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November 16, 2024

समीर वानखेड़े के पिता से हाईकोर्ट ने कहा-कोई भी कर सकता है सरकारी अधिकारी के कामकाज की समीक्षा, साबित करो मंत्री के दावे झूठे

बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े सरकारी अधिकारी हैं। कोई भी उनके कामकाज की समीक्षा कर सकता है।

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े की ओर से दायर मानहानि के मुकदमे की सुनवाई करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े सरकारी अधिकारी हैं। कोई भी उनके कामकाज की समीक्षा कर सकता है। समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े ने मलिक से 1.25 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि और वानखेड़े परिवार के खिलाफ भविष्य में कोई भी फर्जी या गलत टिप्पणी करने से रोकने के लिए स्थगनादेश मांगा है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता ने समीर वानखेड़े पर तमाम आरोप लगाए हैं। इनमें सरकारी नौकरी पाने के लिए फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनवाने का आरोप भी शामिल है। सुनवाई के दौरान ध्यानदेव वानखेड़े के अधिवक्ता अरशद शेख ने सवाल किया कि समीर को ऐसे व्यक्ति को स्पष्टीकरण क्यों देना चाहिए जो सिर्फ एक विधायक है कोई अदालत नहीं। इस पर न्यायमूर्ति माधव जामदार ने कहा कि आप सरकारी अधिकारी हैं। आपको सिर्फ इतना साबित करना है कि ट्वीट (मलिक द्वारा किए गए ट्वीट) पहली नजर में गलत हैं। आपके पुत्र सिर्फ एक व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि वह एक सरकारी अधिकारी हैं। जनता का कोई भी सदस्य उनकी समीक्षा कर सकता है।
वहीं दूसरी ओर अदालत ने मलिक के वकील अतुल दामले से सवाल किया कि क्या जमा करने से पहले दस्तावेजों का सत्यापन करना आपकी जिम्मेदारी नहीं है? क्या आपने एक जिम्मेदारी नागरिक और राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के प्रवक्ता होने के नाते दस्तावेजों का सत्यापन किया?
मलिक के आरोप झूठ हैं यह साबित करने के लिए अतिरिक्त हलफनामा दायर करने के लिए वानखेड़े के वकील ने और समय मांगा। अदालत ने उन्हें शुक्रवार तक का समय दिया और राकांपा नेता के वकील से इस संबंध में हलफनामा दायर करने को कहा कि उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट करने से पहले (समीर वानखेड़े के निजी विवरण वाले) दस्तावेजों का सत्यापन किया था। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 नवंबर की तारीख तय की है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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