चारधाम यात्रा को लेकर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार की व्यवस्थाओं पर उठाए सवाल
उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य ने कहा कि चारधाम यात्रा के शुरू होने केवल 15 दिन शेष बचे हैं, लेकिन यात्रा मार्गों में इंतजाम अभी तक भी पूरे नही हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि अभी भी सरकार यह तय नही कर पाई है कि यात्रियों के रजिस्ट्रेशन की कौन सी प्रक्रिया लागू हो। इसलिए यात्रा में अनिश्चितता का माहौल हो गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक बयान में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि चारधाम यात्रा में राज्य सरकार द्वारा यात्रियों की संख्या सीमित करने व बिना ऑनलाइन पंजीकरण के यात्रा न करने देने के फरमान से तीर्थ पुरोहितों व चारधाम यात्रा से जुड़े व्यवसायी साथियों में आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने कहा कि पुरातन समय से चल रही यात्रा पर सरकार की इस नीति से दूरगामी दुष्प्रभाव पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यशपाल आर्य ने कहा कि देश मे कही भी किसी भी तीर्थ स्थान और धाम में यात्रियों की संख्या का निर्धारण नही किया गया है, लेकिन उत्तराखंड की चार धाम यात्रा में यह किया गया है। उन्होंने कहा कि इस बार सरकार ने सदियों से चली आ रही चार धाम यात्रा को सीमित करने के लिये अनेक प्रकार के प्रतिबंध लगाए है। इससे यात्रा की परंपरा तो प्रभावित होगी ही आजीविका पर भी विपरीत प्रभावित होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन पंजीयन की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड 2012 एवं 13 की प्राकृतिक एवं कोरोना-19 जैसी वैश्विक महामारी से बाहर निकला है। इसलिए उनके घावों पर मरहम लगाने के बजाय सरकार यहां के हक-हकूक धारी, पण्डा समाज, पर्यटन तथा होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों के हितों पर कुठाराघात कर रही है। चार धामों की यात्रा मार्ग पर स्थित होटल, वाहन, रेस्टोरेंट तथा अन्य व्यवसायी लोगों के व्यवसाय यहाँ के लोगों के रोजगार नहीं अपितु उनकी आजीविका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखण्ड के युवा कर्जा लेकर प्राकृतिक आपदा तथा वैश्विक आपदा के पश्चात स्वयं को पुनर्स्थापित करने का का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सरकार उन्हें मदद नही कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को अतिशीध्र उत्तराखंड के प्रमुख चार धाम यात्रा से जुड़े सभी जनमानस, व्यवसायी गण, तीर्थ पुरोहित समाज की आवाज एवं सुझाव एवं भावनाओ के अनुरूप सार्थक निर्णय लेने की आवश्यकता है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।