भव्यता के साथ मनाया गया माँ नन्दा देवी लोकजात उत्सव
तत्पश्चात दोपहर के बाद माँ नन्दा देवी को अर्घ्य व भतूज लगायी गयी, नंदा देवी लोकजात में मां नंदा देवी के जागरण किया गया। इस दौरान गायन में उत्तराखंड के समस्त देवी-देवताओं का आवाह्न, सृष्टि उत्पत्ति माँ नंदा शिवजी का विवाह, राजजात का वर्णन, माँ नन्दा का दोष व अंत में सुफल बांटना का गायन लोकभाषा गढ़वाली में किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष ग्रामीण सदियों से मनाते आ रहे हैं। बड़ी आस्था व श्रद्धा के साथ मां नंदा को धियाण के रुप में बुलाया जाता है। रात्रि ठीक 9:00 बजे मां नंदा देवी को विदाई दी गई। इस शुभ अवसर पर ग्राम देवता क्षेत्रपाल, माँ नन्दा, कालिंका, दुर्गा आदि देवी-देवता अपने पशुवाओं पर अवतरित होकर अपना आशीर्वाद किया। पूरा कार्यक्रम ग्राम प्रधान सावित्री देवी, वन पंचायत सरपंच महावीर सिंह नेगी व समस्त ग्राम वासियों के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। इस सुअवसर पर गढ़वाली नृत्य नाटिका के तहत माँ नंदा देवी की उत्पत्ति, शिव नन्दा विवाह के बाद विदाई के चरित्र चित्रण को बखूबी से दिखाया गया।
साभारः माधव सिंह नेगी, रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।