हिंदी की लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ को मिला बुकर पुरस्कार, पहली बार हिंदी उपन्यास को मिला ये सम्मान
बुकर प्राइज ने एक ट्वीट में कहा कि गीतांजलि श्री और @shreedaisy को बधाई। बंगाली लेखक अरुणव सिन्हा ने ट्वीट किया कि-यस! अनुवादक डेज़ी रॉकवेल और लेखक गीतांजलि श्री ने ‘रेत समाधि’ के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर जीता. एक हिन्दी उपन्यास, एक भारतीय उपन्यास, एक दक्षिण एशियाई उपन्यास के लिए पहली जीत… बधाई!
गीतांजलि श्री कई लघु कथाओं और उपन्यासों की लेखिका हैं। उनके 2000 के उपन्यास माई को 2001 में क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड के लिए चुना गया था। उन्होंने 50,000 पौंड का अपना पुरस्कार लिया और पुस्तक के अंग्रेजी अनुवादक, डेजी रॉकवेल के साथ इसे साझा किया।
Take a look at the moment Geetanjali Shree and @shreedaisy found out that they had won the #2022InternationalBooker Prize! Find out more about ‘Tomb of Sand’ here: https://t.co/VBBrTmfNIH@TiltedAxisPress #TranslatedFiction pic.twitter.com/YGJDgMLD6G
— The Booker Prizes (@TheBookerPrizes) May 26, 2022
हिंदी में यह उपन्यास राजकमल प्रकाशन से छापा है। ‘रेत समाधि’ हिंदी की पहली ऐसी कृति है जो अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की लॉन्ग लिस्ट और शॉर्ट लिस्ट तक पहुंची और आखिरकार बुकर पुरस्कार जीत भी ली। बता दें कि बुकर पुरस्कार की लॉन्ग लिस्ट में गीतांजलि श्री की ‘रेत समाधि’ के अलावा 13 अन्य कृतियां भी थीं।
गीतांजलि श्री का ‘रेत समाधि’ उनका पांचवां उपन्यास है। पहला उपन्यास ‘माई’ है। इसके बाद उनका उपन्यास ‘हमारा शहर उस बरस’ नब्बे के दशक में आया था। यह उपन्यास सांप्रदायिकता पर केंद्रित संजीदा उपन्यासों में एक है। कुछ साल बाद ‘तिरोहित’ आया। इस उपन्यास की चर्चा हिंदी में स्त्री समलैंगिकता पर लिखे गए पहले उपन्यास के रूप में भी होती रही है। उनके चौथा उपन्यास ‘खाली जगह’ है और कुछ साल पहले ‘रेत समाधि’ प्रकाशित हुआ।
लगातार और महत्त्वपूर्ण लेखन के बाद भी गीतांजलि श्री को हिंदी के संसार ने तब अचानक से जाना जब बुकर पुरस्कार के लॉन्ग लिस्ट में ‘रेत समाधि’ को शामिल किया गया। इस लिस्ट के सामने आने के बाद हिंदी संसार के बीच गुमनाम सी रहीं गीतांजलि श्री अचानक चर्चा में आ गईं। फिलहाल, गीतांजलि श्री की ‘रेत समाधि’ को मिले बुकर सम्मान ने हिंदी का कद ऊंचा किया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।