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February 5, 2025

कैंसर के मामलों में कई देशों को पीछे छोड़ रहा भारत, युवाओं में तेजी से बढ़ रही ये बीमारी

भारत कैंसर के मामलों में कई देशों के पीछे छोड़ेते जा रहा है। इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि जो बीमारियां 50 साल के बाद होनी चाहिए वह भारत में 30-35 के बीच ही लगनी शुरू हो जाती है। इसे लेकर रिपोर्ट ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। जिसमें बताया गया है कि दुनिया के देशों में जहां कैंसर ज्यादा उम्र के लोगों में होता है, वहीं भारत में बहुत कम उम्र से लोगों में कैंसर होने लगा है। खासकर बड़े पैमाने पर युवा कैंसर के शिकार हो रहे हैं। इतना ही नहीं, डायबिटीज, हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, कैंसर जैसी नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज जैसी बीमारियां भारतीय युवाओं को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रही हैं। डायबिटीज के बाद भारत में कैंसर तेजी से बढ़ रही है। इस जानलेवा की बीमारी की चपेट में हर साल बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। अपोलो हॉस्पिटल्स की एक नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में बहुत जल्द कैंसर बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। हेल्थ ऑफ द नेशन नाम से पब्लिश रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में युवा कैंसर के हाई रिस्क में हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये कहती है रिपोर्ट
अपोलो अस्पताल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में तेजी से कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। वहीं तीन में से हर एक भारतीय प्री-डायबेटिक है और 10 में से एक व्यक्ति प्री-हाइपरटेंशन के शिकार हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमूमन युवा मोटापे को ढो रहे हैं। मेंटल हेल्थ समस्याएं भी तेजी से बढ़ रही है। यह सब हमारे देश की हर चीज पर असर कर रहा है। अगर युवा स्वस्थ्य नहीं रहेंगे तो हमारी अर्थव्यवस्था भी कमजोर होने लगेगी। इन सबके पीछे सबसे बड़ी वजह आज के युवाओं में मेंटल हेल्थ की समस्याएं जिसपर लोग ध्यान ही नहीं देते। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तनाव के कारण भी है समस्या
रिपोर्ट में बताया गया कि 18 से 30 साल की उम्र के बीच 11 हजार लोगों से पूछताछ की गई तो इनमें से 80 प्रतिशत ने जीवन में तनाव की बात स्वीकार की। वहीं बेचैनी, परेशानी, निराशा, थकान, नींद की कमी और ताकत की कमी भी इन बीमारियों के लिए महत्वपूर्ण कारण बन रही है। यदि तनाव क्रोनिक हो जाता है यानी हमेशा के लिए शरीर में बस जाता है तो यह शरीर के लिए सबसे बड़ा विलेन बन जाता है। क्रोनिक स्ट्रैस कई तरह की मानसिक बीमारियों का जन्म देता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये कहते हैं आंकड़े
कम उम्र के लोग भी कैंसर की चपेट में आ रहे हैं, जो बेहद चिंताजनक है। आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2020 में देश में 13.9 लाख कैंसर मरीज थे, जिनकी संख्या साल 2025 तक 15.7 लाख पहुंचने का अनुमान है। मतलब 5 साल में कैंसर के मामलों में 13 प्रतिशत तक का इजाफा होने का अनुमान है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कम उम्र में कैंसर का का बढ़ा रिस्क
इस स्टडी रिपोर्ट में बताया गया है कि, भारत की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और पुरुषों में लंग्स कैंसर ज्यादा तेजी से फैल रहा है। इनमें कम उम्र को मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा अन्य देशों की तुलना में भारत में कम उम्र के लोग ज्यादा तेजी से कैंसर का शिकार बन रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यहां बाकी देशों की तुलना में इस बीमारी की स्क्रीनिंग काफी कम या बहुत ज्यादा देर से हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भारत में कैंसर के इस तरह के सर्वाधिक केस
-रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं में सर्विक्स का कैंसर या सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) और ओवरी कैंसर के केस काफी ज्यादा हैं।
-पुरुषों में माउथ कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) का खतरा काफी ज्यादा देखने को मिला है।
-कोलन कैंसर या आंतों का कैंसर युवाओं में ज्यादा देखने को मिल रहा है। इस कैंसर के करीब 30 प्रतिशत मरीज 50 साल से कम उम्र वाले हैं। आशंका है कि आने वाले 10 सालों में इस कैंसर के मरीजों की संख्या दोगुनी हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस बीमारी से बचने के उपाय
चिकित्सकों की राय है कि कैंसर, हाइपरटेंशन, डायबिटीज जैसी क्रोनिक बीमारियों से बचने का सबसे उत्तम तरीका यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोग समय-समय पर सेहत की स्क्रीनिंग कराएं। यानी प्रीवेंटिव हेल्थ केयर पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए लोगों में जागरूकता हो और लोग खुद अपनी हेल्थ के प्रति जागरूक बनें। वह हर साल आवश्यक बीमारियों के लिए जांच कराते रहें। अपने देश में जब तक बीमारी बढ़ती नहीं है तब तक जांच नहीं कराते। इसलिए एडवांस स्टेज में कैंसर का पता चलता है। विदेश में लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर बेहद सतर्क रहते हैं और समय-समय पर जांच कराते रहते हैं। सरकार को भी प्रीवेंटिव हेल्थ पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. साथ कॉरपोरेट जगत को भी इस अभियान में शामिल होना चाहिए।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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