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March 15, 2025

कार्यशाला में छात्रों को नवाचार की प्रसांगिकता और कानून के बारे में दी गई जानकारी

राजकीय महाविद्यालय कोटद्वार भाबर मे बौद्धिक सम्पदा अधिकार विषय पर जागरूकता के लिए एक कार्यशाला आयोजित की गई।

राजकीय महाविद्यालय कोटद्वार भाबर मे आन्तरिक गुणवत्ता आष्वासन प्रकोष्ट एवं भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग आन्तरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीवीआईआईटी) के संयुक्त तत्वाधान में बौद्धिक सम्पदा अधिकार विषय पर जागरूकता के लिए एक कार्यशाला आयोजित की गई। इसका उद्घाटन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो विजय कुमार अग्रवाल ने किया।
कार्यशाला एवं आईक्यूऐसी के संयोजक डा विनय देवलाल ने अपने स्वागत भाषण का प्रारम्भ कर आईपीआर कार्यशाला के उद्देश्यों तथा युवा छात्रों के लिए इसके महत्व पर प्रकाश डाला। डा विनय देवलाल ने छात्र-छात्राओं को ज्ञान पूल के निर्माण, संचय और समृद्ध जानकारी के माध्यम से नवाचार की प्रसांगिकता तथा कानून के बारे में जानकारी दी। उन्होंने आईपीआर जागरूकता के विषय में जिज्ञासा उत्पन्न करने को लेकर चर्चा की।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता डीवीआईआईटी के सहायक नियंत्रक मो अतिकउल्ला ने अपने विशेष वक्तव्य में भारत के युवाओं में रचनात्मकता के साथ – साथ नवाचार, अनुसंधान, तथा विकास के मार्ग के रूप में बौद्धिक सम्पदा को शक्तिशाली शस्त्र के रूप में प्रयोग करने पर जोर दिया। उन्होने भारत में बौद्धिक सम्पदा अधिकार, संस्कृति को मजबूत बनाने के लिए नवाचार की ओर प्रयासों को साझा किया। मो अतिकउल्ला ने भारत में आईपीआर सम्बन्धित जागरूकता के न होने तथा भारत में इसकी धीमी गति पर चिंन्ता जताई। उन्होने आईपीआर साक्षरता व जागरूकता पहल के लिए सरकार के प्रयासों को साझा किया।
उन्होने कहा कि साहित्य, विज्ञान तथा कला सभी में नवाचार व अविष्कारों का सृजन कर तथा सांस्कृतिक विरासतों को सरंक्षित कर इस दिशा की ओर बढ़ना होगा। उन्होने नवाचार शिक्षा तथा उद्योग तथा आईपीआर पंजीकरण के बिच सामंजस्य को भी महत्वपूर्ण बताया। बौद्धिक सम्पदा अधिकार विभिन्न आईपी तथा उसके शासकीय निकायों के विषय में जानकारी दी एवं इनके महत्व को साझा किया। उन्होंने पेटेंट प्रकिया एवं पंजीकरण के बारे में जानकारी दी। पेटेंट और डिजाईन के क्षेत्र में शैक्षिक संस्थाओं के लिए अनेको योजनायें एवं विषेशाधिकार प्राप्ति पर प्रकाश डाला। बौद्धिक सम्पदा से जुडे, पेटेंट, डिजाईन, ट्रेडमार्क, कापीराईट आदि पर विस्तार से जानकारी दी ।
उन्होंने उत्तराखंड के भौगोलिक, संस्कृतिक संकेतको के पंजीकरण के महत्व भी बतायें। डा उषा सिंह ने बताया की प्रोद्योगिकी के युग में बौद्धिक सम्पदा की बढ़ती प्रासंगिकता के साथ बौद्धिक सम्पदा से सम्बन्धित प्रणालीयों की भूमिका अहम हो गई है। इसलिए छात्र-छात्राओं को इसके महत्व को समझना अतिआवश्यक है।
कार्यक्रम के अन्त में प्राचार्य प्रो विजय कुमार अग्रवाल ने सभी प्रतिभागियों तथा मुख्य वक्ता को धन्यवाद प्रेषित कर आईपीआर कार्यशाला के बहुउपयोगिताओं को अपनी संस्कृति ज्ञान व अविष्कारों को पहचान दिलवाने तथा नवीन भारत निर्माण व ज्ञान की रक्षा कर समृद्ध भारत बनाने में महत्वपूर्ण कदम बताया। उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए आईपीआर के प्रासांगिक पहलुओं के प्रति जागरूक रहने के लिए प्रेरित किया।
कार्यशाला का संचालन डा उशा सिंह ने किया। कार्यशाला में उत्तराखंड व अन्य राज्यों के 250 से अधिक प्रतिभागियों ने वर्चुअली प्रतिभाग किया। उक्त कार्याशाला में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक एवं छात्र-छात्रायें उपस्थित रहें।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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