हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में एक जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने के कैबिनेट के फैसले पर लगाई रोक
उत्तराखंड में हाई कोर्ट नैनीताल ने चारधाम यात्रा को एक अप्रैल से शुरू करने के कैबिनेट के फैसले पर रोक लगा दी। इस मामले में हाईकोर्ट सरकार के शपथ पत्र से संतुष्ट नहीं हुआ।

गौरतलब है कि कैबिनेट ने एक जुलाई से चारधाम यात्रा को शुरू करने का निर्णय किया था। तय किया था कि चमोली के जिले के लोगों के लिए बदरीनाथ धाम, रुद्रप्रयाग जिले के लिए केदारनाथ धाम, उत्तरकाशी जिले के लोगों के लिए गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में दर्शन की अनुमति दी गई थी। इसमें धाम में जाने वालों को आरटी-पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट को अनिवार्य किया गया था।
इससे पहले भी पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को कहा था कि या तो चारधाम यात्रा को स्थगित किया जाए, या फिर सही रोडमैप तैयार किया जाए। कोरोना की संभावित लहर को देखते हुए हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, सच्चिदानंद डबराल, अनू पंत की कोविड काल में स्वास्थ्य अव्यवस्था तथा चारधाम यात्रा तैयारियों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव ओमप्रकाश व अन्य अधिकारी कोर्ट में वर्चुअली पेश हुए।
सरकार की ओर चारधाम यात्रा को लेकर जारी एसओपी को शपथ पत्र के साथ पेश किया। कोर्ट ने एसओपी को हरिद्वार महाकुंभ की एसओपी की नकल करार देते हुए अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि एसओपी में हरिद्वार जिले में पुलिस तैनाती का ज़िक्र किया है, इससे साफ है सरकार यात्रा तैयारियों को लेकर कितनी गंभीर है। सरकार की ओर से पुजारियों व पुरोहितों के विरोध का ज़िक्र किया तो कोर्ट ने कहा कि हमें धार्मिक भावनाओं का पूरा ख्याल है।
लाइव टेलीकास्ट को शास्त्र सम्मत नहीं होने बताने पर कोर्ट ने कहा कि जब धार्मिक ग्रंथ लिखे गए तब तकनीक नहीं थी। जगन्नाथ यात्रा तक का लाइव प्रसारण होता है। पुजारियों व पुरोहितों के हित के बजाय डेल्टा प्लस से हजारों लोगों की जिंदगी बचाना अधिक महत्वपूर्ण है। सरकार को व्यापक हित देखना चाहिए। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी व अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि कोर्ट ने चारधाम यात्रा शुरू करने के निर्णय पर रोक लगा दी।
हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने कहा कि हम जिलों के लिए यात्रा शुरू कर रहे हैं। साथ ही कहा कि हम सैनिटाइजर कराएंगे। इस पर कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि इसे देखेगा कौन। कोर्ट ने कुंभ और गंगा दशहरे का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि आरटी- पीसीआर को कौन करेगा। आधी अधूरे शपथ पत्र को लेकर कोर्ट ने सरकार पर नाराजगी जताई। सरकार एक जुलाई से चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकासी जिलों के लिए, फिर कुछ दिन बाद पूरे प्रदेश के लोगों के लिए यात्रा को सुचारु करने की रणनीति बना रही थी।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।