आओ बताएं जमीन के भीतर समाधि लेने का सच, चार घंटे तक भीतर किस तरह रह सकते हो जिंदा

सामग्री और विधि
इस कार्य के लिए कुदाल, तसला, लकड़ी के तख्ते, दरी, पुराने अखबार, फूल, पानी की बोतल, अगरबत्ती आदि की जरूरत पड़ती है। साथ ही इस काम के लिए कई लोगों की भी आवश्यकता होती है। जो सबसे पहले छह फुट लंबे, तीन फुट चौड़े और चार फुट गहरे गड्ढे को खोदते हैं। फिर इसमें दरी को बिछाकर उसमें समाधि लेने वाले को बैठा दिया जाता है। यदि आवश्यक है तो वह पानी की एक बोतल जरूर रख ले, ताकि उसका गला सूखे तो वह पानी की सके।
अब गड्ढे के ऊपर तख्ते बिछा देते हैं। ऐसे में गड्ढे में बैठा व्यक्ति एक कमरानुमा गड्ढ़े में बैठ या लेट सकता है। तख्ते के ऊपर अखबार बिछा देते हैं। फिर मिट्टी से गड्ढे को ढक दिया जाता है। इसके बाद लोगों को ये दर्शाने के लिए कि भीतर बैठा व्यक्ति योगी है। वह योग क्रिया से जिंदा रह सकता है, इसके लिए समाधि के ऊपर फूल बिखेर देते हैं। साथ ही वहां अगरबत्ती जला देते हैं। करीब चार घंटे के बाद समाधि को खोला जाता है। बाहर निकलने पर समाधि लेने वाले की पूजा की जाती है।
तथ्य और सावधानी
मनुष्य के लिए सांस लेने के लिए जितनी वायु की जरूरत होती है, वह इस आकार के गड्ढ़े में चार घंटे तक पर्याप्त होती है। समाधि लेने वाले को ये ध्यान रखना चाहिए कि वह गड्ढे के भीतर ऑक्सीजन को नष्ट न करे। धूम्रपान न करे। गड्ढे में लैंप न जलाए। गड्ढे में कोई सामान न रखे। साथ ही ध्यान रखें की गड्ढा किसी कूड़ेदान या गंदी जगह के पास नहीं खोदना चाहिए। ऐसे में कई बार विषैली गैस फैलने का भय हो सकता है।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।