मंगलौर मंडी में महापंचायत में उमड़ा जनसैलाब, उत्तराखंड के किसानों में नरेश टिकैत भर गए जोश

सत्ताधारी दलों की ओर से किसान आंदोलन को जहां चंद संगठनों का आंदोलन बताया जा रहा है, वहीं, किसानों की महापंचायत देखकर तो नहीं लगता कि ये चंद संगठनों का आंदोलन है। नेताओं के ट्विटर अकाउंट को देखने पर तो गिने चुने, चंद आदि शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है। वहीं, कुछ तो उन्हें किसान मानने को तैयार नहीं हैं। इसके उलट उत्तराखंड के रुड़की क्षेत्र में मंगलौर मंडी में किसान महापंचायत में जनसैलाब उमड़ पड़ा। यहां भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने सरकार के खिलाफ हुंकार भरी। साथ ही उत्तराखंड के किसानों से भी दिल्ली बॉर्डर पर धरने में शिरकत करने आह्वान किया।
भाकियू नेता राकेश टिकैत ने जहां हरियाणा के जींद में महापंचायत की। वहीं, नरेश टिकैत ने मंगलौर मंडी पर महापंचायत के माध्यम से किसान आंदोलिन के लिए उत्तराखंड के किसानों में भी जोश भर दिया। चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि किसान एक अनुशासित कोम है। किसान अपने स्वाभिमान व सम्मान की लड़ाई के लिए इस आंदोलन को संचालित कर रहा है। यह सरकार किसानों के स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ कर रही है।
उन्होंने कहा कि लाल किला में जो कुछ हुआ, उसका किसानों से कोई लेना देना नहीं है। किसान तिरंगे की आन और बान और शान के लिए प्राण दे देगा, लेकिन तिरंगे को झुकने नहीं देगा। आज किसान को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर में 2013 के दौरान हुए दंगे इन लोगों की साजिश का एक हिस्सा है। जिन्होंने हिंदू और मुसलमान को आपस में लड़वाया।
उन्होंने कहा कि 6 फरवरी को देशव्यापी चक्का जाम का ऐलान किया गया है। सभी किसानों को इस में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना है। साथ ही गाजीपुर बॉर्डर पर जो धरना चल रहा है, उत्तराखंड के किसान भी थोड़े थोड़े कर वहां पर जाएं और अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि किसान की लड़ाई एक मजबूत सरकार के साथ है। इसलिए आंदोलन भी मजबूती के साथ ही चलेगा।
इस मौके पर उत्तराखंड किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी गुलशन रोड ने कहा कि इस सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है। किसान को बांटने का काम यह सरकार कर रही है। इसलिए अब किसान किसी भी कीमत पर चुप नहीं बैठेगा। तीनों कानून वापस होंगे, तभी किसान अपने घर पर आराम से रहेगा। इस मौके पर भाकियू के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी, रवि चौधरी जिला अध्यक्ष, विजय शास्त्री, कार सिंह, राकेश लोहार, पदम सिंह भाटी समेत तमाम किसान नेता मौजूद रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।