ब्रिटेन के पीएम कीर स्टारमर से गले मिलना नहीं आया काम, यूके ने भारत को 12 दमनकारी देशों की लिस्ट में किया शामिल, भारत ने किया खंडन

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 से 24 जुलाई तक यूनाइटेड किंगडम की आधिकारिक यात्रा पर थे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन के पीएम कीर स्टारमर के साथ बैठक की। भारत और यूके ने मुक्त व्यापार समझौता किया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूके के पीएम कीर स्टारमर को गले लगाया। मुक्त व्यापार समझौते पर साइन होने से दोनों नेता काफी खुश दिखे। तब मीडिया ने यूके में भी पीएम मोदी का डंका बजा दिया। मीडिया का फोकस इस बात पर नहीं था कि इस व्यापार समझोते से किस देश को क्या लाभ मिलेगा। इसके उलट खबरें से थी कि पीएम मोदी स्टारमर को गले लगाया। उनसे हाथ मिलाया। उनके साथ चाय पी, आदि आदि। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खैर हम व्यापार समझौते की खबर नहीं नहीं जाएंगे। नई खबर ये है कि ब्रिटेन की एक संसदीय समिति ने गुरुवार को दमनकारी देशों की एक लिस्ट जारी की। दुर्भाग्य की बात ये है की इस सूची में जिसमें भारत का भी नाम है। ‘ट्रांस नेशनल रिप्रेशन इन द यूके’ नाम की इस लिस्ट में 12 देश शामिल हैं। हालांकि, भारत ने इसका खंडन किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूची में चीन और तुर्की का नाम सबसे ऊपर
इस सूची में चीन, रूस और तुर्की का नाम सबसे ऊपर है, लेकिन भारत और कुछ अन्य देशों पर भी ऐसे आरोप लगे हैं। इन 12 देशों में भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान, ईरान, मिस्र, रूस, बहरीन, यूएई, सऊदी अरब, तुर्किये, रवांडा और इरिट्रिया शामिल हैं। इस सूची में भारत का नाम होने से भारत की विदेश नीति पर भी सवाल खड़े होते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये कहा गया है रिपोर्ट में
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ विदेशी सरकारें UK में रहने वाले लोगों को डराने और उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही हैं। कमेटी ने UK में विदेशी सरकारों की एक्टिविटी को मानवाधिकारों के लिए खतरा बताया और ब्रिटिश सरकार से इस पर कार्रवाई करने की मांग की। भारत ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रिपोर्ट में खालिस्तानी संगठन का जिक्र
रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी सरकारों की तरफ से ब्रिटेन में रहने वाले लोगों को निशाना बनाने की घटनाएं बढ़ रही हैं। रिपोर्ट के साथ प्रकाशित सबूतों में भारत के मामले में आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ (SFJ) का जिक्र है। यह एक खालिस्तान समर्थक संगठन है, जिसे भारत ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत “गैरकानूनी संगठन” घोषित किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जॉइंट कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स (JCHR) नाम की यह कमेटी ब्रिटेन में मानवाधिकारों की जांच करती है। इसमें अलग-अलग दलों के सांसद शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई देश यूके में लोगों को डराने का काम कर रहे हैं। कमेटी को ऐसे सबूत मिले हैं, जिनके आधार पर कई देशों पर ब्रिटेन की जमीन पर लोगों को निशाना बनाने का आरोप है। इससे लोगों में डर बढ़ रहा है, उनकी बोलने और घूमने की आजादी घट रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
2022 के बाद से 48 फीसद की बढ़ोतरी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ऐसी कार्रवाइयों का निशाना बनने वाले लोगों की जिंदगी पर असर पड़ रहा है। JCHR ने ब्रिटिश सरकार से इस मामले में सख्त कदम उठाने की मांग की है ताकि मानवाधिकारों की रक्षा हो सके। ब्रिटेन की सुरक्षा एजेंसी MI5 की जांच में ऐसे मामलों में 2022 के बाद 48% की बढ़ोतरी हुई है। यह भी बताया गया कि कुछ देश इंटरपोल के नियमों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत ने किया खंडन
भारत ने शुक्रवार को ब्रिटिश संसदीय समिति की उस रिपोर्ट का कड़ा खंडन किया, जिसमें उस पर ब्रिटेन में दमनकारी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। भारत ने इन दावों को निराधार और भारत-विरोधी बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस मामले पर पलटवार करते हुए कहा कि हमने रिपोर्ट में भारत का उल्लेख देखा है और इन निराधार आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। ये दावे असत्यापित और संदिग्ध स्रोतों से आए हैं, जो मुख्य रूप से प्रतिबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों से जुड़े हैं, जिनका भारत-विरोधी शत्रुता का स्पष्ट और प्रलेखित इतिहास है।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।