सौ साल में इस साल जुलाई सबसे गर्म महीना, अगले साल होगी और गर्मी, 2050 तक डूब जाएंगे कई शहर
पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन का असर तापमान में भी लगातार पड़ता जा रहा है। गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है। इस बीच, अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल प्रेडिक्शन ने गर्मी को लेकर एक रिपोर्ट जारी की। इसमें बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर तीन जुलाई अब तक का सबसे गर्म दिन रहा। वैज्ञानिकों ने कहा कि बढ़ती गर्मी कोई जश्न नहीं, बल्कि लोगों के लिए मौत की सजा है। वहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष ऐजेंसी नासा के टॉप क्लाइमेटोलॉजिस्ट (जलवायु विज्ञानी) गेविन श्मिट ने कहा कि जुलाई 2023 संभवत: 100 सालों का सबसे गर्म महीना हो सकता है। इस महीने में अब तक किसी न किसी देश में हर दिन गर्मी के रिकॉर्ड टूटे हैं। रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की बात की जानकारी यूरोपियन यूनियन और मेन यूनिवर्सिटी में हुई स्टडी से मिली है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हीटवेव से बिगड़ रहे हैं कई देशों के हालात
इस दौरान ग्राउंड और सैटेलाइट डेटा को स्टडी किया गया। इसमें हीटवेव के बढ़ने और इससे होने वाले नुकसान साफ दिखाई दिए। क्लाइमेटोलॉजिस्ट गेविन श्मिट ने कहा- क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) बहुत तेज हो रहा है। अमेरिका, यूरोप, चीन जैसे देशों में हीटवेव से हालात बिगड़ रहे हैं। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा पहुंच गया है। ये लगातार बढ़ रहा है। रिकॉर्ड टूट रहे हैं। ये सब अल नीनो के कारण हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अलनीनो का असर
अल नीनो एक वेदर ट्रेंड है, जो हर कुछ साल में एक बार होता है। ये घटना दुनिया के सबसे बड़े महासागर प्रशांत महासागर में होती है। इसमें ईस्ट पैसिफिक ओशन में पानी की ऊपरी परत गर्म हो जाती है। वर्ल्ड मीटियरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (WMO) ने बताया कि इस क्षेत्र में फरवरी में औसत तापमान 0.44 डिग्री से बढ़कर जून के मध्य तक 0.9 डिग्री पर आ गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वर्ष 2024 में पड़ेगी ज्यादा गर्मी
क्लाइमेटोलॉजिस्ट श्मिट ने कहा कि फिलहाल अल-नीनो का जलवायु परिवर्तन पर असर कम पड़ रहा है। ये आने वाले समय में बढ़ सकता है। समुद्र में पानी की ऊपरी परत तेजी से गर्म हो रही है। ये तापमान एटमॉसफियर में बढ़ती कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की वजह से बढ़ रहा है। हम ईंधन के लिए फॉसिल फ्यूल्स को जलाते हैं। इनके जलने से हर साल दुनिया भर से 4000 करोड़ टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन (कार्बन एमिशन) होता है। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि अल-नीनो का असर इस साल के आखिर में बढ़ेगा। ऐसा हुआ तो साल 2024 इस साल की तुलना में और गर्म हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तीन जुलाई को सबसे गर्म दिन
तीन जुलाई 2023 दुनिया का सबसे गर्म दिन था। अमेरिका के नेशनल सेंटर्स फॉर एनवायर्नमेंटल प्रेडिक्शन के मुताबिक, 3 जुलाई अब तक का सबसे गर्म दिन बन गया था। इस दिन एवरेज ग्लोबल टेम्परेचर 17 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया, जो अगस्त 2016 में दर्ज किए गए अब तक के सबसे गर्म दिन के तापमान (16.92 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा था। ग्रांथम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज एंड द एन्वायर्नमेंट के साइंटिस्ट फ्रेड्रिक ऑट्टो ने कहा कि हमने कोई ऐसा मील का पत्थर नहीं पार किया है, जिसका जश्न मनाना चाहिए। ये इको सिस्टम के लिए मौत की सजा जैसा है। उन्होंने बताया कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो जल्द ही ये रिकॉर्ड भी टूट जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सर्दी के मौसम में भी गर्मी की मार
रिपोर्ट में कहा गया है कि अंटार्कटिका में इस समय सर्दियों का मौसम है, लेकिन यहां असामान्य रूप से उच्च तापमान दर्ज किया गया है। अर्जेंटीना द्वीप समूह में यूक्रेन के वर्नाडस्की रिसर्च बेस ने हाल ही में 8.7 डिग्री सेल्सियस के साथ अपने जुलाई तापमान रिकॉर्ड को तोड़ दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यूएस में हीटवेव की चपेट में 11 करोड़ लोग
अमेरिका में लगातार बढ़ते पारे ने लोगों को जीना मुश्किल कर दिया है। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में अगले हफ्ते तापमान खतरनाक लेवल पर पहुंचने वाला है। इसकी चपेट में 11 करोड़ 30 लाख लोग हैं। फ्लोरिडा, कैलिफोर्निया और वॉशिंगटन में इसे लेकर एडवाइजरी जारी की जा चुकी हैं। अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस ने लोगों से कहा है कि वो अपने सेहत के साथ कोई रिस्क ने लें। 15 जुलाई को अमेरिका के एरिजोना राज्य में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। अमेरिकी मौसम विभाग ने बताया है कि कैलिफोर्निया की डेथ वैली में इस हफ्ते पारा 54 डिग्री तक पहुंच जाएगा। डेथ वैली दुनिया की सबसे गर्म जगहों में से एक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यूरोप के कई देशों में तापमान 45 डिग्री पहुंचा
यूरोप की स्पेस एजेंसी ने इटली, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी और पोलैंड में गर्मी को लेकर अलर्ट जारी किया है। यहां तापमान 45 डिग्री पहुंच गया है। इटली ने रोम और फ्लोरेंस समेत अपने 16 शहरों के लिए हीटवेव की चेतावनी जारी की है। सरकार ने लोगों से 11 से शाम 6 बजे तक धूप में न रहने की सलाह दी है। स्पेन के कैनरी आइलैंड में तापमान बढ़ने से जंगल की आग शुरू हो गई है। वहीं, ग्रीस में भी लोग गर्मी से परेशान हैं। ग्रीस में जंगल में आग लगने का खतरा बढ़ गया है। 2021 में भी जंगल में आग लगने की बड़ी घटना हुई थी। चीन में भी हीटवेव के साथ तापमान रिकॉर्ड 35 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
2050 तक हो जाएगी खतरनाक स्थिति
2050 तक धरती का तापमान 1.5 से 2 डिग्री तक बढ़ा तो कई देशों पर इसका असर पड़ेगा। 10 साल के भीतर आर्कटिक महासागर की पूरी बर्फ पिघल जाएगी। मालदीव जैसे देश पूरी तरह से डूबने की कगार पर आ जाएंगे। मुंबई, चेन्नई, विशाखापट्टनम जैसे 12 शहर 3 फिट पानी में डूब जाएंगे। बाढ़ का बहाव वर्ष 2000 की तुलना में 6.7 गुना ज्यादा होगा। दुनिया की 14% आबादी हीट वेव का सामना करेगी। क्वाला, सफेद भालू समेत 4 फीसद जानवर विलुप्त हो जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ईरान एयरपोर्ट का हीट इंडेक्स 66.7 डिग्री सेल्सियस
ईरान के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर रविवार को हीट इंडेक्स 66.7 डिग्री सेल्सियस हो गया। इसकी वजह जो बताई गई है, अमूमन ऐसा कम ही या न के बराबर होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक- इसकी वजह बहुत ज्यादा तापमान और वातावरण में उमस का बहुत ज्यादा होना है। एक वजह फारस की खाड़ी से आने वाली गर्म हवाएं भी हैं। दरअसल, धरती बेहद गर्म थी और जब फारस की खाड़ी से उठने वाली गर्म हवा इनसे मिली तो हीट इंडेक्स बढ़ता चला गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वैज्ञानिकों ने बताया ये कारण
ब्रिटेन के जलवायु वैज्ञानिक फ्रेडरिक ओटो ने बढ़ते तापमान को लेकर कहा कि यह कोई मील का पत्थर नहीं है, जिसका हमें जश्न मनाना चाहिए। यह लोगों के लिए मौत की सजा है। वहीं, अन्य वैज्ञानिकों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन इसके लिए जिम्मेदार है। शोधकर्ताओं का मानना है कि अल नीनो नामक प्राकृतिक मौसम घटना और इंसानों की ओर से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के संयोजन से गर्मी बढ़ रही है। बता दें, भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान बढ़ने की घटना ‘अल नीनो’ कहलाती है।
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