दो हजार का नोट चलन से बाहर होने पर गिरा भारतीय रुपया, डालर के मुकाबले पहुंचा इस स्तर पर
भारत में दो हजार के नोट को चलन से बाहर करने की भारतीय रिजर्व बैंक की घोषणा के बाद भारतीय रुपये में भी गिरावट दर्ज की गई है। घोषणा के एक दिन बाद ही रुपये में ये गिरावट सात पैसों की देखी गई। वहीं, अभी भी लोगों को दो हजार के नोट को बंद करने का कारण समझ नहीं आया है। क्योंकि यदि काले धन पर इससे रोक लगाने की बात हो रही है, तो वैसे भी दो हजार के नोट बाजार से काफी समय से गायब थे। जो कालाधन रखता होगा तो क्या वह पांच सौ या सौ के नोट जमा नहीं कर रहा होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मई माह में डालर के मुकाबले रुपये में गिरावट लगातार देखी जा रही है। एक मई को एक अमेरिकी डॉलर की कीमत भारतीय रुपये के हिसाब से 81 रुपये 77 पैसे थी। ये बढ़ते बढ़ते 18 मई को 82 रुपये 73 पैसे हो गई। 19 मई को नोटबंदी के दिन एक डॉलर की कीमत 82 रुपये 84 पैसे हुई और आज 20 मई को 82 रुपये 91 पैसे है। ऐसे में दो हजार के नोट के बंद होने पर भारतीय रुपये पर आगे क्या असर पड़ेगा, ये अर्थशास्त्री ही बेहतर बता सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शुक्रवार को आरबीआई ने की थी घोषणा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को 2000 रुपये के नोट को सितंबर 2023 के बाद चलन से बाहर करने की घोषणा की है। इस फैसले के बाद विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार को घेर रही है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार 19 मई की शाम को जारी एक बयान में कहा कि अभी चलन में मौजूद 2000 रुपये के नोट 30 सितंबर तक वैध मुद्रा बने रहेंगे। इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों से 2,000 रुपये का नोट देने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने को कहा है। आरबीआई ने बैंकों से 30 सितंबर तक ये नोट जमा करने एवं बदलने की सुविधा देने को कहा है। बैंकों में जाकर 23 मई से 2,000 रुपये के नोट बदले और जमा किए जा सकेंगे। हालांकि एक बार में सिर्फ 20,000 रुपये मूल्य के नोट ही बदले जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कुछ साल से एटीएम से गायब हो गए थे दो हजार के नोट
आरबीआई का यह कदम 8 नवंबर 2016 के उस अप्रत्याशित ऐलान से थोड़ा अलग है। तब आधी रात से ही 500 और 1,000 रुपये के तत्कालीन नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था। उसी समय आरबीआई ने 2,000 रुपये के नोट जारी किए थे। नवंबर 2016 में एक रात अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच सौ और हज़ार रुपए के नोट बंद करने की घोषणा की थी। फिर सरकार गुलाबी रंग का दो हज़ार रुपए का नया बड़ा नोट लेकर आई थी। हालांकि बीते सालों में 500 का नोट तो ख़ूब चला, लेकिन एटीएम और बैंकों में 2000 के नोटों की किल्लत पर सवाल उठते रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तब दिया गया था ये तर्क
जब पांच सौ और एक हजार के नोटों को बंद किया गया था, तब तर्क दिया गया था कि इससे आतंकवाद की कमर टूटेगी। काला धन वापस आएगा। हुआ इसका उल्टा ही। ना तो काला धन वापस आया और ना ही आतंकवाद की कमर टूटी। यही नहीं, ब्लैक मनी के रूप में दो हजार रुपयों का खूब इस्तेमाल किया जाने लगा। आतंकवादी घटनाएं भी कम नहीं हुई। साथ ही पिछली नोटबंदी के चलते कई उद्योग घंधे चौपट हो गए। बेरोजारी देशभर में एकाएक बढ़ गई थी। नोटबंदी के बाद पीएम मोदी ने एक बार भी इसकी खूबियां नहीं गिनाई। वहीं, बीजेपी के लोगों ने भी पिछले पांच साल में किसी चुनाव में इसका उल्लेख नहीं किया। अब एक बार फिर से दो हजार का नोट बंद किया गया तो फिर सवाल उठने लगे हैं कि यदि बंद ही करना था तो छापे क्यों गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब फिर वही कुतर्क
अब दो हजार के नोटों को मार्केट से वापस लेने के पीछे फिर से वही कुतर्क दिए जा रहे हैं। मीडिया में प्रचारित किया जा रहा है कि ये निर्णाय कालाधन पर सरकार का फिर से प्रहार है। इससे आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग पर भी ब्रेक लगेगा और नकली नोटों की छपाई पर भी लगाम लगेगी। अब लगाम ही लगानी थी तो पहले नोटबंदी क्यों की गई। ये सवाल फिर से आम आदमी के मन में उठता है। ऐसा नहीं है कि दो हजार के नोट ही बाजार में नकली हों। कई बार लोगों की शिकायत रहती है कि एटीएम से सौ का नोट भी नकली निकला है। ऐसे नोट हूबहू नजर आते हैं। हालांकि, इस बार का फैसला पिछली गलती को सुधारने के लिए किया गया है। इसीलिए पीएम मोदी ने खुद घोषणा नहीं की और आरबीआई के सिर पर ठीकरा फोड़ा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छपाई का खर्च
अब तक दो हजार के कुल 370 करोड़ नोट छापे गए थे। 2000 रुपये के एक नोट छापने का खर्च 4 रुपये के आसपास है। 2018 में 2000 रुपये का एक नोट छापने में 4.18 रुपये का खर्चा आ जाता था, जबकि 2019 में 2000 रुपये का एक नोट छापने में 3.53 रुपये खर्च हो रहे थे। हालांकि, इसके बाद 2000 रुपये के नोट की छपाई बंद या कम हो गई थी। ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, आरबीआई ने अब 2000 के नोट की छपाई बंद कर दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये भी हैं सवाल
आरबीआई ने दो हजार के कुल 370 करोड़ नोट छापे। इनमें 102 करोड़ नोट आरबीआई ने नष्ट कर दिए। इसके बाद 268 करोड़ रुपये बचे। इस 268 करोड़ नोट को भारत में सर्कूलेशन में होना चाहिए। इसकी कुल कीमत करीब पांच लाख 36 हजार करोड़ की है। वहीं, आरबीआई का मानना है कि सर्कूलेशन में कम नोट हैं। सर्कूलेशन से करीब 54 करोड़ नोट गायब हैं। ऐसे में एक लाख आठ हजार करोड़ रुपये गायब हैं। क्या ये राशि ब्लैक मनी में तब्दील हो गई थी। जो अब इस नोट की वापसी का निर्णय किया गया है। या फिर कर्नाटक में चुनावी हार के बाद जनता का ध्यान इससे भटकाने की कोशिश मात्र है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।