ललित मोहन गहतोड़ी की कलम से कुमाऊंनी होली गीत-तू लगती जैसे दिलजानी
तू लगती जैसे दिलजानी…
अनूजा तेरि सूरत भलि स्वानी
अनूजा तेरि सूरत भलि स्वानी
तू लगती जैसे दिलजानी
अनूजा तेरी सूरत भलि स्वानी
पतली सुकली गाल लाल लाल ।।2।।
दिखती है तू अति स्वानी…
अनूजा तेरी सूरत भलि स्वानी…
तू लगती जैसे दिलजानी…
तीखे नैना नाक नुकीली।।टेक।।
दिल बसी मूरत महारानी…
अनूजा तेरी सूरत भलि स्वानी…
तू लगती जैसे दिलजानी…
झट आकर के बोल दे मुझसे।।2।।
कब बनेगी मेरी पटरानी…
अनूजा तेरी सूरत भलि स्वानी…
तू लगती जैसे दिलजानी…
आओ खेलै फाग वसंती।।2।।
करले अपनी भी मनमानी…
अनूजा तेरी सूरत भलि स्वानी…
तू लगती जैसे दिलजानी…
कवि का परिचय
नाम-ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।