शीतकाल के लिए बंद किए गए केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट

उत्तराखंड स्थित केदारनाथ धाम और यमुनोत्री मंदिर के कपाट रविवार तीन नवंबर को भाई दूज के मौके पर वैदिक अनुष्ठानों के बीच शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इससे एक दिन पहले दो नवंबर को गंगोत्री धाम के कपाट बंद कर दिए गए थे। गंगोत्री के कपाट बंद होने से अब देश-विदेश के श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास मुखीमठ (मुखवा) में कर सकेंगे। इसके अगले दिन चार नवंबर को तृतीय केदार, तुंगनाथ के कपाट बंद होंगे। साल 2024 में बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को रात 9 बजकर 7 मिनट पर बंद होंगे। द्वितीय केदार, मद्महेश्वर के कपाट 20 नवंबर को बंद होंगे। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा का पूरी तरह समापन हो जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
केदारनाथ धाम में कपाट बंदी के दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए। तड़के 4 बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। भगवान आशुतोष के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप दिया गया। इसके उपरांत विधि-विधान से मंदिर के कपाट सुबह 8.30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कपाट बंद होने के बाद सेना की बैंड धुनों के साथ बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए प्रस्थान कर दिया है। बाबा केदार की डोली पहले रात्रि प्रवास पर रामपुर पहुंचेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सोमवार को डोली रामपुर से रात्रि प्रवास के लिए गुप्तकाशी और मंगलवार को गुप्तकाशी से पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी। जहां पर सभी धार्मिक मान्यताओं के निर्वहन के साथ बाबा केदार की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली को छह माह की पूजा के लिए मंदिर में विराजमान किया जाएगा। यहीं आगामी छह माह तक भोले बाबा की पूजा होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तीन नवंबर को भैया दूज के अवसर पर सुबह सात बजे खरसाली से शनि महाराज की डोली यमुनोत्री के लिए रवाना हुई। दोपहर 12.05 बजे यमुनोत्री के कपाट बंद कर दिए गए। इसके बाद शनि महाराज के नेतृत्व में मां यमुना की डोली खरसाली पहुंची। कपाट बंद होने के बाद खरसाली में स्थित यमुना मंदिर में मां यमुना के दर्शन श्रद्धालु कर सकेंगे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।