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March 12, 2025

वनों का व्यावसायिक दोहन और जंगलों में आग, ऐसे में नहीं बचेगा हिमालयः सुरेश भाई

उत्तराखंड के वनों में लगी आग के साथ ही वनों का बड़े पैमाने पर व्यावसायिक दोहन हो रहा है। ऊँचाई की दुर्लभ जैव विविधता को भारी नुकसान हो रहा हैं।


उत्तराखंड के वनों में लगी आग के साथ ही वनों का बड़े पैमाने पर व्यावसायिक दोहन हो रहा है। ऊँचाई की दुर्लभ जैव विविधता को भारी नुकसान हो रहा हैं। पेड़ों को कटर मशीन से काटने की नयी तकनीकि ने एक ही दिन में दर्जनों पेड़ काटकर जमीन
में गिराये जा रहे हैं। उत्तरकाशी और टिहरी की अनेकों नदियों के सिरहाने पर वनों की इस तरह की बेधड़क कटाई से लगता है कि वन निगम को इसके लिये पूरी छूट मिली हुई है। क्योंकि वन विभाग अपने हरे पेड़ों की कटाई के लिये न तो चिंतित हैं और न ही समय-समय पर इसकी जांच कर पा रहा है।
रक्षासूत्र आन्दोलन के प्रेरक एवं सामाजिक कार्यकर्ता व पर्यावरणविद सुरेश भाई ने वन विभाग से भागीरथी, जलकुर, धर्मगंगा, बालगंगा, अलंकनन्दा, पिंडर, मंदाकिनी, यमुना, टौंस के सिरहाने व इनके जल ग्रहण क्षेत्रों में काटे जा रहे विविध प्रजातियों के हरे पेड़ों की जांच के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि उत्तरकासी में हरुन्ता, चौरंगीखाल और टिहरी में भिलंगना व बालगंगा के वन क्षेत्रों में हरे पेड़ों का कटान हो रहा है।
उन्होंने कहा कि दुःख की बात है कि जब कोविड के प्रभाव से लोग सड़कों पर उतरकर हरे पेड़ों की कटाई का विरोध करने में असमर्थ हों, तो ऐसे वक्त का लाभ उठाने के लिये वन निगम का मालामाल होने का सपना पूरा हो जायेगा। इसके बदले उत्तराखंड हिमालय में बाढ़ एवं भूस्खलन के खतरे के साथ जल स्रोतों पर भी विपरीत प्रभाव
पड़ेगा।
ऊँचाई की जैव विविधता जैसे राई, कैल, मुरेंडा, देवदार, बांज, बुरांस, खर्सू मौरू आदि के वनों को बेहद नुकसान पहुचाया जा रहा है। जंगल क्षेत्र से सड़कों तक रातों-रात हरे पेड़ों के स्लिपर रायवाला पहुंच रहे हैं। इस काम में सैकड़ों ट्रक लगे हुये हैं। वनों के इस व्यावसायिक दोहन से जंगल के जानवर, जड़ी बूटियों आग और कटान दोनों से वर्तमान में प्रभावित है। अतः वनों को बचाना सरकार की प्राथमिकता हो। इसके लिए प्रमुख वन संरक्षक, उत्तराखंड को जांच के लिए पत्र भेजा जा रहा है।
लेखक का परिचय
नाम-सुरेश भाई
लेखक रक्षासूत्र आन्दोलन के प्रेरक है। वह सामाजिक कार्यकर्ता व पर्यावरणविद हैं। वह उत्तराखंड नदी बचाओ आंदोलन से भी जुड़े हैं। सुरेश भाई उत्तराखंड सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष भी हैं। वर्तमान में वह उत्तरकाशी के हिमालय भागीरथी आश्रम में रहते हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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