उत्तराखंड में सीएम सहित विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने मनाई अंबेडकर जयंती, दी श्रद्धांजलि, किया याद
मुख्यमंत्री ने कहा कि अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह की शिक्षा देने वाले जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर जी द्वारा दी गयी शिक्षा समस्त मानव समाज के कल्याण हेतु सदैव पथ प्रदर्शक का कार्य करती रहेगी। भगवान महावीर अहिंसा और त्याग की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने अहिंसा को परम धर्म माना और समाज को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि डॉ. भीमराव बाबा साहेब अंबेडकर एक महान विचारक थे, उन्होंने समाज में सबको समान अधिकार दिलाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उन्होंने सामाजिक भेदभाव को दूर करने और समानता का सिद्धांत लागू करने के लिए भारतीय संविधान का मार्ग चुना। डॉ. अंबेडकर ने समाज से अश्पृश्यता एवं कुप्रथाओं को मिटाने, समरसता स्थापित करने और पिछड़े तबके को मुख्यधारा में लाने में अहम भूमिका निभाई।
कांग्रेसियों ने दी श्रद्धांजलि
आज संविधान के निर्माता भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी की जयंती के अवसर पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य जी ने माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उनके साथ अनेकों कांग्रेसजन भी उपस्थित थे। इनमे मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि, रकित वालिया, विकास, नेगी, राहुल सोनकर, ऋषभ जैन, सुधांशु पुंडीर, राकेश लाल, गौतम, मोहन काला, गुलशन सिंह आदि उपस्थित थे।
डॉक्टर अंबेडकर के सिद्धांत पूरी दुनिया के वंचितों के लिए प्रेरणादायकः सूर्यकांत धस्माना
डॉक्टर अंबेडकर केवल भारत के नहीं, बल्कि पूरे विश्व के वंचितों शोषितों व दबे कुचले लोगों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत रहे हैं और आज भी हैं। यह बात उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सूर्यकांत धस्माना ने अंबेडकर महासंघ की ओर से भारत के संविधान निर्माता भारत रत्न डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की 131 वीं जयंती के अवसर पर शास्त्रीनगर कांवली में अंबेडकर भवन में आयोजित भव्य जयंती समारोह में कही। इस मौके पर बाबा साहेब व संत रविदास की मूर्तियों पर मालार्पण किया गया। इसके पश्चात उपस्थित समुदाय को बतौर मुख्यातिथि संबोधित करते उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने वंचित समाज को सबसे बड़ा मूल मंत्र शिक्षित बनो, संगठित हो और संघर्ष करो दिया जो आज के युग में सबसे ज्यादा सार्थक हैं। शिक्षित होकर संगठित होकर अपने मौलिक अधिकारों को हासिल करने के लिए संघर्ष की आवश्यकता है। क्योंकि वंचित समाज को धर्म का घोटा पिला कर उन्हें उनके अधिकारों से वमचित रखने का कुचक्र वो लोग रच रहे हैं, जिन्होंने वंचित समाज का सदियों से जाती पाती और छुआ छूत से शोषण किया।
धस्माना ने कहा कि वंचित समाज का शोषण करने वाली फासिस्ट ताकतों को जब लगा कि वंचित समाज बाबा साहेब के बताए रास्ते पर चलकर शिक्षित भी हो रहा है। संगठित भी तो वे अब धर्म को हथियार बना कर साम्प्रदायिकता फैला कर एक बार फिर वमचितों को भटकाने का कुचक्र रच रहे हैं। जिससे शोषित वर्ग को सावधान रहना चाहिए। क्योंकि यह वही ताकतें हैं जिन्होंने डॉक्टर अंबेडकर के संविधान को कभी माना ही नहीं।
इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक अवधेश कथीरिया ने धस्माना का स्वागत करते हुए कहा कि धस्माना एक ऐसे समाज सेवी हैं जो हमेशा शोषित वंचित समाज के सुख दुख में साथ खड़े रहते हैं। इस अवसर पर पूर्व पार्षद राजेश पुंडीर, लक्ष्मी देवी, अनीता दास, मीनाक्षी बिष्ट, मेहमूदन, मनीष भदौरिया, डॉक्टर दीपक बिष्ट, सलीम अंसारी समेत बड़ी संख्या में क्षेत्र की जनता उपस्थित रही।
एम्स ऋषिकेश में दी गई बाबा साहेब को श्रद्धांजलि
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में बृहस्पतिवार को संविधान निर्माता बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर जी की जयंती पर उनका भावपूर्ण स्मरण किया गया। इस अवसर पर संस्थान के अधिकारियों, चिकित्सकों, फैकल्टी सदस्यों व स्टाफ मेंबरों ने बाबा साहेब के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
बाबा साहेब की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में एम्स के संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि डा. आंबेडकर जी का भारत के लोकतंत्र में योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। कहा कि उन्होंने समाज के शोषित वर्ग से अपनी काबिलियत के बूते आगे निकलकर भारत ही नहीं दुनिया में जो मुकाम हासिल किया, उसकी सबसे बड़ी वजह उनकी शिक्षा, ज्ञान व बुद्धिमत्ता थी।
डीन एकेडमिक प्रो.मनोज गुप्ता ने बताया कि डा. आंबेडकर जी को कोलंबिया व इंग्लैंड प्रवास के समय काल में जिन देश-दुनिया के लोगों से उनका विमर्श हुआ, इससे उनका वैचारिक फलक व्यापक हुआ और वह सामाजिक परिवर्तन के लिए वृहद स्तर पर सोच सके। उन्होंने कहा कि डा.आंबेडकर का जीवन दर्शन हम सबके लिए प्रेरणाप्रद है। इस अवसर पर संस्थान के उपनिदेशक ले.कर्नल अच्युत रंजन मुखर्जी, प्रो.यूबी मिश्रा, प्रो.संजीव कुमार मित्तल, प्रो.शालिनी राव, डा. रोहित गुप्ता, डा. सतीश रवि, डा. योगेश सिंह, डा.पूर्वी कुलश्रेष्ठा, डा.वंदना धींगड़ा, वित्तीय सलाहकार कमांडेंट पीके मिश्रा, जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल, रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, विधि अधिकारी प्रदीप चंद्र पांडेय के अलावा अन्य संकाय सदस्य, स्टूडेंट्स मौजूद थे।
माकपा ने भीमरावअम्बेडकर की 131 वीं जयंती पर उन्हें याद किया
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने देहरादून स्थित कार्यालय में आज बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की 131वीं जयंती पर उन्हें याद किया तथा उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।इस अवसर पर बाबा साहेब के जीवनवृत के सन्दर्भ में संगोष्ठी का आयोजन किया। वक्ताओं ने कहा है कि 14 अप्रैल 1891 मिथ आर्मी कैन्टोमेन्ट में जन्मे संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर तत्कालीन समाज के सर्वाधिक कमजोर परिवार से सम्बद्ध रखते थे। जो कि सदियों से सामन्ती व्यवस्था के जकड़न में था तथा भारी भेदभाव झेल रहा था। उन दिनों दलित, पिछड़ों तथा महिलाओं को सांमती व्यवस्था में काफी कुछ प्रतिबन्धों को झेलना पड़ता था। उन्हें खुलेतौर पर सार्वजनिक स्थानों आने जाने में भारी प्रतिबन्ध था। उनका जीवन रूढिवादी समाज की इच्छा तथा दया पर निर्भर था।
वक्ताओं ने कहा है कि यह सब कुछ अम्बेडकर के साथ परिवार के साथ भी पीढ़ी दर पीढ़ी हो रहा था। दलित परिवार से होने के नाते सामन्ती व्यवस्था की कुप्रथाओं का शिकार उन्हें पल पल सहना पड़ा। शुरुआत स्कूल से ही भेदभाव से हुई। इसके बावजूद भी वे समाज से जुझते रहे और उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। वे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ दलितों तथा समाज के दबे कुचले वर्ग के जागरण के लिए लिखते भी रहे तथा आन्दोलन भी करते रहे। वक्ताओं ने कहा कि वे आधुनिक भारत के संविधान निर्माता थे। उनकी दूरदर्शिता के परिणामस्वरूप दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, आदिवासियों तथा समाज के कमजोर तबकों को शिक्षा, नौकरियों में आरक्षण आदि का अधिकार मिला। इस कारण आज उनके जीवन स्तर में सुधार देखने को मिला।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पार्टी नेता इन्दु नौडियाल ने की। मुख्यवक्ता के रूप में सचिव मंडल के सदस्य लेखराज ने विचार रखे। संचालन महानगर सचिव अनन्त आकाश ने किया। इस अवसर पर ज्ञान विज्ञान समिति के अध्यक्ष विजय भट्ट, एस एफ आई महामंत्री हिमांशु चौहान, ट्रेड यूनियन नेता अनिल गोस्वामी, रविन्द्र नौडियाल, दयाकृष्ण पाठक, मामचंद, युवा नेता सत्यम, पंकज, मनमोहन, अर्जुन रावत, शहजाद आदि ने विचार व्यक्त किये।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।