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November 13, 2024

भारत में जल्द आएगी मेड एंटी कोविड पिल्स, जल्द मिल सकती है मंजूरी, टेबलेट की ये होगी कीमत

कोरोना के खिलाफ जारी जंग में भारत को एक और नया हथियार मिलने जा रहा है। यह एक गोली होगी जिसे देने से मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने और मौत को खतरे को कम किया जा सकेगा।

कोरोना के खिलाफ जारी जंग में भारत को एक और नया हथियार मिलने जा रहा है। यह एक गोली होगी जिसे देने से मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने और मौत को खतरे को कम किया जा सकेगा। इतना ही नहीं विदेश में इस्तेमाल हो रही कोरोना की पहली गोली मर्क की एंटीवायरल दवा मोलनुपिरवीर की कुछ ही दिनों में इमरजेंसी यूज की मंजूरी मिल जाएगी। इस गोली को कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों को दिया जाएगा। हालांकि इससे पहले लोगों को कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन को ही सबसे प्रमुख हथियार माना जा रहा था।
जानकारी के मुताबिक फाइजर की गोली पैक्सलोविड में अभी कुछ समय लग सकता है। दो दवाओं के आने से काफी असर पड़ेगी। यह महामारी में लड़ने में टीकाकरण से ज्यादा प्रभावी होंगी। कोविड स्ट्रैटजी ग्रुप, सीएसआईआर के अध्यक्ष डॉ राम विश्वकर्मा के मुताबिक मोलमनुपिरवीर जल्द ही उपलब्ध हो जाएगी। पांच ऐसी कंपनियां है जो दवा निर्माता के साथ मिलकर काम कर रही हैं। मुझे लगता है कि ऐसे में कभी भी हमें इसे इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है। दूसरी तरफ फाइजर की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि उनकी दवा पैक्सलोविड कोमजोर मरीजों में अस्पताल में भर्ती होने या मौत के जोखिम को 89 प्रतिशत तक कम करती है।
कोविड स्ट्रैटजी ग्रुप, सीएसआईआर के अध्यक्ष डॉ राम विश्वकर्मा ने कहा कि यह दवा उन लोगों के लिए है, जिन्हें गंभीर कोविड-19 या अस्पताल में भर्ती होने का खतरा है। दवाओं को “विज्ञान द्वारा वायरस के ताबूत में अंतिम कील” बताते हुए उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मोलनुपिरवीर हमारे लिए जल्द ही उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में इसके उपयोग को अनुमति मिलने के बाद एसईसी इस पर निगरानी रखे हुए हैं। ऐसे में मुझे लगता है कि वे इसके लिए जल्द ही अनुमति प्राप्त कर लेंगे। इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि अगले एक महीने के भीतर मर्क की दवा के लिए अनुमति देने पर निर्णय हो सकता है।
बता दें कि फाइजर ने बयान जारी करते हुए कहा है कि क्लिनिकल परीक्षण के अनुसार उनकी पैक्सलोविड गोली कमजोर मरीजों में अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु के जोखिम को 89 प्रतिशत तक कम करती है। मर्क ने पहले ही पांच कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट किया हुआ है। जिस तरह से मर्क ने कई कंपनियों को यह लाइसेंस दिया है, फाइजर भी ऐसा ही करेगा क्योंकि फाइजर दवा के वैश्विक उपयोग के लिए भारतीय क्षमता का इस्तेमाल करना चाहेगी।
उन्होंने कहा कि इसकी लागत अमेरिका में मर्क वैक्सीन के लिए अनुमानित 700 डॉलर से बहुत कम होगी। क्योंकि अमेरिका में यह कई अन्य कारणों से महंगी है, न कि निर्माण लागत की वजह से। मुझे लगता है कि जब भारत सरकार इस पर काम करेगी, तो वे इन कंपनियों से थोक में दवाई खरीदेगी और निश्चित रूप से उनके पास दो तरह की व अलग-अलग मूल्य प्रणाली होगी। शुरू में इसकी कीमत 2000 से 3000 हजार या 4000 रुपये पूरे उपचार का खर्च हो सकती है। हालांकि बाद में यह कीमत 500 से 600 रुपये या 1,000 रुपये तक आ जाएगी।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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