उत्तराखंड में वेतन के लाले, स्वास्थ्य सहित कई विभागों में जारी नहीं हुई मार्च की सैलरी, कौन है जिम्मेदार, पढ़िए पूरी रिपोर्ट
अप्रैल माह आधे से ज्यादा बीत चुका है, इसके बावजूद उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों में अभी तक कर्मचारियों को मार्च माह की सैलरी नहीं मिल पाई है। कारण जो भी हो, लेकिन कर्मचारियों की परेशानी इस माह और अधिक बढ़ गई है। क्योंकि अप्रैल माह में लोगों का खर्च बढ़ जाता है। बच्चों की स्कूल की फीस भरनी पड़ती है। वहीं, कॉपी और किताबों का भी खर्च होता है। लोन आदि की ईएमआई भी माह की शुरूआत में देनी होती है। कई विभागों में तो बजट आबंटित होने के बाद सैलरी दे दी गई है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग, उद्यान विभाग सहित कई विभाग ऐसे हैं जहां कर्मचारियों को सैलरी का इंतजार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हर माह एक तारीख को खाते में आती है सैलरी
कर्मचारियों के बैंक खातों में अमूमन हर माह एक तारीख को सैलरी पहुंच जाती है। सिर्फ मार्च माह की सैलरी में ही देरी होती है। कारण ये है कि नए वर्ष के बजट के अनुरूप विभाग अपडेट होते हैं। ऐसे में सैलरी अमूमन दस या 11 मार्च को विभाग जारी कर देते हैं। इस बार कुछ विभाग अभी तक सोए पड़े हैं। ऐसे में उनके कर्मचारियों को सैलरी और पेंशनरों को पेंशन आज की तिथि तक नहीं मिल पाई है। इस बार कुछ ज्यादा ही देरी हो गई। वहीं, कई विभागों की ओर से 11 मार्च को ही वेतन जारी कर दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विभागों की लापरवाही का नतीजाः अरूण पांडे
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरूण पांडे के मुताबिक, मार्च माह जब समाप्त होता है तो विभागों की ओर से पिछले साल का हिसाब किताब शासन को देना होता है। साथ ही नए बजट के अनुरूप मांग की जाती है। विभागों ने जब समय से शासन को लेखा जोखा उपलब्ध नहीं कराया तो ऐसी समस्या पैदा हो गई। इसके लिए विभागाध्यक्ष जिम्मेदार हैं। वहीं, पहले शासन वित्त विभाग को आदेश जारी करता था। ऐसे में सैलरी विभागों के प्रस्ताव से पहले ही जारी कर दी जाती थी। अब ये व्यवस्था भी कहां धूल फांक रही है। किसी को पता नहीं। ऐसे में इस मामले में हर स्तर से लापरवाही हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
घाटे का बजट
गौरतलब है कि उत्तराखंड में इस बार घाटे का बजट है। कर्मचारियों की सैलरी तक के सरकार को लाले पड़े हुए हैं और बाहर से कर्ज लेने को बाध्य होना पड़ेगा। वर्ष 2023-24 की बजट पिछले साल की तुलना में 18 फीसद की वृद्धि के साथ 77407 करोड़ का बजट है। दावा किया गया है कि इसके लिए 24744.31 करोड़ रुपए सरकार अपने संसाधनों से जुटाएगी। फिर सवाल उठता है कि बाकी 52663 करोड रुपए सरकार कहां से जुटाएगी। इसका उल्लेख बजट में स्पष्ट रूप से नहीं किया गया है। अब सरकार ने बिजली, पानी के रेट बढ़ा दिए। ज्यादा राजस्व पैदा करने के लिए शराब सस्ती कर दी। इसी तरह अन्य मदों पर भी लोगों पर महंगाई की मार पड़ने वाली है। वहीं घाटे को पूरा करने और वेतन के लिए सरकार को कर्ज पर निर्भर रहना पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आशाओं को भी छह माह से नहीं मिला इंसेटिव
आशा कार्यकत्रियों का स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण योगदान है। देहरादून में रायपुर, सहसपुर, डोईवाला ब्लाक सहित कई जगहों में आशाओं को प्रशिक्षण कार्यक्रम, वर्क रिपोर्ट का पैसा (इंसेटिव) तक नहीं दिया गया है। सीटू से संबद्ध आशा कार्यकत्री यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष शिवा दूबे के मुताबिक, आशाओं को एनएचएम का पैसा भी छह माह से नहीं दिया गया है। हालांकि सरकार की ओर से दिया जाने वाला मानदेय नियमित रूप से दिया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हर तरफ कर्मचारियों का शोषण
सीटू के प्रदेश सचिव लेखराज के मुताबिक, उत्तराखंड में चाहे सरकारी कर्मचारी हों या फिर निजी कर्मचारी। सबका हर तरह से शोषण किया जा रहा है। सरकार सिर्फ अपनी पीठ थपथपा रही है। मार्च माह की अभी तक सैलरी ना मिलना कोई छोटी बात नहीं है। कर्मचारी तबका हर माह का हिसाब बनाता है और उसी के अनुरूप पैसे खर्च करता है। अप्रैल माह में तो खर्च और अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में सरकार को शीघ्र कर्मचारियों की सैलरी जारी करनी चाहिए। साथ ही इस देरी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।