महाविकास अघाड़ी पहुंची सुप्रीम कोर्ट, बागी विधायकों की विधानसभा में एंट्री पर रोक की मांग, 11 को होगी सुनवाई
महाराष्ट्र में बागी एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली नई सरकार की गठन के बाद इस सरकार के खिलाफ महाविकास आघाड़ी ने फिर एक बार शिवसेना के 39 बागी विधायकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
महाराष्ट्र में बागी एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली नई सरकार की गठन के बाद इस सरकार के खिलाफ महाविकास आघाड़ी ने फिर एक बार शिवसेना के 39 बागी विधायकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसे लेकर महाविकास अघाड़ी की ओर से एक नई याचिका दायर की गई है। इसमें ये मांग की गई है कि कोर्ट सभी बागी विधायकों को विधानसभा आने से रोके। कहा गया है कि वैसे विधायक जिनके खिलाफ अभी सुनवाई चल रही है या बाकी है, उनके विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया जाए। इधर, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है।सत्ता से बेदखल होने के बाद एमवीए ने कहा कि बागी विधायक जो बीजेपी के मोहरे के रूप में काम कर रहे हैं। साथ ही जो दलबदल का संवैधानिक पाप कर रहे हैं। उन्हें विधानसभा के सदस्य के रूप में बने रहने की अनुमति देकर एक दिन के लिए भी अपने पाप को कायम रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
उद्धव खेमे की ओर से तर्क दिया गया है कि टीम एकनाथ द्वारा किए गए बगावत के बावजूद शिवसेना उद्धव ठाकरे की ही है। उन्हें 23 जून को शिवसेना के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था, जब शिवसेना के संगठनात्मक चुनाव हुए थे। वहीं, 27 जून को चुनाव आयोग को इस बाबत विधिवत सूचित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में अब ये मामला पहुंचने के बाद से स्पष्ट हो गया है कि महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे अभी भी हार मानने को तैयार नहीं हैं। वह एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।





