केजरीवाल ने छोड़ा करंट, विपक्ष बोला बिजली, सीएम बोले बिजली, उत्तराखंड के मुख्य सचिव भी बोले बिजली
उत्तराखंड में दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने बिजली का करंट ऐसा छोड़ा कि विपक्षी राजनीतिक दलों से लेकर उत्तराखंड सरकार सब बिजली बिजली बोलने लगी।
पहले हरक सिंह रावत बोले बिजली, नहीं ले पाए क्रेडिट
उत्तराखंड के ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने हाल ही में घोषणा की थी कि प्रदेश में 100 यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी। दो सौ यूनिट तक बिलों में 50 फीसदी की छूट दी जाएगी। इसे लेकर उन्होंने ऊर्जा निगम के अधिकारियों के साथ बैठक कर इसकी रणनीति तैयार करने के निर्देश दिए। ताकि कैबिनेट की बैठक में इसका प्रस्ताव लाया जा सके। इसके एक दिन बाद ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हरक सिंह रावत के प्रयासों पर ये कहकर विराम लगा दिया कि ऐसा सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं है। जब प्रस्ताव आएगा तो सभी पहलुओं पर विचार करके निर्णय होगा।
अरविंद केजरीवाल बोले बिजली
शुक्रवार नौ जुलाई को उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पूरे प्रदेश भर में बिजली के रेट बढ़ाने के विरोध में और प्रत्येक उपभोक्ता को 300 यूनिट फ्री बिजली देने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इसके अगले दिन 10 जुलाई को आप कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को लेकर सीएम आवास कूच किया। ठीक अगले दिन 11 जुलाई को दिल्ली के सीएम केजरीवाल देहरादून आए और बिजली को लेकर चार घोषणाएं कर गए। उन्होंने गारंटी दी कि यदि उत्तराखंड में आप की सरकार बनती है तो सभी उपभोक्ताओं को 300 यूनिट फ्री बिजली, पुराने बिजली के बिल माफ, किसानों को मुफ्त बिजली के साथ ही कभी पावर कट नहीं लगेगा।
विपक्षियों के साथ ही सीएम धामी भी बोले बिजली
केजरीवाल की इस घोषणा के बाद प्रदेश भर में बिजली का करंट फैलता जा रहा है। विपक्षी दल कांग्रेस इसे हवाई कह रही है। वहीं, भाजपा भी इसे केजरीवाल का झूठा चुनावी प्रपंच बता रहे हैं। इस मुद्दे पर पत्रकारों ने जब सीएम पुष्कर सिंह धामी से पूछा तो वह ये तो नहीं बोले कि हम सस्ती बिजली देंगे, लेकिन इतना जरूर कहा कि सरकार अच्छी बिजली दे रही है। सस्ती बिजली दे रही है। उत्तराखंड के हित में जो भी होगा हम करेंगे। हालांकि कोरोनाकाल में बिजली के रेट बढ़ाने और बार बार बिजली गुल होने का सवाल न तो मौके पर मौजूद मीडिया ने पूछा और न ही इस पर सीएम ने कुछ कहा।
अब शासन भी बोला बिजली
बिजली के रेट कम हों या नहीं। उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली मिले या नहीं। ये निर्णय सीएम और मंत्रियों करना है। शासन में बैठे अधिकारी व्यवस्थाओं को लेकर ही कसरत कर सकते हैं। ऐसे में मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने सोमवार 12 जुलाई को सचिवालय में ऊर्जा विभाग की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को विद्युत चोरी एवं विद्युत लाईन लॉस को कम करने के लिए लगातार प्रयासरत रहने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने हाईड्रो प्रोजेक्ट की व्यवहार्यता पर एक अध्ययन कराए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्र में रह रहे नागरिक को भी बेहतर विद्युत व्यवस्था उपलब्ध हो, इसके लिए विभाग निरन्तर प्रयास करे।
सचिव ऊर्जा राधिका झा ने प्रदेश में ऊर्जा के क्षेत्र में लिये गये महत्वपूर्ण निर्णयों, कार्यों तथा ऊर्जा के तीनों निगमों एवं उरेडा की ओर से कराये जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों, उपलब्धियों तथा सुधारों की जानकारी दी। बताया कि ऊर्जा विभाग के निगमों एवं अभिकरणों में कार्मिकों एवं अधिकारियों की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए प्रमुख निष्पादन सूचकांक (केपीआई) के आधार पर मूल्यांकन व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड ने अक्षय ऊर्जा एवं सभी को विद्युत उपलब्ध कराने में देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। एलईडी ग्राम लाईट योजना पर कार्य किया जा रहा है।
ऊर्जा सचिव ने बताया कि निगम की ओर विगत चार वर्षों में राजस्व वृद्धि की बढ़ोतरी के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं। इसके अंतर्गत विद्युत चोरी रोकने के लिए ऊर्जागिरी अभियान सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। साथ ही बिलिंग दक्षता में 4 प्रतिशत की वृद्धि प्राप्त की गई है। एवं वर्ष 2020-21 में एटी एण्ड सी हानियों में भी कमी की गई है। उन्होंने कहा कि ट्रांसमिशन लोस 2017-18 में 1.39 प्रतिशत था जो वर्ष 2020-21 में 1.11 प्रतिशत है।
ऊर्जा सचिव ने बताया कि सौभाग्य योजना के तहत 164390 हाउसहोल्ड को विद्युतिकृत किया गया है। इसमें 5271 सौर ऊर्जा के माध्यम से शामिल हैं। नए 40 सीटर कॉल सेंटर लगातार 24×7 कन्ज्यूमर फीडबैक के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 129.50 मेगावाट की विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण, विद्युत लाईनों को भूमिगत करने का कार्य तथा सबस्टेशनों के निर्माण के साथ ही स्मार्ट मीटरिंग के कार्यों को पूर्ण करने के कार्यों के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इस अवसर पर यूपीसीएल के प्रबन्ध निदेशक डॉ. नीरज खैरवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।