मुर्गियों की तलाश में एक शख्स ने तोड़ी खंडहर की दीवार, मिल गया पूरा शहर, तस्वीर देखकर हो जाओगे हैरान
है ना कमाल की बात। एक व्यक्ति अपने घर से गायब हो रही मुर्गियों की तलाश करता है तो उसे इस तलाश में एक पुराना शहर मिल जाता है। शहर भी ऐसा कि जिसमें करीब बीस हजार लोग रहते थे। उसमें लोगों के घर थे और रास्ते भी थे। यह कहानी आपको भले ही कोरी कल्पना लगे, लेकिन ये सच है। तुर्किये के कप्पाडोसिया में एक व्यक्ति ने 1963 में एक ऐसी विरासत खोज निकाली थी, जिसे देख दुनिया हैरत में पड़ गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे खोजा अनजान शहर
बताया तो ये जाता है कि उस व्यक्ति के घर से लगातार मुर्गियां गायब हो रही थीं। इसे लेकर वह काफी दिनों से परेशान चल रहा था। घर के बैकयार्ड से लगातार मुर्गियों के गायब होने पर उसने ये पता लगाने की कोशिश की कि आखिरकार मुर्गियां जाती कहां हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार मुर्गियों की तलाश में घर से समीप एक खंडहर तक वह पहुंचा और इस व्यक्ति ने वहां जाकर देखा तो उसे एक तहखाना नजर आया। ये तहखाना मरम्मत के दौरान खुला रह गया था। यहां उसने जैसे ही एक दीवार हटाई उसके बाद उसे सुरंग दिखाई दी। इस तरह अनजाने में ही सही, लेकिन दुनिया से अनजान एक विशाल भूमिगत शहर को खोज निकाला गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुरंगों और गुफाओं के बीच मकानों का जाल
खंडहर हो चुके इस प्राचीन भूमिगत शहर को डेरिंकुयू नाम दिया गया। जब गहराई की जानकारी ली गई तो पुरातत्वविदों को पता चला कि पृथ्वी की सतह से 280 फीट नीचे यहां सुरंगों और गुफाओं के बीच मकानों का जाल बिछा है, जिसमें कभी 20,000 लोग रहते रहे होंगे। अगर भौगौलिक नजरिए से देखा जाए तो एशिया और यूरोप की सीमा में बसे तुर्किए का ये भूमिगत शहर पृथ्वी की सतह से 280 फीट नीचे बसा हुआ है। इस बस्ती की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसके भीतर तापमान हमेशा नियंत्रित रहता था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की तर्ज पर बनाया गया शहर
इस प्राचीन शहर का इस्तेमाल सदियों तक किया जाता रहा। यहां खोज के दौरान उजागर हुआ है कि सुरंग के भीतर ये सिटी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की तर्ज पर बनाई गई थी और जब भी लोग चाहते एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक जाने के रास्ते बंद कर सकते थे। हालांकि उस समय दरवाजे नहीं थे, लिहाजा गोल पत्थरों का इस्तेमाल आवाजाही रोकने के लिए किया जाता था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विश्व धरोहर में किया गया शामिल
साल 1985 में इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया। इसके बाद डेरिंकुयू आगंतुकों के लिए खोला गया। यहां आने वाले टूरिस्ट इसके 18 लेवल में से केवल 8 को ही एक्सप्लोर कर सकते हैं। हालांकि विश्व धरोहर में शामिल होने के बाद अब डेरिंकुयू दुनिया भर के ऐसे पर्यटकों की पसंदीदा जगह है, जो इतिहास से जुड़ी धरोहरों को देखना खास तौर पर पसंद करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करीब चार किलोमीटर तक फैला है ये शहर
तुर्किये (पूर्व में तुर्की) के डिपार्टमेंट ऑफ कल्चर के अनुसार इन सुरंगों को लगभग 700 से 800 ईसा पूर्व बनाया गया था और इनका दायरा लगभग 4 वर्ग किलोमीटर का है। भूगर्भ विज्ञान के अनुसार इस एरिया में प्राचीन ज्वालामुखी की मुलायम चट्टानें हैं, जिन्हे तराशना आसान होता है। यही वजह रही कि लोगों ने यहां सुरंगें खोदकर मकान बना लिए और यहां रहना शुरू कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कई पहेलियां अनसुलझी
यहां शोध के बाद सामने आया कि सुरंग के भीतर एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनाकर लोग रहते थे। घरों तक आने-जाने के लिए बकायदा पत्थरों को तराशकर सीढियां बनाई गई थीं। हर घर के लिए एक मेन गेट था। इसमें प्रवेश द्वार पर डेढ़ मीटर लंबा और 200 से 500 किलो वजनी पत्थर होता था। अभी ये पहली नहीं सुलझ पाई है कि इन पत्थरों को लगाने और हटाने के लिए लोग किस ट्रिक का इस्तेमाल करते थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आक्रमणकारियों की निगाह से बचने को तैयार की गई सुरंग
जानकारों के मुताबिक इस सुरंग को बनाने के पीछे एक बड़ी कहानी तुर्क शासकों के बढ़ते हमले भी थे। जिस दौर में ये निर्माण हुआ उस समय तुर्क साम्राज्य लगातार हमले कर अपने साम्राज्य का विस्तार कर रहा था। लिहाजा कहानी ये भी मानी जाती है कि इस सुरंग के अंदर मकान आक्रमणकारियों से छिपने के लिए बनाए गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भूकंप में भी बेअसर
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस स्ट्रक्टर पर भूकंप भी बेअसर है। लोगों की सुख-सुविधाओं को देखते हुए जमीन के भीतर ही पूजा-स्थल से लेकर वॉशरूम, बावड़ी, कुएं और कब्रिस्तान तक बनाए गए थे। साथ ही यहां वाइन मेकिंग, ऑइल प्रोसेसिंग और फूड स्टोरेज की सुविधा तक मौजूद थी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।