वयोवृद्ध माकपा नेता बच्चीराम कंसवाल को लालझंडे की सलामी के साथ दी अंतिम विदाई, प्रेस क्लब में श्रद्धांजलि सभा

गौरतलब है कि उत्तराखंड में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता, साहित्यकार बच्चीराम कंसवाल का बुधवार 23 फरवरी को 87 साल के उम्र में निधन हो गया था। उन्होंने देहरादून में माजरी मोकमपुर स्थित आवास में आज इस दुनिया को अलविदा कहा। वह काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके सम्मान में सीपीएम कार्यालय में पार्टी का झंडा झुकाया गया। उनकी अंत्येष्ठि कल होगी।
समाजसेवा के लिए छोड़ी थी शिक्षक की नौकरी
बच्चीराम कंसवाल ने उत्तर प्रदेश के दौरान शिक्षक नेता के रूप में अपनी राजनीति की शुरुआत की। वह शिक्षा की बेहतरी तथा शिक्षकों के अधिकारों के लिए लड़ते रहे। अपनी लड़ाई को और धार देने के लिए उन्होंने शिक्षक पद छोड़ दिया और वह पूर्णकालिक तौर पर शिक्षा एवं शिक्षकों की बेहतरी के लिए संघर्ष में कूद गए। उन्होंने एमएलसी का चुनाव भी लड़ा और कुछ ही मतों से पिछड़े।
जुड़े रहे वामपंथी विचारधारा से
1980 के दशक से पूर्व बिजनौर में वह वामपंथी विचारधार से जुड़े लोगों के संपर्क में आए। इसके बाद वह वर्षों तक अपने गृह जनपद टिहरी जिले से सीपीएम के जिलासचिव रहे। वह उत्तर प्रदेश में सीपीएम राज्य कमेटी सदस्य भी रहे। उत्तराखंड बनने के बाद पार्टी राज्य सचिव मंडल के सदस्य भी रहे। साथ ही किसान सभा के राज्य अध्यक्ष बनें।
लेखनी के भी रहे धनी
बच्चीराम कंसवाल लेखनी के भी धनी थे। अपने लेख के माध्यम से वह समाज की सेवा करते रहे। पत्रकार उमेश डोभाल हत्याकांड के खिलाफ हुए संघर्ष में उनकी अग्रणी भूमिका रही। अपनी जान की परवाह किए बगैर उन्होंने माफियाओं को सलाखों तक पहुंचाया। टिहरी बांध विस्थापतों के हकों के लिए उनका संघर्ष तथा योगदान सदैव याद किया जाऐगा। वह एक कम्युनिस्ट के रूप में जीवन के अन्तिम क्षणों तक जनमुद्दों के लिए संघर्षरत रहे। दिसंबर माह में पार्टी के 7वें राज्य सम्मेलन मे सीपीएम के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने उनके अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए उन्हें साल पहनाकर सम्मानित किया था।
अंत्येष्टि के दौरान ये रहे उपस्थित
बच्चीराम कंसवाल की अन्तेष्टि में सीपीएम राज्य सचिव राजेन्द्र नेगी, सुरेंद्र सिंह सजवाण, माले के गढ़वाल सचिव इन्देश मैखुरी, केसी चन्दोला, पूर्व मन्त्री किशोर उपाध्याय, पूर्व प्रमुख खेम सिंह, सीपीआई नेता जयप्रकाश पाण्डेय, इन्दु नौडियाल, दमयंती नेगी, नुरैशा, सुधा देवली, राजेंद्र पुरोहित, टिहरी से बीजेपी नेता विनोद रतूड़ी, यूकेडी के नेता बिक्रम बिष्ट, पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली, जिलापंचायत सदस्य कमरूद्दीन, पार्टी देहरादून के सचिव अनन्त आकाश, सीटू प्रदेश महामंत्री महेंद्र जखमोला, कोषाध्यक्ष पीडी बलूनी, मन्त्री लेखराज, विजय भट्ट, नितिन मलेठा, हिमांशु चौहान, भगवन्तसिंह पयाल, इन्देश नौटियाल, वैदान्त, रविन्द्र नौडियाल, सतीश धौलाखण्डी, भगवान सिंह राणा, जगमोहन रांगड, उनके अनन्य साथियों में साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी, सोमवारी लाल उनियाल, पत्रकार आरपी डोभाल, मनमीत, प्रमोद उनियाल, त्रिलोचन भट्ट, दीपक भट्ट, चित्रवीर क्षेत्री, याकूब, जाहिद अन्जुम, डाक्टर ब्रिजेश कुमार, विनोद कुमार, पीयूष शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता शीशराम कंसवाल, शम्भु प्रसाद ममगाई, समाजसेवी जयदीप सकलानी, प्रदीप कुकरेती, डाक्टर गजेन्द्र मोहन बहुगुणा, डाक्टर विजय शंकर शुक्ल, वेदिकावेद, शैलेंद्र कुमार, पूर्व पालिकाध्यक्ष वीरेन्द्र शर्मा, पूर्व विधायक ओमगोपाल, सीपीएम के वरिष्ठ नेता एसएल रतुडी, आर पी जखमोला, लालद्दीन, पुरूषोत्तम बडोनी, शिवपाल चौहान, देवसिंह गोंसाई, जे एस रावत, सतीश धौलाखण्डी, महेंद्र कुमार, अमरबहादुर शाही आदि बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।
प्रेस क्लब ने दी कंसवाल को श्रद्धांजलि
उत्तरांचल प्रेस क्लब ने आज शोक सभा आयोजित कर उत्तराखंड के वयोवृद्ध वामनेता, विचारक व पूर्व पत्रकार बच्चीराम कंसवाल को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। क्लब ने अपने सदस्य संतोष थपलियाल के पिता बच्चीराम थपलियाल व विनोद नौटियाल के पिता सीएल नौटियाल के हाल ही में हुए निधन पर भी आज दो मिनट का मौन रखकर शोक व्यक्त किया।
दोपहर क्लब क्लब कार्यालय में आयोजित शोकसभा में क्लब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनमोहन शर्मा ने कहा कि बच्चीराम कंसवाल उत्तराखंड के उन नेताओं में थे, जिन्होंने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। क्लब महामंत्री ओपी बेंजवाल ने कहा कि 88 वर्षीय बच्चीराम कंसवाल न केवल उत्तराखंड के जनसंघर्ष की अग्रपंक्ति के नेता थे, अपितु पूर्व में एक पत्रकार के तौर पर अपनी कलम के जरिए उन्होंने टिहरी बांध विरोधी आंदोलन समेत यहां के लोकसंघर्षों को मजबूती दी।
क्लब अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल ने कहा कि वामनेता होने के बावजूद बच्चीराम कंसवाल उत्तराखंड के उन नेताओं में थे, जिनके प्रति अन्य राजनीतिक विचारधाराओं से जुड़े लोग भी सम्मान रखते थे। उत्तराखंड में पुराने दौर की संघर्ष, शुचिता और समर्पण वाली राजनीति के जो चुनिंदा लोग शेष हैं, बच्चीराम कंसवाल उनमें एक थे। शोक सभा में क्लब कोषाध्यक्ष नवीन कुमार, कनिष्ट उपाध्यक्ष गीता मिश्रा, संयुक्त मंत्री नलिनी गुसाईं, कार्यकारिणी सदस्य महेश पांडे, राजेश बड़थ्वाल, राजकिशोर तिवारी, योगेश सेमवाल आदि भी शामिल रहे।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।