कानून मंत्री ने संसद में की जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना, लंबित केस को लेकर जताई चिंता

रिजिजू ने कहा कि सरकार ने केसों की लंबितता को कम करने के लिए कई कदम उठाए, लेकिन जजों के रिक्त पद भरने में सरकार की बहुत सीमित भूमिका है। कॉलेजियम नामों का चयन करता है, और इसके अलावा सरकार को जजों की नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं है। कानून मंत्री ने कहा कि जब तक जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव नहीं होता, रिक्त उच्च न्यायिक पदों का मुद्दा उठता रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सरकार ने अक्सर भारत के मुख्य न्यायाधीश और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को जजों के नाम भेजने के लिए कहा था जो गुणवत्ता और भारत की विविधता को दर्शाते हों और जिसमें महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व मिलता हो। उन्होंने कहा कि, लेकिन मौजूदा व्यवस्था ने संसद या लोगों की भावनाओं को प्रतिबिंबित नहीं किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि ऐसा लग सकता है कि सरकार न्यायपालिका में हस्तक्षेप कर रही है, लेकिन संविधान की भावना कहती है कि जजों की नियुक्ति करना सरकार का अधिकार है। यह 1993 के बाद बदल गया। रिजिजू ने 2014 में लाए गए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम का भी उल्लेख किया, जिसे 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।