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December 16, 2024

देहरादून में शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव, विरोध में उत्तरकाशी में सेब कास्तकारों ने निकाला जुलूस

उत्तराखंड में सेब की मार्केटिंग को बढ़ाने के लिए पहली अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव शुरू हो गया। इसके विरोध में उत्तरकाशी में कास्तकारों ने कलक्ट्रेट परिसर में ढोल नगाड़ों के जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया।

उत्तराखंड में सेब की मार्केटिंग को बढ़ाने के लिए पहली अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव शुरू हो गया। देहरादून में आयोजित इस इस अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव में हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड समेत अन्य प्रदेशों से तमाम सेब उत्पादकों ने हिस्सा लिया। इस महोत्सव में तकरीबन देशभर से 50 सेब की वैरायटी सम्मिलित की गई। महोत्सव का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में सेब उत्पादन को बढ़ावा देना है और उत्तराखंड के सेब की पहचान इंटरनेशनल मार्केट तक पहुंचाना है। ताकि उत्तराखंड की सेब की ब्रांडिंग नेशनल से लेकर इंटरनेशनल मार्केट में हो सके। वहीं, उत्तरकाशी जिले में हर्षिल घाटी के आठ गांवों के सेब कास्तकार देहरादून में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव का विरोध कर रहे हैं। इसके विरोध में उत्तरकाशी में कास्तकारों ने कलक्ट्रेट परिसर में ढोल नगाड़ों के जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया।

देहरादून में महोत्सव का उद्घाटन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। इस मौके पर कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल, उच्च शिक्षा एवं सहकारिता विभाग मंत्री धन सिंह रावत, द्वाराहाट के विधायक महेश जोशी भी मौजूद रहे।
इस मौके पर मुखयमंत्री ने उद्यान विभाग की ओर से आयोजित महोत्सव की प्रसंशा की। साथ ही उन्होंने उद्यान कर्मियों को भी कोरोना वारियर्स घोषित किया। साथ ही कहा कि राज्य सरकार की ओर से संचालित मिशन एप्पल योजना के बजट को दोगुना किया जाएगा। उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि इस कार्यक्रम से सेब उत्पादन को नई दिशा मिलेगी। साथ ही कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से किसानों को नवनीतम तकनीकी की जानकारी मिलती है। भविष्य में भी ऐसे आयोजन किए जाएंगे।

इस मौके पर उद्यान निदेशक डा. एचएस बवेजा ने सभी का स्वागत किया। कहा कि प्रदेश के किसानों को नवनीतम तकनीकी के माध्यम से गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त करने में पूर्ण सहयोग प्रदान किया जा रहा है। शीघ्र ही उत्तराखंड सेब उत्पादन में वृद्धि प्राप्त करेगा। कार्यक्रम के अन्त में कृषि एवं कृषक कल्याण के अपर सचिव डा. राम बिलास यादव, ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विष्वविद्यालय भरसार के कुलपति डा अजय कुमार कर्नाटक, बागवानी मिशन के निदेशक संजय श्रीवास्तव, कृषि निदेशक गौरी शंकर, निदेशक कैम डा नृपेन्द्र चैहान, निदेशक रेशम डा एके यादव, उद्यान विभाग के पूर्व निदेशक, डा बीएस नेगी, कैम के अपर निदेशक डा जगदीश चन्द्र, डा रतन कुमार, अमर सिंह, डा. सुरेश राम, महेन्द्र पाल, आलोक गुप्ता, एम0पी0 शाही, अरूण पाण्डे, उत्तराखंड सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष डीपी उनियाल आदि उपस्थित थे।


सेब महोत्सव के विरोध में हर्षिल घाटी के कास्तकारों ने निकाला जुलूस
उत्तरकाशी में हर्षिल घाटी के आठ गांवों के सेब कास्तकार देहरादून में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव के विरोध में कलक्ट्रेट परिसर में ढोल नगाड़ों के साथ जुलूस निकला। सेब काश्तकारों का कहना है कि हर्षिल घाटी में सेब की तुड़ान शुरू हो चुकी है, लेकिन अभी तक झाला में करोड़ों की लागत से तैयार कोल्ड स्टोर का संचालन शुरू नहीं हो पाया। इस कारण सेब काश्तकारों को सेब केअच्छे दाम नहीं मिल पाए हैं। दूसरी और प्रदेश सरकार उच्च गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हर्षिल के सेब के पीछे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पीठ थपथपाना चाहती है।
हर्षिल घाटी के सेब कास्तकार शुक्रवार को उत्तरकाशी के रामलीला मैदान में एकत्रित हुए। उसके बाद घाटी के दर्जनों सेब काश्तकारों ने ढोल दमाऊ के साथ जिला कलक्ट्रेट मुख्यालय में कूच किया। जहां पर सेब काश्तकारों ने कृषि मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हर्षिल घाटी के सेब काश्तकारों हर्षिल प्रधान दिनेश रावत, सतेंद्र पंवार, संजय पंवार, माधवेन्द्र रावत, उमेश पंवार ने कहा कि प्रदेश सरकार चाहती है कि देहरादून में आयोजित सेब महोत्सव में हर्षिल घाटी के सेबों की प्रदर्शनी लगाई जाई। कृषि मंत्री और प्रदेश सरकार की ओर सेब काश्तकारों की अनदेखी की गई है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव का विरोध कर एक भी सेब महोत्सव में नहीं भेजा गया।
हर्षिल घाटी के सेब काश्तकारों ने मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में कहा कि झाला में बना कोल्ड स्टोर अभी तक शुरू नहीं किया गया है। जिस कारण सेब काश्तकारों को अच्छे दाम नहीं मिल पाए हैं। साथ ही कहा कि हर्षिल घाटी का सेब कश्मीर के सेब से गुणवत्ता में कई बेहतर है। फिर भी कृषि मंत्री अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। काश्तकारों का कहना है कि आज सरकार की अनदेखी के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। जहां एक और कोविडकाल की मार रही, तो वहीं अब सेब के दाम न मिलने से बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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