पेयजल कार्यशाला में पानी की शुद्धता को लेकर किया जागरूक, सिखाई गई जांच की विधि
डीएवी महाविद्यालय देहरादून की ओर से उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद से वित्त पोषित शोध परियोजना के अंतर्गत हरिद्वार जिले में बहादराबाद विकासखंड की अजीतपुर ग्राम सभा के पंचायत भवन में शुद्ध पेयजल को लेकर ग्रामीणों को जागरूक किया गया। एक दिवसीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में जैविकीय प्रदूषण रोकने हेतु जल सुरक्षा योजना के लिए इस प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन डीबीएस कॉलेज देहरादून एवं हर्ष विद्या मंदिर महाविद्यालय रायसी हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि हरिद्वार (ग्रामीण) की विधायक अनुपमा रावत ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी ग्रामीण प्रतिभागियों से कहा कि हम सभी को जल के महत्व को समझना होगा। उन्होंने कहा कि अगर हमारा पेयजल शुद्ध होगा तो हम सभी स्वस्थ रहेंगे। इसलिए आज की जल सुरक्षा कार्यशाला इस संदर्भ में बहुत महत्त्वपूर्ण है। कार्यक्रम की अध्यक्षता अजीतपुर के ग्राम प्रधान प्रखर कश्यप ने करते हुए कार्यक्रम को बहुत उपयोगी बताया तथा सभी से जल को बचाने का आव्हान किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यशाला समन्वयक एवं डीएवी महाविद्यालय देहरादून के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर प्रशांत सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के आयोजन पर प्रकाश डाला। इस मौके पर पेयजल की शुद्धता के परीक्षण की विधि भी सिखाई गई। इस मौके पर प्रशांत सिंह एवं आयोजक टीम की ओर से ग्राम प्रधान प्रखर कश्यप को जल परीक्षण करने के लिए फ़ील्ड टेस्टिंग किट प्रदान की गयी। इससे गाँव के जलस्रोतों का जल समय समय पर टेस्ट किया जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तकनीकी सत्र में डीएवी कॉलेज देहरादून के रसायन विभाग के प्रोफेसर डॉ प्रशांत सिंह ने जल सुरक्षा योजना बनाने में जैविकीय प्रदूषण रोकने की आवश्यकता तथा उपाय विषय पर जल में जीवाणओं की जांच एवं उनको दूर करने के उपाय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाने को कहा जिससे मानव स्वास्थ्य की रक्षा हो सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) देहरादून के वैज्ञानिक डॉ भवतोष शर्मा ने जल गुणवत्ता के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव एवं रोकथाम के उपाय” विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सामान्य रूप से हम अपने पेय जलस्रोत से प्राप्त जल को छानकर, उबालकर, ठंडा करके पुनः छानकर पीने के लिए प्रयोग कर सकते हैं। इससे पानी में उपस्थित टरबिडिटी (गंदलापन) के साथ साथ अधिकता में उपस्थित टीडीएस, हार्डनेस, कैलसियम आदि की मात्रा में कमी आ जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड जल संस्थान देहरादून के मुख्य रसायनज्ञ डॉ विकास कडारी ने फ़ील्ड टेस्टिंग किट से जल गुणवत्ता के विभिन्न मानकों पी एच, आयरन, फ्लोराइड, नाइट्रेट, क्लोरीन आदि को टेस्ट करना सिखाया। कार्यक्रम में 80 से अधिक ग्रामीणों ने प्रतिभाग किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपप्रधान कैलाश, प्रहलाद कश्यप, हरफूल कश्यप, डॉ ब्रह्मपाल चौहान, श्रीमती रीना, प्रीति, जैकी कश्यप, रॉबिन चौहान, शिल्पी, पंचायत सचिव अमनदीप कौर, ग्राम विकास अधिकारी धर्मेंद्र पाल, सुबोध आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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