आधी रात के बाद से सुबह तक भूकंप के आठ झटकों से हिल गए देश के कई हिस्से
बुधवार की देर रात के बाद और गुरुवार 21 मार्च की शुरुआत से ही देशभर में भूकंप के कई हिस्सों में अलग अलग समय पर झटके महसूस किए गए। इनमें अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र ऐसे राज्य हैं, जहां भूकंप का केंद्र रहा है। इनमें सबसे बड़ा झटका महाराष्ट्र में महसूस किया गया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.5 मापी गई। हालांकि, भूकंप की वजह से अभी तक किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के आंकड़ों के मुताबिक, सबसे पहला भूकंप का झटका रात एक बजकर 49 मिनट 54 सेकेंड में महसूस किया गया। इसकी तीव्रता 3.7 थी और इसका केंद्र वेस्ट कामेंग अरुणाचल प्रदेश था। इसके बाद 2.5 तीव्रता का भूकंप आया। इसका केंद्र पूर्वी कामेंग अरुणाचल प्रदेश था। ये भूकंप एक बजकर 54 मिनट 29 सेकेंड में आया। तीसरा भूकंप तीन बजकर 40 मिनट पर पूर्वा कामेंग अरुणाचल प्रदेश में आया। इसकी तीव्रता 3.4 मापी गई। चौधा भूकंप भी पूर्वी कामेंग में 3.2 तीव्रता का आया। इसका समय सुबह पांच बजकर 13 मिनट 29 सेकेंड था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भूकंप का क्रम लगातार चलता रहा। पूर्वी कामेंग अरुणाचल प्रदेश में पांच बजकर 16 मिनट पर पांचवां झटका महसूस किया गया। इसकी तीव्रता 2.9 थी। इसके बाद छठा झटका उत्तराखंड में महसूस किया गया। इसका केंद्र चमोली जिला था। 2.4 तीव्रता का ये भूकंप पांच बजकर 37 मिनट पर आया। सातवां बड़ा झटका महाराष्ट्र में महसूस किया गया। 4.5 तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र हिंगोली महाराष्ट्र था। ये भूकंप छह बजकर आठ मिनट 30 सेकेंड पर आया। इसके बाद ही हिंगोली महाराष्ट्र में 3.6 तीव्रता का भूकंप सुबह छह बजकर 19 मिनट पांच सेकेंड पर आया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चार से लेकर 4.9 की तीव्रता वाले भूकंप को हल्के भूकंप के तौर पर परिभाषित किया जाता है। ऐसे में महाराष्ट्र में आया भूकंप भी हल्की तीव्रता वाला रहा, लेकिन इसकी वजह से लोगों के मन में डर जरूर पैदा हुआ। कुछ लोग झटके महसूस करने के बाद घर से बाहर निकल आए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं भूकंप के कारण
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।