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September 10, 2025

हिमालय दिवस सप्ताह प्रारम्भ, पहले दिन बुग्यालों के संरक्षण पर चर्चा

उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) विज्ञान धाम देहरादून में हिमालय दिवस के अवसर पर हिमालय सप्ताह शुरू हो चुका है। पहले दिन बुग्यालों के संरक्षण को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर विभिन्न उपायों को लेकर भी मंथन किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा इस बार हिमालय दिवस की थीम “हिमालय और आपदाएं” हैं। उन्होंने कहा कि हिमालय हमारी धरोहर है और इसके संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। प्रो. पंत बुग्यालों के संरक्षण के लिए कार्य करने का आवाहन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नवाचार के माध्यम से इस दिशा में सक्रिय योगदान दें। प्रो. पंत ने विश्वास जताया कि यदि हम सभी मिलकर पर्यावरण अनुकूल कार्य करें तो हिमालय को संरक्षित रखते हुए विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम में पर्यावरणविद व हेस्को के संस्थापक पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि यदि हम प्रकृति को बाधित करेंगे तो प्रकृति अपनी लड़ाई स्वयं लड़ लेती है। उन्होंने कहा कि हिमालय को विश्व का “तीसरा ध्रुव” भी कहा जाता है। आज इसके संरक्षण की जरुरत है। उन्होंने कहा कि हिमालय हमारी पहचान है, हमारी संस्कृति है और हमारी जीवनरेखा भी है। उन्होंने कहा कि यह समय है कि युवा पीढ़ी प्रकृति की पुकार को समझे और जिम्मेदारी से हिमालय संरक्षण की दिशा में मिलकर काम करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

कार्यक्रम के प्रारम्भ में यूकॉस्ट के संयुक्त निदेशक डॉ. डीपी उनियाल ने अतिथियों का स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि हिमालय अत्यंत संवेदनशील है और इसके साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ भविष्य के लिए विनाशकारी भी हो सकती है। वाडिया संस्थान के सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके भरतरिया ने “जलवायु परिवर्तन और हिमालय में भूस्खलन संवेदनशीलता” विषय विस्तार से बताया। उन्होंने वर्षा-आधारित मॉडलिंग और भूस्खलन की चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

केंद्रीय भूजल बोर्ड देहरादून के हाइड्रोजिओलॉजिस्ट डॉ. विकास तोमर ने हिमालयी क्षेत्र में जलचक्र, जल प्रवाह और पोटेंशियोमेट्रिक सतह पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने भूजल संसाधनों के वैज्ञानिक अध्ययन के महत्व पर प्रकाश डाला तथा हिमालयी क्षेत्र में स्प्रिंग्स की स्थिति, भूजल रिचार्ज, वर्षा जल संचयन पर विस्तार से चर्चा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शिक्षाविद एवं पर्यावरणविद् डॉ रीमा पंत ने उपस्थित छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें हिमालय को समझने और उसके संरक्षण की दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। डॉ रीमा पंत ने इस अवसर पर छात्र छात्राओं से अपने शिक्षण संस्थान, घर के आस पास से ही पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी कार्यों को सामाजिक सहभागिता के साथ करने का आवाहन किया। वैज्ञानिक डॉ. मंजू सुन्द्रियाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम का संचालन यूकॉस्ट के वैज्ञानिक डॉ. भवतोष शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉल्फिन इंस्टीट्यूट, डीबीएस ग्लोबल यूनिवर्सिटी, दून पीजी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के छात्र छात्राओं, यूकॉस्ट तथा क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र (RSC) के वैज्ञानिकों एवं स्टाफ सहित 150 से अधिक लोगों ने भागीदारी की और विशेषज्ञों के विचारों से लाभान्वित हुए।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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