दैनिक भास्कर और भारत समाचार के कई कार्यालयों पर आयकर के छापे, जानिए क्या है छापों का सच
देश के बड़े मीडिया समूह दैनिक भास्कर के कई कार्यालयों के साथ ही यूपी के एक टीवी चैनल, भारत समाचार के ठिकानों में आयकर विभाग के छापे मारे गए। विभागीय सूत्र बता रहे हैं कि अधिकारियों की कई टीम ने नई दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में दैनिक भास्कर के परिसरों की तलाशी ली है। देश के सबसे बड़े अखबार समूहों में से एक दैनिक भास्कर कोविड की दूसरी लहर की तबाही पर रिपोर्टिंग करने में सबसे आगे था। अब इसे सरकार की ओर से बदले की कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। भास्कर के ठिकानों पर ये कार्रवाई क्यों की जा रही है। इस छापे को लेकर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि एजेंसियाँ अपना काम कर रही हैं और सरकार इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करती है। दैनिक भास्कर ने अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है- सच्ची पत्रकारिता से डरी सरकार, गंगा में लाशों से लेकर कोरोना से मौतों के सही आंकड़ें देश के सामने रखने वाले भास्कर समूह पर सरकार की दबिश।
दैनिक भास्कर ने कोरोना महामारी के दौरान आधिकारिक दावों पर आलोचनात्मक रुख वाली रिपोर्टों की एक श्रृंखला प्रकाशित की थी। आयकर अधिकारियों ने पीटीआइ को बताया कि मीडिया समूह दैनिक भास्कर के भोपाल, जयपुर और अन्य स्थानों पर स्थित कई परिसरों में छापे मारे गए हैं। सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल समेत इंदौर में भी अखबार के दफ्तरों पर छापे मारे गए हैं।
इनके अलावा आयकर विभाग के अधिकारी अखबार समूह के प्रमोटरों के आवास की भी तलाशी ली। आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि समूह की ओर से कर चोरी की सूचना के बाद ये छापेमारी की जा रही है। दैनिक भास्कर समूह देश के सबसे बड़े मीडिया समूह में से एक है। इसके एक दर्जन से अधिक राज्यों में 60 से अधिक संस्करण अलग-अलग भाषाओं में प्रकाशित होते हैं। मध्य प्रदेश में इसका मुख्यालय है।
टीवी चैनल भारत समाचार के ठिकानों पर भी छापे
सूत्रों के अनुसार, यूपी के एक टीवी चैनल, भारत समाचार (Bharat Samachar) के ठिकानों पर भी छापे मारे गए। आयकर अधिकारियों की टीम ने इसके लखनऊ स्थित ऑफिस और संपादक के घर की तलाशी ली। सूत्रों ने दावा कि चैनल की ओर से टैक्स चोरी के पुख्ता सबूत के आधार पर यह छापे मारे गए. भारत समाचार की हालिया रिपोर्टिंग में यूपी सरकार की आलोचना की गई थी। छापों के दौरान भी चैनल छापों की खबरों को दिखाता रहा।
कांग्रेस ने की निंदा
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि भास्कर ग्रुप ने सरकार के ‘कोविड कुप्रबंधन को लेकर रिपोर्टिंग की थी, इसलिए ये छापे मारे गए। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया-अपनी रिपोर्टिंग के जरिये दैनिक भास्कर ने मोदी सरकार के कोविड-19 महामारी के ‘कुप्रबंधन’ को उजागर किया था, इसकी कीमत उसे चुकानी पड़ रही है। अघोषित आपातकाल जैसा कि अरुण शौरी ने कहा है-यह मोडिफाइड इमरजेंसी (Modified Emergency) है। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर कहा है कि ये लोकतंत्र का गला घोंटने की एक और नृशंस कोशिश है।
इस पर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि दैनिक भास्कर अखबार और भारत समाचार न्यूज चैनल पर इनकम टैक्स का छापा मीडिया की आवाज को दबाने का प्रयास है। मोदी सरकार अपनी आलोचना को ज़रा भी बर्दाश्त नहीं कर सकती। अपनी फासीवादी मानसिकता के कारण भाजपा इस लोकतांत्रिक तरीके से दिखाई जा रही सच्चाई को नहीं दे सकती।
भास्कर ने मुखरता से की थी तबाही की रिपोर्टिंग
देश के सबसे बड़े अखबार समूहों में से एक, दैनिक भास्कर ने अप्रैल-मई माह में कोविड-19 की दूसरी लहर में बड़े पैमाने पर तबाही की मुखरता से रिपोर्टिंग की थी। भास्कर ने कोरोना महामारी के दौरान आधिकारिक दावों पर आलोचनात्मक रुख वाली रिपोर्टों की एक सीरीज प्रकाशित की थी। इसमें ऑक्सीजन, हॉस्पिटल बेड और वैक्सीन की कमी के कारण लोगों को हुई भारी परेशानी को हाईलाइट किया गया था। इसकी कवरेज ने यूपी और बिहार के कस्बों में गंगा नदी में तैरते कोविड प्रभावितों के शवों की भयावह स्थिति को उजागर किया था, संभवत: शवों के अंतिम संस्कार करने के लिए साधनों की कमी के कारण ऐसा किया गया। रिपोर्टिंग में यूपी में गंगा नदी कि किनारे पर उथली कब्रों में दफन शवों के बारे में भी खुलासा था।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी लिया था संज्ञान
करीब एक माह पहले, न्यूयॉर्क टाइम्स ने दैनिक भास्कर के संपादक ओम गौड़ की भारत में कोविड के कारण हुई मौतों को लेकर ऑप-एड (op-ed) इस शीर्षक के साथ प्रकाशित किया था-गंगा शवों का लौटा रही है, यह झूठ नहीं बोलती (The Ganges Is Returning the Dead. It Does Not Lie)। इसमें कोरोना के चरम पर होने के दौरान स्थिति को नियंत्रण करने के मामले में सरकार की आलोचना की गई थी। उन्होंने लिखा था-देश की पवित्र नदियों मोदी प्रशासन की नाकामियों और धोखे का प्रदर्शन बन गई हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।