होली के गुलाल ने कम किया हार का दर्द, पूर्व सीएम हरीश रावत ने ढोल बजाकर दी होली की बधाई
पूर्व सीएम हरीश रावत समय से साथ अपने दर्द को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही ये जताने की कोशिश भी हो रही है कि चुनावों में हार जीत तो होती रहती है और वह अब भी राजनीति के खिलाड़ी हैं। अब होली मिलन कार्यक्रम में ही देख लीजिए।

इन तीन हार का दर्द सहना भी आसान नहीं होता है। एक किस्म से कहा जाए तो बार बार हार के बाद उम्र के आखरी पड़ाव में पहुंचा व्यक्ति तो सक्रिय राजनीति से तौबा कर लेता है। इन सबके बावजूद पूर्व सीएम हरीश रावत समय से साथ अपने दर्द को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही ये जताने की कोशिश भी हो रही है कि चुनावों में हार जीत तो होती रहती है और वह अब भी राजनीति के खिलाड़ी हैं। अब होली मिलन कार्यक्रम में ही देख लीजिए। हरीश रावत ने ढोल को थामा और ताल देनी शुरू कर दी। होली के गीत, होली के गुलाल के साथ ही उनका चुनावी हार का दर्द हो सकता है कुछ कम हुआ हो और वह फिर से राजनीति में सक्रिय नजर आ सकते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्टीय महासचिव हरीश रावत ने बुधवार को कांग्रेस नेता महेंद्र गुरु जी की ओर से आयोजित होली मिलन कार्यक्रम उनके आवास रायपुर पहुंचे। इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। इसमें लोक गीतों से कलाकारों ने सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम में हरदा (हरीश रावत) ने होली की बधाई देते हुए कहा कि होली का पावन पर्व बुराई के उपर सच्चाई की जीत है। उमंग, हर्ष-उल्लास, भाईचारे को बढ़ाने वाला यह पावन पर्व है सामाजिक सौहार्द को बनाये रखने के लिये भी होली का अपना अलग महत्व है। उन्होने कहा कि उत्तराखंड की होली के भी कई रंग और रूप हैं। उत्तराखंड तो अपने आप में एक कौमी गुलदस्ता है। इसमें कई रंगों के फूल खिलते है। हमारे चारधाम हों, नानकमत्ता हो, गोल्जू देवता हो, गंगा मईया हो, मॉं पूर्णगिरी हो, मॉं द्रोणागिरी, मॉं मनसा देवी, मॉं चंड़ी देवी, हेमकुंड साहिब, मॉं सरकुण्ड़ा देवी, सब देवी देवताओं का आर्शीवाद हमें अपने सामाजिक सौहार्द को बनाये रखने में मिलता रहेगा। ऐसा मेरा मानना है।
उन्होंने कहा कि आप सबके जीवन में भी होली के रंग, उमंग और उत्साह जीवन भर बने रहे ऐसी मेरी कामना है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सरकार में रहते हुए हमने अपनी संस्कृति को बढ़ाने का काम किया। उसको अब भी आगे बढ़ा रहे हैं। राज्य की संस्कृतिक विरासत, अपने उत्पाद मंडूवा, झंगोरा, गहत, गलगल, अपने शिल्प, अपने परिधान, अपने साहित्य, अपने पहाड़ी व्यंजनों को प्रोत्साहन देने के अपने एजेंडे को मै छोड़ुगा नहीं। मुझे प्रसन्नता है कि हमारे झंगोरे की खीर राष्टपति भवन में पहुंच गई है। मैं गांव-गधेरों के विकास की बात भी करता रहूंगा।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट, पूर्व मुख्यमंत्री के मुख्य प्रवक्ता व सलाहकार सुरेंद्र कुमार, प्रभु लाल बहुगुणा, रेखा बहुगुणा, ज्योति नौटियाल, वीरेंद्र पोखरियाल, अशोक वर्धन, मनीष नागपाल, मनीष कर्णवाल, सुनील नौटियाल, गुलाब सिंह सजवाण, रायपुर छेत्र के प्रधान, पार्षद, पूर्व प्रधान सहित कई लोगों ने शिरकत की।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।