कुमाऊंनी साहित्यकार मथुरादत्त मठपाल का लंबी बीमारी के चलते निधन
कुमाऊंनी साहित्य के पुरोधामथुरादत्त मठपाल का लंबी बीमारी के के चलते 80 वर्ष की आयु में आज रविवार को निधन हो गया। वह पिछले दो माह से न्यूरो से सम्बंधित बीमारी से त्रस्त थे। सुबह करीब साढे़ सात बजे अपने नैनीताल जिले के रामनगर के पंपापुर स्थित आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। वह अपने पीछे भर पूरा परिवार छोड़ गए है। रामनगर मोक्षधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी चिता को मुखाग्नि उनके पुत्र नवेन्दु मठपाल, भतीजे दिनेश मठपाल, प्रकाश मठपाल ने संयुक्त रूप से दी।
मथुरादत्त मठपाल का जन्म 29 जून 1941 को अल्मोड़ा जनपद के नोला, भिकियासैंण गांव में हुआ। 2014 में उन्हें उनके कुमाउनी भाषा कार्यों के लिए साहित्य के सर्वोच्च सम्मान साहित्य अकादमी भाषा सम्मान से नवाजा गया। वे 35 साल तक इंटर कालेज विनायक, भिकियासैंण में इतिहास के प्रवक्ता रहे। सेवानिवृत्ति की आयु के तीन साल पहले ही उन्होंने स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। इसके बाद वे कुमाउनी भाषा की सेवा में लग गए। उन्होंने 20 साल तक अनवरत रूप से कुमाउंनी पत्रिका दुदबोली का सम्पादन किया। उनकी अंतिम यात्रा के दौरान रंगकर्मी ललित बिष्ट, अजेंद्र सुंदरियाल, मानसी रावत ने उनकी कविताओं का स्वर वादन करते हुए उन्हें अपनी शोक संवेदना व्यक्त की।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
दुखद ओम् शान्ति?