टेक होम राशन की आपूर्ति के टेंडर पर हाईकोर्ट की रोक, प्रदेश सरकार से तीन सप्ताह में मांगा जवाब
टेक होम राशन आपूर्ति योजना के टेंडर मामले में उत्तराखंड सरकार को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट नैनीताल ने आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए टेक होम राशन की आपूर्ति के लिए जारी टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। साथ ही इस मामले में राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय उत्तराखंड सरकार की ओर से आठ अप्रैल को पुष्टाहार टेंडर जारी किए गए थे। गौरतलब है कि टेंडर प्रक्रिया का पूरे प्रदेश में विरोध हो रहा है। आम आदमी पार्टी ने तो इसे छोटे महिला समूहों की रोजी रोटी छीनना करार दिया है।
सोमवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में हरिद्वार के स्वयं सहायता समूह लीबहेड़ी की ओर से इस मामले को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई की। इसमें कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुसार आंगनबाड़ी केंद्रों में पुष्टाहार की सप्लाई के लिए जो भी टेंडर निकाले जाएंगे, उसमे स्वयं सहायता समूहों व ग्रामीण समूहों को वरीयता देना जरूरी है। मगर राज्य सरकार जानबूझकर टेंडर प्रकिया में ऐसे शर्ते रखी गई हैं कि जिन्हें ये संस्थाए पूरी नही कर पा रही है।
तर्क दिया गया कि टेंडर प्रक्रिया में यह शर्त रखी गयी है कि जो समूह इसमे प्रतिभाग करेगा, उनका तीन साल में टर्नओवर तीन करोड़ से ऊपर हो। साथ ही टेंडर में प्रक्रिया में शामिल होने के लिए 11लाख 24 हजार रुपये की धरोहर राशि रखी गयी है। पहले भी उनसे पौष्टिक आहार खरीदा गया था, तब ऐसी कोई शर्तें नहीं थी। सरकार ने इस टेंडर प्रक्रिया में अब प्राइवेट कंपनियों को भी प्रतिभाग करने की छूट दे दी है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार उनको इस टेंडर प्रक्रिया से बाहर करना चाहती है, क्योंकि कोई भी महिला समूह इतनी बड़ी शर्त पूरा नहीं कर सकती है।
याचिका में कहा गया है कि सरकार ने इन समूहों को समान की गुणवत्ता, पैकिंग, लेबलिंग स्टोरेज आदि संबंधित कई तरह का परीक्षण पूर्व में दिया गया था। सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय के की ओर से दिये गए दिशा निर्देशों का अनुपालन नही किया है। सुप्रीम कोर्ट ने महिला समूहों को बढ़ावा देने के लिए इनको इसमे शामिल करने को कहा था। कहा गया है कि हरिद्वार के लीबहेड़ी में चेतना स्वयं सहायता समूह, सन्तोषी माता स्वयं सहायता समूह, लक्ष्मी बाई स्वयं सहायता समूह, कृष्णा स्वयं सहायता समूह, गायत्री स्वयं सहायता समूह व अम्बेडकर स्वयं सहायता समूह है। सरकार की इस नीति से स्वयं सहायता समूहों का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।