शराबी पति और जीजा को सबक सिखाने वाला ललित मोहन गहतोड़ी का कुमाऊंनी गीत-ओ म्येरा भिंज्यू
ओ म्येरा भिंज्यू “पीतामबर”
ओ म्येरा भिंज्यू
ओ म्येरा भिंज्यू
ओ म्येरा भिंज्यू “पीतामबर”
कि खोजि भिंज्यू मि खन घर
वर खोजि भिंज्यू तुमले पिबेर
पितुमिबेर… पीतामबर…
बर्बादी घर शराबि वर
पी खोजि भिंज्यू शराबि वर
ओ म्येरा भिंज्यू…
तुम पिनै देख्छा एकै नंबर
सब करि दिंन्छा फेल दर फेर
भरि दफोरि घुमछा पी बेर
हेरि खोजि मिलछा शराबि ठौर
ओ म्येरा भिंज्यू…
वर खोजि तिमिले रक्सि खा बेर
अंग्रेजि देशि द्वियै मिसैबेरौ
तिमिले पी बेर अनदेखि करिदि
इनको नशा घर बर्बादि कर
ओ म्येरा भिंज्यू…
सुन म्येरा भिंन्यूं सुन म्येरि टेर
बिना पिये भिंन्ज्यू बस एक बेर
इनै समझै दिया पुलिस बलूनूं
तुमकन इनकन जेल भेजनूं
ओ म्येरा भिंज्यू…
प्रस्तुत गीत का सार
ओ म्येरा भिंज्यू, पहाड़ को खोखला कर रही शराब पर आधारित है। शराबी जीजा अपनी साली के लिए भी शराबी वर खोजता है। शराब की लत से परेशान साली जीजा पीतांबर को पीतुमिबेर कहकर चिढ़ाती है और शराबी पति की शराब की लत को छुड़ाने के हर संभव प्रयास करती है। अंत में वह जीजा और पति दोनों को पुलिस में पकड़ाने की बात कह देती है।
रचनाकार का परिचय
नाम-ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।