Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 21, 2024

मंगल ग्रह में इंसान का जिंदा रहना हुआ आसान, नासा ने तैयार की लाल ग्रह पर ऑक्सीजन

दुनिया भर के वैज्ञानिक मंगल ग्रह में जीवन की संभावनाएं खोज रहे हैं। इसके लिए निरंतर खोज जारी है। मंगल ग्रह को इंसानों के अगले ठिकाने के तौर पर देखा जाता है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) इस ग्रह पर इंसानों को भेजने की तैयारी कर रही है। अरबपति एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी भी मंगल ग्रह पर इंसानी बस्ती बनाने में जुटी हुई है। हालांकि, मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन नहीं है, जिसका मतलब है कि इंसान वहां जिंदा नहीं रह सकता है। अब NASA ने इस चुनौती को भी पार कर लिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पृथ्वी के बाहर मानव अभियानों के लिए ऑक्सीजन जरूरी
पृथ्वी के बाहर के मानव अभियानों के लिए ऑक्सीजन एक प्रमुख संसाधन है। इसलिए चंद्रमा हो या मंगल। वहां पर ऑक्सीजन की तलाश की जा रही है। मंगल पर ऑक्सजीन कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में प्रचुर मात्रा में हैं, लेकिन ऑक्सीजन के रूप में नहीं। इसलिए कोशिश है कि वहां ऐसी व्यवस्था हो कि ऑक्सीजन का उत्खनन हो सके। अभी भारत के प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऑक्सीजन के होने की पुष्टि की है तो वहीं नासा को अब मंगल से खुशखबरी मिली है। नासा के पर्सिवियरेंस रोवर के साथ गए उपकरण ने मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन के निर्माण का प्रयोग सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तैयार की ऑक्सीजन
NASA ने अपने एक ब्लॉग में बताया कि उसने मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक ऑक्सीजन तैयार की है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का परसिवरेंस रोवर मंगल ग्रह पर चक्कर लगा रहा है। नासा ने बताया कि रोवर के जरिए ऑक्सीजन पैदा करने का एक्सपेरिमेंट किया गया, जो पूरी तरह से सफल रहा है। इस तरह आखिरकार लाल ग्रह पर ऑक्सीजन तैयार कर ली गई है। नासा के इस सफल एक्सपेरिमेंट ने इंसानों के लिए मंगल ग्रह पर बसने के रास्ते को खोल दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे तैयार की गई ऑक्सीजन
अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने माइक्रोवेव-ओवन साइज के एक डिवाइस को तैयार किया। इसे MOXIE के तौर पर जाना जाता है। नासा ने बताया कि MOXIE को रोवर के साथ मंगल ग्रह पर भेजा गया था। इसकी मदद से ही मंगल ग्रह पर मौजूद कार्बन डाइ-ऑक्साइड से ऑक्सीजन तैयार किया गया है। स्पेस एजेंसी ने कहा कि इस टेस्ट ने दिखाया है कि हम मंगल ग्रह के वातावरण में मौजूद कार्बन डाइ-ऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदल सकते हैं। ये हमारे भविष्य में होने वाले मंगल मिशन को और भी ज्यादा आसान बना देगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तैयार की गई 122 ग्राम ऑक्सीजन
नासा ने MOXIE के जरिये 122 ग्राम ऑक्सीजन तैयार की है। भले ही ये बहुत ही कम लगती है, मगर इस डिवाइस ने उम्मीद से ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करके दिखाया है। MOXIE के जरिए तैयार ऑक्सीजन 98 फीसदी तक शुद्ध या कहें बेहतरीन है। नासा का कहना है कि ऑक्सीजन का इस्तेमाल न सिर्फ सांस लेने के लिए किया जा सकता है, बल्कि ये फ्यूल के तौर पर भी यूज हो सकता है। नासा वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रमा और मंगल ग्रह जैसी जगहों पर बेस बनाने के लिए ये टेक्नोलॉजी बेहद जरूरी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे करता है काम
नासा के रोवर के साथ भेजा गया MOXIE डिवाइस इलेक्ट्रोकेमिकल प्रोसेस का इस्तेमाल करता है। वह मंगल ग्रह के वातावरण में मौजूद कार्बन डाइ-ऑक्साइड यानी CO2 के प्रत्येक मॉलिक्यूल से एक ऑक्सीजन एटम अलग कर लेता है। इसके बाद निकाले गए ऑक्सीजन एटम का विश्लेषण किया जाता है, ताकि ये पता लगाया जा सके वह कितना शुद्ध है। साथ ही पैदा की गई ऑक्सीजन गैस की मात्रा भी चेक की जाती है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए एस्ट्रोनोट्स लंबे समय तक मंगल ग्रह पर रह पाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मंगल पर मानव अभियान के लिए
नासा लंबे समय से कई रोवर और प्रोब मंगल ग्रह के लिए भेज चुका था, लेकिन 2021 में उसने पर्सिवियरेंस रोवर जब मंगल के लिए रवाना किया तो लोगों में उत्साह इसलिए था कि उसका मकसद मंगल पर जीवन के संकेत तलाशने के साथ ही ऐसे प्रयोग करना था। ताकि मंगल ग्रह पर मानव अभियान सफल हो सके। इन्हीं में से एक प्रयोग मंगल के संसाधनों से ऑक्सीजन का उत्खनन करने का था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मंगल के संसाधनों का उपयोग
मॉक्सी की तकनीक मगंल पर गए अंतरिक्ष यात्रियों को वहां की सतह पर रहने में मददगार साबित होगी। इससे वहां पर उनकी ऑक्सीजन की जरूरत पूरी हो सकती है। यह मंगल के ही संसाधनों का उपयोग कर वहां जिंदा रहने की कवायद की दिशा में बड़ी सफलता है। इस तरह की अवधारणा को इन सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन कहते हैं। इस प्रयोग की सफलता के बाद अब मॉक्सी जैसा ऑक्सीजन जनरेटर की तरह बड़े पैमाने का तंत्र बनाया जाएगा। इसके साथ ही ऑक्सीजन को तरल कर उसका भंडारण किया जा सकेगा। इसके लिए कुछ अन्य तकनीकों के मंगल पर काम कर पाने की पुष्टि का होना जरूरी है। इससे नासा को भविष्य में इस तरह की तकनीक में निवेश करने की प्रेरणा मिलेगी।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

1 thought on “मंगल ग्रह में इंसान का जिंदा रहना हुआ आसान, नासा ने तैयार की लाल ग्रह पर ऑक्सीजन

  1. I salute to esteemed loksakshya.com to deliver interesting and knowledgeable scientific, literary, cultural and intellectual news and views continuously for readers. Loksakshya is one of the best portal/ page or channel of Los well as global.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *