क्या राहुल गांधी सही बोल रहे, अक्साई चीन में चीन ने बिछाया सुरंगों का जाल, भारतीय सेना के लिए क्या हैं मायने
एक बार फिर से सवाल उठता है कि जो कांग्रेस नेता राहुल गांधी बार बार बोल रहे हैं, क्या ये बात सच है। क्योंकि हाल ही में एक बार फिर राहुल गांधी ने चीन के नए नक्शे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मैं वर्षों से कह रहा हूं कि प्रधानमंत्री ने जो कहा है कि लद्दाख में एक इंच जमीन नहीं गई, ये सरासर झूठ है। पूरा लद्दाख जानता है कि चीन ने हमारी जमीन हड़प ली है। उन्होंने कहा कि पूरा लद्दाख जानता है कि चीन ने अतिक्रमण किया है। यह मानचित्र मुद्दा बहुत गंभीर है, उन्होंने जमीन छीन ली है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज चीन द्वारा अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश पर दावा करने वाले नक्शे को जारी करने के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बयान देने की मांग की। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि मैप की बात बड़ी गंभीर है, लेकिन इन्होंने (चीन) जमीन तो ले ही ली है। उस बारे में भी प्रधानमंत्री को कुछ कहना चाहिए। यहां हम राहुल गांधी का जिक्र इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि एनडीटीवी सहित अन्य मीडिया की रिपोर्ट्स कुछ ऐसा ही दावा कर रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चीन ने किया बंकरों का निर्माण शुरू
उत्तरी लद्दाख में डेपसांग मैदानों से साठ किलोमीटर पूर्व में, चीन ने सैनिकों और हथियारों के लिए बंकरों का निर्माण शुरू कर दिया है। चीन नदी घाटी के किनारे एक पहाड़ी में सुरंगें बना रहा है। पहचानी गई ये जगह वास्तविक नियंत्रण रेखा के पूर्व में अक्साई चीन में स्थित है, जो चीन के कब्जे वाला क्षेत्र है और ऐतिहासिक रूप से भारत इस पर दावा करता रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पहाड़ी के नीचे चल रहा है काम
लद्दाख के देपसांग क्षेत्र से करीब 60 किमी पूरब में चीन की सेना ने सुरंग बनाना शुरू कर दिया है। सैनिकों और हथियारों के शेल्टर के तौर पर घाटी से लगती पहाड़ी में कई बंकर और शाफ्ट तैयार किए जा रहे हैं। सैन्य ठिकाना बनाने के लिए पहाड़ी के नीचे तराशने का बड़ा काम चल रहा है। यह क्षेत्र अक्साई चिन में पड़ता है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पूर्व में है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत का है इलाके पर चीन का कब्जा
यहां ये बताना भी जरूरी है कि यह इलाका वैसे तो भारत का है, लेकिन अभी चीन के कब्जे में है। Maxar से मीडिया में आई तस्वीरों में चीन की बड़ी तैयारी और साजिश का पता चलता है। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक एक हफ्ते तक इन तस्वीरों का विश्लेषण करने वाले अंतरराष्ट्रीय भू-खुफिया विशेषज्ञों ने नदी घाटी के दोनों किनारों पर चट्टान में कम से कम 11 पोर्टलों (सुरंग का प्रवेश द्वार) या शाफ्ट के मौजूद होने की पुष्टि की है। इन तस्वीरों से पता चलता है कि पिछले कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य हुए हैं। इसे भारत की तरफ से संभावित हवाई हमलों, लंबी दूरी तक मार करने वाले तोप के गोलों और दूसरे हथियारों से सैनिकों को बचाने का प्रयास माना जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बंकर, सुरंग और अब नक्शा
चीन ने सोमवार 28 अगस्त को नया नक्शा जारी कर अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपनी सीमा में दिखाया। इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक कहा कि सिर्फ बेतुके दावे करने से दूसरों के क्षेत्र आपके नहीं हो जाते। उन्होंने कहा कि बीजिंग ने पहले भी उन क्षेत्रों पर दावा करते हुए ऐसे नक्शे जारी किए थे, जो उसके नहीं हैं। यह चीन की पुरानी आदत है। NDTV के एक कार्यक्रम में मानचित्र पर पूछे गए सवाल पर जयशंकर ने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है। इसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी इसलिए भारत के कुछ क्षेत्रों पर दावा करने वाला मानचित्र पेश करने से मुझे लगता है कि इससे कुछ नहीं बदलता। ये भारत का हिस्सा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है चीन
‘दि इंटेल लैब’ के सैटलाइट इमेजरी विशेषज्ञ डेमियन साइमन कहते हैं कि अंडरग्राउंड सुविधाएं और सीमा के इतने करीब बुनियादी ढांचे को तैयार करना चीन के रणनीतिकारों का अक्साई चिन में भारतीय वायुसेना के सामने अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारतीय सेना से संभावित खतरों को दूर करने की कोशिश
प्रमुख भारतीय ड्रोन स्टार्टअप, न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज के CEO समीर जोशी ने कहा कि गलवान संघर्ष के बाद के वर्षों में भारतीय सेना ने लंबी दूरी के हथियार और तोपें तैनात की हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ी को खोदने का चीन का फैसला सीधे तौर पर भारत की ज्यादा आक्रामक क्षमता से जुड़ा हुआ है। वह कहते हैं कि मजबूत शेल्टर, बंकर, सुरंगें और सड़कों को चौड़ा करना यह स्पष्ट रूप से भारतीय सेना से संभावित खतरे को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर हो रही निर्माण गतिविधि की वजह है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत की तैयारी
भारतीय वायुसेना लद्दाख में चीन के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर तैनात है। श्रीनगर और अवंतीपुरा में एयरफोर्स के फाइटर बेस हैं। एयरफोर्स न्योमा में एयर लैंडिंग ग्राउंड रनवे का विस्तार करने की तैयारी में है, जो पैंगोंग झील के पास 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। न्योमा में रनवे का विस्तार चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा से 50 किमी से भी कम दूरी पर भारतीय वायुसेना को बड़ी संख्या में लड़ाकू विमानों को तैनात करने में सक्षम बनाएगा। शायद चीन इसी से डरा हुआ है। एक्सपर्ट कह रहे हैं कि लद्दाख में चीन अपनी सैन्य मौजूदगी को बढ़ा रहा है। संभावित एयरस्ट्राइक और तोप के हमले से निपटने की यह चीन की तैयारी है। उसने अंडरग्राउंड स्टोरेज फसिलिटी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तनातनी को कम करने में फिक्रमंद नहीं है चीन
चीन के मामलों पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट ब्रह्म चेलानी कहते हैं कि अक्साई चिन में स्थायी बंकर और दूसरे निर्माण करना यह दिखाता है कि वह भारत के साथ सैन्य तनातनी को कम करने के लिए फिक्रमंद नहीं है। वह एक कदम आगे बढ़ गया है। वह पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल-तिब्बत बॉर्डर के पास वाले इलाकों में बड़ी तैयारी कर रहा है। ऐसे में भारतीय सेना को भी अलर्ट रहना होगा।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।