दुनियाभर में प्रदूषित देशों में भारत का आठवां नंबर, टाप 50 शहरों में 39 भारत के
वर्ष 2022 में भारत दुनियाभर में आठवां सर्वाधिक प्रदूषित देश रहा। वहीं, उससे पिछले साल भारत पांचवें पायदान पर था। इसके साथ ही भारत में PM 2.5 लेवल 53.3 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक गिर गया, लेकिन यह अब भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित सीमा से 10 गुणा से भी ज़्यादा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह रैंकिंग स्विस फर्म IQAir ने मंगलवार को जारी अपनी ‘वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट’ में दी है। रैंकिंग का आधार PM 2.5 के स्तर को बनाया गया है, जिसे विज्ञानी और स्वास्थ्य विशेषज्ञ प्रमुख प्रदूषक तत्व मानते हैं, और उस पर नज़र रखते हैं। आंकड़े 131 मुल्कों से लिए गए, जिन्हें 30,000 से ज़्यादा ग्राउंड-बेस्ड मॉनिटरों से जुटाया गया। इनमें सरकारी और गैर-सरकारी मॉनिटर शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शीर्ष 100 में भी सबसे ज्यादा भारत के शहर
टॉप प्रदूषित शहरों की सूची में भारतीय शहर बहुत ज़्यादा नज़र आ रहे हैं। इस बार सूची में सबसे ज़्यादा 7,300 से अधिक शहरों के आंकड़े दर्ज किए गए हैं, जबकि पिछली बार 2017 में 2,200 से भी कम शहरों की सूची बनाई गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वायु प्रदूषण की आर्थिक कीमत 150 अरब अमेरिकी डॉलर है। भारत में PM 2.5 के कुल प्रदूषण का 20-35 फीसदी हिस्सा ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर पैदा करता है। इसके अलावा प्रदूषण के अन्य स्रोतों में औद्योगिक इकाइयां, कोयला-चालित पॉवर प्लान्ट और बायोमास बर्निन्ग शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पाकिस्तान का लाहौर और चीन का होतान दुनिया के सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर हैं। इनके बाद राजस्थान का भिवाड़ी और दिल्ली तीसरे और चौथे पायदान पर हैं। दिल्ली में PM 2.5 का लेवल 92.6 माइक्रोग्राम है, जो सुरक्षित सीमा से लगभग 20 गुणा ज़्यादा है। प्रदूषण के मामले में दुनिया के टॉप 10 शहरों में से 6 शहर भारत के हैं।टॉप 20 में 14 शहरों के नाम दर्ज हैं। टॉप 50 शहरों में 39 भारतीय नगर हैं। टॉप 100 प्रदूषित शहरों में से 65 शहर हिन्दुस्तान के हैं। पिछले साल इस सूची में भारत के 61 शहर थे। नए वर्गीकरण के बाद अब दिल्ली और नई दिल्ली, दोनों ही टॉप 10 प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत के 6 मेट्रो शहरों के नाम टॉप सूची में
अन्य मेट्रो शहरों की तुलना में कोलकाता ही दिल्ली के बाद सबसे ज़्यादा प्रदूषित है, लेकिन दिल्ली की तुलना में अंतर काफी ज़्यादा है। तुलनात्मक रूप से देखने पर चेन्नई काफी साफ है। यहां प्रदूषण का स्तर WHO के सुरक्षित स्तर से ‘सिर्फ’ 5 गुणा ज़्यादा है। जिन मेट्रो शहरों में 2017 के बाद से प्रदूषण के औसत स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, उनमें हैदराबाद और बेंगलुरू शामिल हैं।