महंगाई दर घटी, जमकर हो रहा प्रचार, पेट्रोल, डीजल, राशन की कीमत तो वही, फिर क्या हुआ सस्ता, जानिए कैसे बनाते हैं मूर्ख
अक्सर आप समाचारों में बड़ी बड़ी हेडलाइन पढ़ते होंगे कि महंगाई दर बढ़ी या घटी। जब महंगाई दर बढ़ती है तो सरकार और सत्ताधारी दल चुप्पी साध लेते हैं। वहीं, जैसे ही इसमें गिरावट आती है, तो चारों तरफ प्रचार का डंका बजने लगता है। एक बार फिर से सीपीआई के आंकड़े सामने आए तो प्रचार किया जाने लगा कि महंगाई घट गई। ऐसी खबरों की हेड लाइन सिर्फ व्यक्ति को मूर्ख बनाने के लिए की हो सकती हैं। क्योंकि आवश्यक वस्तुओं के दाम तो वहीं हैं। फिर महंगाई कम कहां से हुई। ऐसा ही कुछ गणित है, जिससे अक्सर आम आदमी को तसल्ली दी जाती है। वैसे मैं अर्थशास्त्री नहीं हूं। विज्ञान का छात्र रहा हूं। फिर भी मैने महंगाई को लेकर जो समझा है, या पढ़ा, उससे आप को भी अवगत कराने का प्रयास कर रहा हूं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लगातार बढ़ रही है महंगाई
यदि हम महंगाई की बात करें तो पिछले कई सालों से महंगाई लगातार बढ़ रही है। चाहे दालों के दाम हों, या फिर रसोई गैस सिलेंडर के दाम। या फिर पेट्रोल और डीजल के दाम। इन सबमें जितनी तेजी से वृद्धि हुई, लेकिन इनमें शायद की किसी की कीमतें कम हुई हों। इसी तरह बच्चों की स्कूल की फीस, मकान का किराया, कापी किताबों का खर्च, परिवहन में रेल, बस, टैक्सी, टैंपो, हवाई जहाज का किराया, इनमें कुछ भी तो कम नहीं हुआ। फिर महंगाई कैसे कम हो गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ताजा आकंड़ों को लेकर किया जा रहा है प्रचार
अब मीडिया में प्रचार किया जा रहा है कि महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी को बड़ी राहत मिली है। मई महीने के कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI के आंकड़े जारी हो गए हैं। इसके साथ ही भारत में खुदरा महंगाई दर सालाना आधार पर 25 महीने के निचले स्तर 4.25 प्रतिशत पर आ गई है। अप्रैल में यह 4.70 प्रतिशत थी। महंगाई दर मतलब है किसी सामान या सेवा की समय के साथ कीमत बढ़ना। इसे हम किसी महीने या साल के हिसाब से मापते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीपीआई आधारित महंगाई लगातार चौथे महीने भारतीय रिजर्व बैंक की निर्धारित सीमा 2-6 फीसदी के अंदर रही है। जनवरी से अब तक 227 बेसिस पॉइंट की भारी गिरावट के बावजूद, CPI महंगाई लगातार 44वें महीने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4 फीसदी से ऊपर बनी हुई है। मई में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 25 माह के निचले स्तर 4.25 प्रतिशत पर आ गई। सरकार की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। आंकड़ों के अनुसार, मई, 2023 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.25 प्रतिशत रही जो अप्रैल, 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर है। अप्रैल, 2021 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.23 प्रतिशत पर थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब समझिए क्यों सस्ती नहीं हुई आवश्यक वस्तुएं
महंगाई दर कम होने का मतलब ये नहीं है कि हर वस्तु सस्ती हो जाएगी। इसका सीधा मतलब है कि अप्रैल में महंगाई दर 4.70 प्रतिशत थी और मई में 4.25 प्रतिशत पर आ गई। यानि कि महंगाई बढ़ने की रफ्तार में रोक लगी। ये आंकड़े महंगाई बढ़ने की रफ्तार के हैं। ऐसे में जो वस्तुएं पहले से महंगी मिल रही हैं, उनकी कीमतों में तो इसका कोई असर नहीं दिखेगा। क्योंकि यदि महंगाई की दर माइनस में पहुंचती है तो कीमतें सस्ती हो सकती हैं। फिलहाल तो महंगाई बढ़ रही है। चाहे इसकी रफ्तार 4.70 यो या फिर 4.25 फीसद हो। यानि महंगाई तो लगातार बढ़ रही है। उसकी गति कम या धीरे जरूर हो रही है। ऐसे में इसे महंगाई घटना कैसे कहा जाएगा। महंगाई घटना तो तब कहा जाएगा, जब महंगाई दर माइनस में आएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जिन वस्तुओं के दाम बढ़ चुके हैं, वो तो पहले जैसे ही हैं। चाहे परिवहन किराया हो या फिर पेट्रोल की कीमतें। या फिर दैनिक उपभोग की वस्तुएं। दूध के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। हर साल बिजली और पानी के बिल में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। आम आदमी के जेब से तो उसी रफ्तार से पैसा निकल रहा है, जैसा पहले निकल रहा था। इतना जरूर है कि जिस गति से महंगाई बढ़ रही थी, उसमें हल्का सा ब्रेक जरूर लगा, लेकिन इसे राहत कहना बेमानी होगा।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।