पुष्कर सिंह धामी के मायने, उत्तराखंड में भविष्य की राजनीतीः प्रो. भगवान सिंह बिष्ट
आज उत्तराखंड के ग्यारहवें मुख्यमंत्री के रूप मे पुष्कर सिंह धामी की ताज पोशी से उपजे अनेकों प्रशनो मे ही उनके उत्तर भी अंतरनिहित है।

उत्तराखंड की आत्मा सदियों से पलायन की मार झेल रहे पिछड़े, अभावग्रस्त, दुर्गम एवं आपदा ग्रस्त पर्वतीय भूभाग के निवासियों के दिलों मे निवास करती है। इस दृष्टि से जमीन से जुड़े सीमान्त क्षेत्र के युवा हाथों मे राज्य सरकार की बागडोर को सही समय पर उठाया गया सही कदम ठहराया जा सकता है। राज्य के सम्यक विकास के लिए उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य को हित साधना के लिए गढ़वाल एवं कुमाऊं क्षेत्र मे बटा हुआ प्रस्तुत किया जाता रहा है। क्षेत्र संतुलन एवं जातीय समीकरण के नाम पर इस अखंडित देवभूमि को विभिन्न क्षेत्रीय एवं जातीय खंडो मे खंडित कर सत्ता तथा सुविधा भोगी स्वार्थ समूहों की ओर से अपनी इच्छानुसार परिभाषित कर स्वार्थ सिद्धि की जाती रही है।
यह नहीं भूलना चाहिए कि उत्तराखंड के समग्र एवं सतत विकास मे ही प्रत्येक उत्तराखंडी का विकाश एवं खुशहाली निहित है। किसी भी प्रकार का चाहे वही क्षेत्रीय हो या जाति व वर्गगत, एक तरफा विकास उत्तराखंड जैसे सीमान्त राज्य, जिसकी अन्तर्राष्ट्रीय सीमायें तिब्बत – चीन एवं नेपाल से लगी हैं, हित मे नहीं है।
हर दृष्टि से उत्तराखंड का एक राष्ट्रीय महत्व है। आज लम्बे अंतराल के बाद उत्तराखंड को कुमाऊं के सीमान्त क्षेत्र से पुष्कर सिंह धामी के रूप मे एक युवा नेतृत्व मिला है। जो न केवल उत्तराखंड की युवा शक्ति का नेतृत्व करता है, बल्कि उत्तराखंड के सीमान्त पर्वतीय क्षेत्रों का भी प्रतिनिधित्व करता है। अतः पुष्कर सिंह धामी की मुख्यमंत्री की ताजपोशी के मायने को समझने की आवश्यकता है। उम्मीद यह भी की जानी चाहिए कि वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों के सम्मान को बनाये रखते हुऐ, बिधायक दल के भीतर सुशिक्षित, युवा एवं ईमानदार जनप्रतिनिधियों को भी अपना हुनर एवं कौशल दिखाने का अवसर मिलेगा। भाजपा आला कमान ने पुष्कर सिंह धामी की मुख्यमंत्री के रूप मे ताजपोशी कर जिस दूर दर्शिता का परिचय दिया है वह स्वागत योग्य है |
लेखक का परिचय
प्रोफेसर भगवान सिंह बिष्ट
समाज शास्त्री एवं सामाजिक विश्लेषक, पूर्व समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष कुमाऊं विश्वविद्यालय उत्तराखंड।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।