पूर्व सैनिकों को साधेंगे जेपी नड्डा, चेहरे ही बजाय कमल के निशान पर बीजेपी का जोर, नाइट वॉचमैन की भूमिका में धामी
आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का दो दिवसीय दून दौरे के पहले दिन ऐसे कोई संकेत नहीं मिले कि पुष्कर सिंह धामी के चेहरे के साथ भाजपा चुनाव मैदान में उतरेगी। फिलहाल भाजपा अपनी पहले वाली रणनीति को ही अमल में लाती नजर आ रही है। यानी कि कमल के निशान के साथ ही भाजपा चुनाव मैदान में उतरेगी। वहीं, फिलहाल वर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी नाइट वॉचमैन की भूमिका में नजर आ रहे हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी ने कर्नल (से.नि.) अजय कोठियाल को सीएम उम्मीदवार का चेहरा घोषित कर दिया है। वहीं, लाख कौशिश के बावजूद पूर्व सीएम हरीश रावत भी कांग्रेस में चेहरा घोषित नहीं करा पाए हैं। कांग्रेस की तर्ज पर ही भाजपा भी चेहरा घोषित करने का रिस्क नहीं उठा सकती है।
चार साल तक उत्तराखंड में भाजपा के लिए सबकुछ ठीकठाक घट रहा था। फिर मार्च माह में अचानक तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया। वह भी तकनीकी पेच के चलते ज्यादा दिन सीएम नहीं रहे और फिर उन्हें हटाकर पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया गया। धामी के लिए कुछ ही महीनों का समय है। क्योंकि अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में उनकी भूमिका सिर्फ नाइट वॉचमैन की ही नजर आ रही है। क्योंकि भाजपा की बैठकों में ऐसे कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव धामी के चेहरे को लेकर लड़ा जाएगा। हर बैठकों में कार्यकर्ताओं पर ही जोर दिया जा रहा है। क्योंकि पार्टी के आला नेता जानते हैं कि यदि इस बार चुनावी नैया पार लगेगी तो वो सिर्फ कार्यकर्ताओं के बल पर ही लगेगी। क्योंकि सरकार ने ऐसे कोई काम नहीं किए, जिसे लेकर जनता के बीच जाया जाए। वहीं, हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव संगठन बीएल संतोष भी कह चुके थे कि भाजपा कमल के निशान के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी।
कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को दे रहे जीत का मंत्र
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने दून दौरे के पहले दिन विधायकों और सांसदों के साथ भी विकास कार्य और चुनाव को लेकर चर्चा की। बैठक में नड्डा ने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से जनाकांक्षाओं पर खरा उतरने की अपेक्षा की। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से अपने काम व्यवहार पार्टी के गरिमा के अनुरूप कार्यपद्धति को अपनाने पर जोर दिया। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सभी मंत्रियों की बैठक भी ली। इसमे मंत्रियों से उनके मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी ली।
पूर्व सैनिकों को साधेंगे नड्डा
वहीं, आज शनिवार 21 अगस्त को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जी के उत्तराखंड प्रवास के दूसरे दिन कार्यक्रम के तहत रायवाला के वुड्स रिसोर्ट में पूर्व सैनिकों से संवाद करेंगे। साथ ही उन्हें सम्मानित भी करेंगे। पार्टी संगठन की चुनावी चर्चा के बीच पूर्व सैनिकों को साधने का कार्यक्रम आम आदमी पार्टी की भाजपा में सेंध की दृष्टि से देखा जा रहा है। आम आदमी पार्टी कर्नल (सेनि) अजय कोठियाल को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। कर्नल कोठियाल सैनिकों में पकड़ बना रहे हैं। अभी तक पूर्व सैनिकों के वोट भाजपा को मिलते रहे हैं। ऐसे में अब स्वयं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सैनिकों से भेंट कर रहे हैं। इसके साथ ही ये संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है कि क्या इससे पहले उनके किसी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कभी मिला है। सिर्फ भाजपा की ऐसी पार्टी है, जिसका अध्यक्ष हर वर्ग के लोगों से मिलता है।
सीएम धामी ने अभी तक नहीं हासिल की कोई उपलब्धि
सूत्र बताते हैं कि सीएम का चेहरा घोषित न करने के पीछे कई कारण हैं। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि सीएम धामी को ही आगामी सीएम का चेहरा घोषित करना भाजपा के लिए मुश्किल है। क्योंकि अभी तक उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया, जिसके बल पर चुनाव लड़कर जीता जा सकता है। इसे पार्टी आलाकमान भी अच्छी तरह जानता है। देस्थानम बोर्ड का मामला हो, या फिर ग्रामीण एरिया में प्राधिकरण का मामला। भू कानून हो या फिर अन्य मुद्दे। अभी तक सरकार ने किसी से भी पार पाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए हैं। हालांकि उन पर किसी तरह के आरोप फिलहाल नहीं हैं। ऐसे में वे सिर्फ नाइट वॉचमैन की भूमिका में हैं। कारण ये है कि सभी जानते थे कि जो काम पांच साल में होते हैं, वे छह माह में धामी नहीं कर सकते हैं। ऐसे में पार्टी केंद्र की नीतियों पर ज्यादा फोकस कर रही है। पीएम मोदी भी किसी कार्यक्रम के दौरान जब भी किसी से बातचीत करते हैं तो उत्तराखंड का व्यक्ति जरूर होता है। वहीं, उनके भाषणों में उत्तराखंड का नाम जरूर रहता है। ताकी ये संदेश दिया जा सकते कि पीएम को उत्तराखंड की बहुत चिंता है। 20 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर से जुड़े कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया तो उनके भाषण में उत्तराखंड के केदारनाथ का जिक्र भी था।
पूर्व सीएम की फौज, कई दावेदार
भाजपा में इस समय पूर्व सीएम की फौज है। इनमें कई सीएम पद के दावेदार हैं। इनमें भगत सिंह कोश्यारी, रमेश पोखरियाल निशंक, कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए विजय बहुगुणा, तीरथ सिंह रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत, भुवन चंद्र खंडूड़ी सहित लंबी चौड़ी पूर्व सीएम की फौज है। इन सभी के अपने अपने समर्थक हैं। ऐसे में इनमें भी कई सीएम पद के दावेदार हो सकते हैं या फिर वे किसी को सीएम बनाना चाहते हैं। ऐसे में यदि चुनाव से पहले चेहरा घोषित किया गया तो इनके समर्थक भी बिखर सकते हैं।
ये भी हैं दावेदार
पूर्व सीएम के अलावा भाजपा में कई कद्दावर नेता ऐसे हैं, जिनका गाहे बगाहे सीएम के दावेदारों के रूप में नाम सामने आता रहा है। इनमें सांसद अजय भट्ट, सुबोध उनियाल, हरक सिंह रावत, राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी, सतपाल महाराज, धनसिंह रावत हैं। सूत्र बताते हैं कि नारंगी के भीतर इन लोगों की बहुत अहमियत है। सभी के साथ कार्यकर्ताओं और समर्थकों की लंबी लाइन है। ऐसे में यदि पहले ही सीएम का चेहरा घोषित किया गया तो चुनाव लड़ने में दिक्कत हो सकती है। क्योंकि यदि एक का नाम घोषित होगा तो दूसरे नेता के समर्थक बिफर जाएंगे। ऐसे में उन्हें संभालना मुश्किल हो जाएगा।
कार्यकर्ता ही हैं मुख्य ताकत
इस समय बीजेपी आलाकमान भी जानता है कि पिछले साढ़े चार साल में उत्तराखंड में सरकार की जो किरकिरी हुई, उसके बल पर चुनाव जीतना संभव नहीं है। ऐसे में सरकार के पास भी ऐसी कोई उपलब्धि फिलहाल नहीं है कि जनता के बीच उसे लेकर जाए और लोग हाथोंहाथ ले। ऐसी स्थिति में सिर्फ संगठन के दम पर ही चुनाव जीतने का लक्ष्य रखा जाएगा। तभी बीजेपी के नेता बार बार ये ही दोहरा रहे हैं कि कमल के निशान और 60 प्लस के लक्ष्य को लेकर चुनाव में भाजपा उतरेगी। मतलब ये है कि चेहरा कोई नहीं होगा। सिर्फ पार्टी के झंडे और संगठन के बल पर ही चुनाव लड़ा जाएगा। बार बार सीएम बदलने से कार्यकर्ताओं का उत्साह भी ठंडा पड़ने लगा है। नाराजगी का आलम यहां तक है कि धामी के शपथ ग्रहण समारोह में देहरादून महानगर के कार्यकर्ताओं ने खुद को अलग रखा। वे इस कार्यक्रम में नहीं गए। अब राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं कार्यकर्ताओं को साधने का प्रयास कर रहे हैं। क्योंकि सभी जानते हैं कि सिर्फ कार्यकर्ताओं के बल पर ही चुनाव जीता जा सकता है। कार्यकर्ताओं से तो जेपी नड्डा यहां तक बोल गए कि हर महीने उनसे मिलने उत्तराखंड आऊंगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।