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February 8, 2025

आज देशभर में मनाई जा रही है मौनी अमावस्या, हरिद्वार के गंगा घाटों में उमड़े श्रद्धालु, जानिए इस दिन का महत्व

देशभर में आज मौनी अमावस्या मनाई जा रही है। इस दिन गंगा स्‍नान, पूजन और दान का विशेष महत्‍व माना जाता है। इस साल का यह दूसरा महत्वपूर्ण स्नान पर्व है। इसी क्रम में तड़के से ही हरिद्वार सहित उत्‍तराखंड के अन्‍य गंगा घाटों पर गंगा स्‍नान का दौर जारी रहा। मौनी अमावस्या का इंतजार लोग पूरे साल करते हैं। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस अमावस्या को माघी अमावस्या कहते हैं। इस दिन लोग पिंडदान भी करते हैं। माघी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना अच्छा माना जाता है।

हरिद्वार में गंगा घाटों पर उमड़े श्रद्धालु
हरिद्वार में हरकी पैड़ी ब्रह्मा कुंड, मालवीय घाट, नाई सोता, कुशावर्त घाट समेत आसपास के गंगा घाटों पर भोर से ही श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते दिखे। स्थानीय श्रद्धालुओं के अलावा पश्चिमी उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और आसपास के राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान को पहुंचे। इस दौरान माहौल देखते ही बन रहा था। हरकी पैड़ी चारों ओर हर-हर गंगे, जय मां गंगे के जयकारों से गुंजायमान हो रही थी। वहीं गंगा स्नान के बाद श्रद्धालु दुग्धाभिषेक, दीपदान कर दान-पुण्य करते दिखे। इसके साथ ही ऋषिकेश सहित अन्य गंगा घाटों में भी स्नान करने वालों का सुबह से तांता लगा हुआ है।

मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त
आपको बता दें कि मौनी अमावस्या तिथि की शुरुआत 21 जनवरी दिन शनिवार सुबह 06 बजकर 17 मिनट पर हो गई है। वहीं, समापन मौनी अमावस्या का 22 जनवरी रविवार को सुबह 2 बजकर 22 मिनट तक है। मौनी अमावस्या 21 जनवरी को उदया तिथि में है। मौनी अमावस्या 2023 को बन रहा शुभ योग सुबह 6 बजकर 30 मिनट से सुबह 07 बजकर 14 मिनट पर था।

स्नान दान का शुभ मुहूर्त
मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है. इस दिन सूर्योदय से पहले गंगा स्नान जरूर करें। बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन सुबह 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 53 मिनट के बीच स्नान करना काफी शुभ था। इसके बाद भी गंगा स्नान का महत्व कम नहीं हो जाता है।

30 वर्ष के बाद दुर्लभ संयोग
मौनी अमावस्या पर 30 वर्ष के बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन मौन व्रत रखकर स्नान करने से हजारों गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था। इसलिए भी इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। मौनी अमावस्या पर 30 वर्ष के बाद पड़ रहा दुर्लभ संयोग दान, धर्म और गंगा स्नान के अलावा शनि से पीड़ित व्यक्तियों के लिए खास होगा। शनि के कुंभ राशि में गोचर करने से खप्पर योग रहेगा। गंगा स्नान के बाद इस दिन गर्म वस्त्र, कंबल, तेल आदि का दान बहुत ही पुण्यकारक माना जाता है। इस दिन पितरों के निमित्त दान, पिंड दान, भोजन, तर्पण आदि करने से पितरों को मुक्ति प्राप्त होती है। साथ ही कुंडली में बन रहे पितृदोष दूर होते हैं।
नोटः यहां दी गई जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। लोकसाक्ष्य इसकी पुष्टि नहीं करताहै।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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