Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 11, 2025

ललित मोहन गहतोड़ी की कलम से कुमाऊंनी होली गीत-तू लगती जैसे दिलजानी

ललित मोहन गहतोड़ी की कलम से कुमाऊंनी होली गीत-तू लगती जैसे दिलजानी।

तू लगती जैसे दिलजानी…
अनूजा तेरि सूरत भलि स्वानी
अनूजा तेरि सूरत भलि स्वानी
तू लगती जैसे दिलजानी
अनूजा तेरी सूरत भलि स्वानी

पतली सुकली गाल लाल लाल ।।2।।
दिखती है तू अति स्वानी…
अनूजा तेरी सूरत भलि स्वानी…
तू लगती जैसे दिलजानी…

तीखे नैना नाक नुकीली।।टेक।।
दिल बसी मूरत महारानी…
अनूजा तेरी सूरत भलि स्वानी…
तू लगती जैसे दिलजानी…

झट आकर के बोल दे मुझसे।।2।।
कब बनेगी मेरी पटरानी…
अनूजा तेरी सूरत भलि स्वानी…
तू लगती जैसे दिलजानी…

आओ खेलै फाग वसंती।।2।।
करले अपनी भी मनमानी…
अनूजा तेरी सूरत भलि स्वानी…
तू लगती जैसे दिलजानी…

कवि का परिचय
नाम-ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *