हाईकोर्टः कोरोना जांच फर्जीवाड़ा की जांच में सहयोग करेगी मैक्स संस्था, बगैर नोटिस नहीं होगी गिरफ्तारी
उच्च न्यायालय ने हरिद्वार कुंभ के दौरान जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़े की आरोपी संस्था मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज की याचिका पर सुनवाई की।

मंगलवार 23 जून को को हाईकोर्ट नैनीताल में न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनएस धानिक की एकलपीठ में मैक्स की पार्टनर मल्लिका पंत द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की गई। न्यायालय ने अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आलोक में याचिकाकर्ता को मनमानी गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को जांच में शामिल होने और 25 जून को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का भी निर्देश दिया है। न्यायालय ने जांच अधिकारी को धारा 41 सीआरपीसी के तहत प्रदान की गई प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी द्वारा नोटिस दिया जाना वैधानिक संरक्षण है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने अदालत को बताया कि हम जांच में शामिल होने के लिए तैयार हैं और निश्चित रूप से अदालतों के आदेश का पालन करते हुए जांच अधिकारी के सामने पेश होंगे। कोर्ट ने याचिका का अंतिम रूप से निस्तारण कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि हरिद्वार महाकुंभ के दौरान कोविड टेस्ट में फर्जीवाड़ा के मामले में हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा मैक्स के साथ ही दो लैबों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। मैक्स ने याचिका में प्राथमिकी निरस्त करने व गिरफ्तारी पर रोक लगाने की प्रार्थना की थी।
ये है फर्जीवाड़ा
उत्तराखंड में हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। जांच में कम से कम एक लाख कोरोना टेस्ट फर्जी पाए गए। एक जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि उत्तराखंड सरकार की तरफ से कुंभ मेले के दौरान कराई जाने वाली कोरोना टेस्टिंग के लिए एक प्राइवेट एजेंसी ने इतनी बड़ी जांच में कम से कम एक लाख फर्जी रिपोर्ट जारी की थीं। हरिद्वार जिला प्रशासन ने अब उन आरोपों की जांच का आदेश दिया है, जिनमें कहा गया है हरिद्वार में कुंभ उत्सव के दौरान कोरोना टेस्टिंग करने के लिए काम करने वाली प्राइवेट लैब्स की ओर से नकली रिपोर्ट जारी की गई थीं।
बता दें कि हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुंभ उत्सव का आयोजन किया गया था। इस दौरान 22 प्राइवेट लैब्स की तरफ से लगभग 4 लाख कोरोना टेस्ट किए गए थे। फरीदकोट पंजाब निवासी एक व्यक्ति ने आइसीएमआर से कोरोना जांच में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। इस व्यक्ति के मोबाइल पर कोरोना जांच का संदेश पहुंचा था, जबकि उसकी कभी कोरोना जांच हुई ही नहीं।
राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने मामले की प्रारंभिक जांच कराई। कोविड-19 मामलों के चीफ कंट्रोलिंग आफिसर डा. अभिषेक त्रिपाठी के स्तर से की गई इस जांच में प्रथमदृष्टया शिकायत सही पाई गई। यही नहीं, उन्होंने एक लाख से अधिक कोरोना जांच में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की है। डा. त्रिपाठी ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में मामले को गंभीर बताते हुए इसकी विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को कुंभ मेला अवधि, इससे पहले और इसके बाद हुई कोरोना जांच की विस्तृत छानबीन के निर्देश दिए थे।
दर्ज हुए हैं मुकदमें
चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार द्वारा नगर कोतवाली के मैक्स, लाल चंदानी कंपनी व नलवा लेब्रोट्रीज के के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ आपदा प्रबंधन एक्ट के साथ 420,467,468,128 समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही एसआइटी का भी गठन कर दिया है। इससे पहले मैक्स की ओर से भी हाईकोर्ट में इसी तरह की याचिका दाखिल की जा चुकी है।
मामले की एसआइटी कर रही जांच
कुंभ के दौरान कोरोना जांच घोटाले की जांच एसआइटी कर रही है। इसके अलावा सीडीओं के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम अलग से जांच कर रही है। दो दिन पहले ही कोरोना जांच कंपनी मैसर्स मैक्स कारपोरेट सर्विसेज नई दिल्ली व नलवा लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड हरियाणा व डा. लाल चंदानी लैब नई दिल्ली पर नामजद मुकदमा भी दर्ज किया गया है। मामले में सीएमओ डा. शंभू कुमार झा व मेलाधिकारी डा. अर्जुन सिंह सेंगर के बयान भी दर्ज कर चुकी है। साथ ही टेंटिंग कंपनी अधिकारियों को हरिद्वार तलब भी किया गया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।