उत्तराखंड में सचिवालय भी सुरक्षित नहीं तो प्रदेश का क्या होगा, महत्वपूर्ण दस्तावेज चोरी
1 min readउत्तराखंड में चोरों ने सचिवालय तक में सेंध लगा दी, तो फिर उत्तराखंड के आमजन को सुरक्षा कैसे मिलेगी, ये सवाल से सरकार से पूछना लाजमी है। चोरी भी गृह अनुभाग में हुई, जिसे मुख्यमंत्री स्वयं देख रहे हैं। इससे सचिवालय की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इससे पहले भी सचिवालय में चोरी की घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं।
प्रदेश में वैसे ही चोरी की घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। चोरी की घटनाएं पुलिस दबा देती है। इसका प्रेस नोट तक में जिक्र नहीं होता। जब चोरी के मामले में कोई सफलता मिलती है, तभी पता चलता है कि कहां और कब चोरी हुई। यही नहीं कई बार तो जब चोरी का खुलासा होता है, उसी दिन चोरी की रिपोर्ट दर्शायी जाती है। अब ये सवाल भी खड़ा उठता है कि चोरी होने के तुंरत बाद पीड़ित ने रिपोर्ट क्यों नहीं लिखाई।
अब सचिवालय में सचिवालय के गृह अनुभाग से आरटीआइ से संबंधित फाइल ही कोई ले उड़ा है। अनुभाग अधिकारी पंकज जोशी ने नगर कोतवाली पुलिस में चोरी का मुकदमा दर्ज कराया है। इससे पहले सितंबर में भी गृह अनुभाग से ही एक महत्वपूर्ण फाइल चोरी हो गई थी। सचिवालय में एक के बाद एक चोरी की घटनाओं से सचिवालय की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
अनुभाग अधिकारी पंकज जोशी की ओर से नगर कोतवाली पुलिस को दी गई तहरीर में कहा गया है कि शुक्रवार को वह लंच करने घर गए हुए थे। इसी दौरान उनके दफ्तर से एक फाइल चोरी हो गई। फाइल में सूचना का अधिकार से संबंधित आठ-दस आवेदन पत्र थे। नगर कोतवाल शिशुपाल नेगी ने बताया कि जोशी की तहरीर पर नगर कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष सितंबर में भी हाईकोर्ट से संबंधित एक फाइल गृह अनुभाग से ही चोरी हो गई थी। सचिवालय में एक के बाद एक चोरी की घटनाओं से सचिवालय की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होने लगे हैं। सवाल ये भी खड़े हो रहे हैं कि क्या गृह अनुभाग में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे। बार बार महत्वपूर्ण दस्तावेज आखिर चोरी क्यों हो जाते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।