1994 में रामपुर तिराहा कांड मामले में दुष्कर्म के दोषी पीएसी के जवानों को उम्रकैद की सजा
उत्तराखंड आंदोलन के दौरान 1 अक्तूबर 1994 की रात और 2 अक्तूबर को गांधी जयंती की की सुबह तक मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर तिराहा पर मानवता को शर्मशार करने वालों पर पर कोर्ट का बड़ा चाबुक चला। सोमवार को महिलाओं से सामूहिक दुष्कर्म, छेड़छाड़ आदि के दोषी उत्तर प्रदेश पीएसी की 41वीं वाहिनी के दो तत्कालीन जवानों मिलाप सिंह व वीरेंद्र प्रताप को कोर्ट ने उम्रकैद सुनाई है। दोनो पर 50-50 हजार जुर्माना भी लगाया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-7 शक्ति सिंह की कोर्ट ने सीबीआई बनाम मिलाप सिंह मामले में बीते 15 मार्च को फैसला सुनाते हुए दोनो को दोषसिद्ध करार दिया था। आज सोमवार को कोर्ट ने दोनो को उम्रकैद सुनाई। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) परवेंद्र सिंह के साथ ही उत्तराखंड आंदोलनकारियों की ओर से अनुराग वर्मा इस मामले में पैरवी की। कुल 15 गवाह मामले में पेश किए गए थे। तब गाजियाबाद में तैनात दोनो मुजरिम अब पीएसी से सेवानिवृत हो चुके हैं। मिलाप सिंह मूल रूप से जनपद एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होर्ची गांव और वीरेंद्र प्रताप सिद्धार्थ नगर के गौरी गांव का निवासी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह था मामला
एक अक्तूबर, 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। तब आरोप लगे थे कि पुलिस के जवानों ने आंदोलनकारी महिलाओं के साथ दुष्कर्म भी किया। सीबीआई ने मामले की जांच की और पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे। सीबीआई ने कई मामले दर्ज किए, जो विभिन्न कोर्ट में चल रहे हैं। इन्हीं से से 25 जनवरी 1995 को उक्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज किए गए थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।