जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि, राशियों के मुताबिक रंगों का इस्तेमालः डॉ. आचार्य संतोष खंडूड़ी
होलिका महोत्व बसंत पर्व जीवन में अनेक रंगों के साथ खेला जाने वाला त्योहार है। इस त्योगार में व्यक्ति अपने जीवन के अनेक प्रकार की बाधाएं, विपदाएं, शोक, ताप और पाप को नष्ट कर खुशियों का रंग भरते हैं।

अहंकार को समाप्त करने का त्योहार
होलिका महोत्सव प्रायः आठ दिन का मनाया जाता है। इसके अष्टांग योग से जोड़ा गया है। प्रायः यम नियम प्राणायाम् प्रत्याहर ध्यान धारणा और समाधि के माध्यम से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है। अर्थात भक्त प्रह्लाद ने इन्हीं अष्टांग योगों के माध्यम से भगवत प्राप्ति के लिए यह योग कर अपने आप को सार्थक बनाया था। इस कारण पिता रूपी हिरण्यकश्यप का वध कर धरती को पापाचार से मुक्त कराया था। अहंकार, दुर्बुद्धी, क्रोध को समाप्त करने का ही दिवस होलिका दहन है। इसमें हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का अस्तित्व समाप्त कर परमात्मा का विभूति के रूप में प्रकट हो गए। इससे लोग होली का त्योहार मनाकर आनंदित होते हैं।
महत्वपूर्ण तिथि है होलिका दहन
होलिका दहन का समय आज गुरुवार यानी कि 17 मार्च को सांय आठ बजकर 56 मिनट से करीब 10 बजकर 22 मिनट तक है। इस काल में होलिका दहन करने से भद्रा रहित होने से यह लोक कल्याणकारी, समाज को शांति और सुख प्रदान करने वाली और संशय को मिटाने वाली होती है। होली पर्व के आठ दिनों को हम प्रायः होलाष्टक के रूप में जानते हैं। यह आठ दिन किसी भी प्रकार के शुभ कार्य अर्थात मंगल कार्य विवाह, 16 संस्कार, गृह प्रवेश या किसी नए कार्य की शुरुआत के लिए ग्रहण करने योग्य नहीं हैं। परंतु ऐसे समय पर जप, तप, ध्यान, अधिक से अधिक फल देने वाला होता है। ऐसे समय पर विशेष तंत्र पूजाएं समस्याओं के समाधान के लिए प्रयोग की जाती हैं। ऐसे काल में प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने जीवन के संकट की मुक्ति के लिए अधिक से अधिक पूजा विधि का उपयोग करें।
बन रहा है ये संयोग
होली के दिन सरवार्थ अमृत सिद्ध योग बन रहा है। होलिका दहन तुला लग्न पर हो रहा है। लग्न का स्वामी शुक्र, मंगल और शनि के साथ है। ऐसे में ये उत्पात अर्थात द्वंद्व योग बना रहे हैं। इसमें कलह, क्लेश और अग्नि भय, दुर्घटनाएं आदि की स्थिति बनी रहती है।
होलिका दहन के समय करें इस प्रकार से पूजा
होलिका दहन के समय नारियल, श्रीफल, गोला, पंच मेवा, पंच मिष्ठान, रोली, मोली, कच्चा धागा, गाय के उपले, धूप अगरबत्ती, दीपक आदि लेकर अपने सपरिवार का हाथ लगाकर होलीका दहन के स्थान पर भक्तिपूर्व पूजा करें। भक्त प्रह्लाद के साथ ही भगवान नृसिंह का ध्यान करें। अपने भीतर के अहंकार और क्रोध की शांति की कामना करें। गले लगकर परस्पर मैत्री भाव को बढ़ाएं।
रंगों की होली का शुभ मुहूर्त
पूर्णमासी तिथि 17 मार्च को दोपहर एक बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होकर 18 मार्च की दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक है। अर्थात इसी समय के भीतर होलिका दहन और होली खेली जानी चाहिए। यानी कि 18 मार्च की सुबह छह बजकर 25 मिनट से दोपहर एक बजकर 56 मिनट तक रंगोत्सव होली का आनंद ले सकते हैं।
होली में करें आहार पर नियंत्रण
होली में आहार पर नियंत्रण करें। नहीं तो कई प्रकार के रोग बढ़ सकते हैं। जहां एक ओर मौसम परिवर्तन ठंड से गर्मी की ओर होता है। इस कारण मनुष्य के शरीर में भी पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है। इस काल में आहार पर नियंत्रण रखते हुए अपने आप को स्वस्थ रखने में ही श्रेष्ठ भक्ति है।
इन रंगों के साथ बढ़ाएं अपने जीवन की ऊर्जा
मेष राशि वाले लाल रंग का प्रयोग करें। वृष राशि वाले दूसरों पर लगाने के लिए नीले रंग का प्रयोग करें। मिथुन राशि वाले हरे रंग, कर्क राशि वाले पिंक कलर, सिंह राशि वाले लाल, नीला और पीला, कन्या राशि वाले हरा रंग, तुला राशि वाले हरा रंग, वृश्चिक राशि वाले लाल रंग, धनु राशि वाले पीला रंग, मकर राशि वाले नीला, कुंभ राशि वाले नीला, मीन राशि वाले पीले रंग का प्रयोग करें।
आचार्य का परिचय
आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी
(धर्मज्ञ, ज्योतिष विभूषण, वास्तु, कथा प्रवक्ता)
चंद्रविहार कारगी चौक, देहरादून, उत्तराखंड।
फोन-9760690069
-9410743100
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।