलिक ने कहा कि मोदी सरकार छोटी छोटी बातों पर तो अफसोस जता देती है, लेकिन किसान आंदोलन में अब तक 600 किसान मारे जा चुके हैं, लेकिन उनके लिए अभी तक मोदी सरकार ने कोई अफसोस नहीं जताया, कोई प्रस्ताव पास नहीं किया। सत्यपाल मलिक ने ये भी कहा कि जिन्होंने मुझे नियुक्त किया है अगर वो इस्तीफा मांगेंगे तो मैं अपना पद छोड़ने को भी तैयार हूं।
राज्यपाल ने कहा कि देश में इतना बड़ा आंदोलन आज तक नहीं चला, जिसमें 600 लोग मर गए। जानवर भी मरता है तो दिल्ली के नेताओं का शोक संदेश आ जाता है, लेकिन 600 किसानों के मरने पर प्रस्ताव लोकसभा में पास तक नहीं हुआ। महाराष्ट्र में आग लगी। 5-7 लोग मरे, लेकिन दिल्ली से उनके पक्ष में प्रस्ताव आ गया। हमारे 600 लोग मरे उस पर कोई नहीं बोला।
सत्यपाल मलिक ने कहा कि राज्यपाल को हटाया नहीं जा सकता। फिर भी मेरे शुभचिंतक इस तलाश में रहते हैं कि ये बोलें और हटें। कुछ फेसबुक पर लिख देते हैं गर्वनर साहब जब इतना महसूस कर रहे हो तो इस्तीफा क्यों नहीं दे देते? मैंने कहा आपके पिताजी ने बनाया था मुझे? मुझे बनाया था दिल्ली में 2-3 लोग हैं, उन्होंने। मैं उनकी इच्छा के विरुद्ध बोल रहा हूं, ये तो जानकर बोल ही रहा हूं कि उनको दिक्कत होगी। वो जिस दिन कह देंगे मुझे दिक्कत है, उस दिन एक मिनट भी नहीं लगाऊंगा और पद छोड़ दूंगा।
जयपुर में ग्लोबल जाट समिट को संबोधित करते हुए मलिक ने कहा कि उन्हें किसानों के मुद्दे पर दिल्ली के नेताओं को निशाना बनाने पर राज्यपाल का अपना पद खोने का डर नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं कुछ भी छोड़ सकता हूं, लेकिन मैं यह नहीं देख सकता कि किसानों के साथ जुल्म हो रहा हो, वो हराये जा रहे हों। उन्हें भगाया जा रहा हो और हम अपना पद लिये बैठे रहें तो इससे बड़ी लानत की कोई बात नहीं हो सकती। मलिक ने कहा, पहले दिन जब मैं किसानों के पक्ष में बोला था तो यह तय करके बोला था कि मैं यह पद छोड़ दूंगा और किसानों के धरने पर आकर बैठ जाऊंगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।